देशद्रोही इस्लाम प्रचारक ज़ाकिर नाईक को झटका...

हाईकोर्ट ने भी लगाया ज़ाकिर नाईक को एक तमाचा...

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को इस्लामिक प्रवचनकार ज़ाकिर नाईक के NGO “इस्लामिक रिसर्च फौंडेशन” पर प्रतिबन्ध के मामले में किसी स्थगन से इनकार कर दिया है. जस्टिस संजीव सचदेवा ने कहा कि IRF पर गैरकानूनी गतिविधियों एवं विदेशी मुद्रा अधिनियम सम्बन्धी रोक तथा इस संस्था पर प्रतिबन्ध लगाने का केंद्र सरकार का फैसला एकदम सही है.

उल्लेखनीय है कि 17 नवम्बर 2016 को केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश जारी करके नाईक के NGO को प्रतिबंधित सूची में डाल दिया था तथा गृह मंत्रालय इस इस्लामी धर्मगुरु के विवादास्पद सौदों तथा आय स्रोतों की सघनता से जाँच कर रहा है. हाईकोर्ट जज ने कहा कि केंद्र सरकार के वकील द्वारा पेश किए गए सबूत, वीडियो एवं मुद्रा कारोबार संबंधी आंकडें यह मानने के लिए पर्याप्त हैं कि यह संस्था केवल धर्म का प्रचार नहीं कर रही है. इसके वीडियो एवं ज़ाकिर नाईक की कई बातें आपत्तिजनक एवं देशद्रोह की श्रेणी में आती हैं. केंद्र सरकार ने कोर्ट के सामने ज़ाकिर नाईक द्वारा हिन्दू देवताओं के खिलाफ कही गई बातों, अल-कायदा के समर्थन में दिए गए वक्तव्यों तथा ओसामा बिन लादेन की तारीफ़ में दिए गए बयानों की प्रतियाँ मजबूती से रखी थीं, ताकि कहीं यह धूर्त व्यक्ति क़ानून की पतली गलियों का लाभ न उठा सके. केंद्र सरकार ने कोर्ट के समक्ष आराम से सिद्ध कर दिया कि ज़ाकिर नाईक की गतिविधियाँ संदिग्ध हैं, गैरकानूनी हैं और दो धर्मों के बीच मनमुटाव के लिए जिम्मेदार हैं.

हिन्दू संगठनों के वकीलों को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए, कि जब भी वे कोर्ट में जाएँ तो पूरे सबूतों, वीडियो क्लिपिंग्स, बयानों की प्रतियों, अखबार की कटिंग इत्यादि ठोस सबूतों के साथ किसी के खिलाफ शिकायत दर्ज करें. सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणी भी सबूत मानी जाती है, यदि दिनांक के साथ उसका स्क्रीनशॉट लिया जाए. बहरहाल... ज़ाकिर नाईक के पाप का घड़ा अब भर चुका है, फिलहाल वह विदेश में है और वापस आने की कोई उम्मीद भी नहीं है. उम्मीद की जाती है कि केंद्र सरकार यू-ट्यूब से आग्रह करके ज़ाकिर नाईक के जहरीले वीडियो को भी हटवाने का प्रयास करेगी.

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