कौमार्य परीक्षण की घृणित परंपरा के खिलाफ युवाओं का संघर्ष
गत 19 जनवरी को महाराष्ट्र के अम्बरनाथ स्थित वान्द्रापाड़ा परिसर में एक “जाति-पंचायत” बुलाई गयी थी. इस जाति पंचायत की बैठक का मुख्य एजेण्डा था “कंजारभाट” समाज (Kanjarbhat Community) के कुछ पढ़े-लिखे युवाओं द्वारा नवविवाहिताओं के कौमार्य परीक्षण की घृणित एवं अपमानजनक प्रक्रिया के विरोध में, सोशल मीडिया पर चलाए जा रहे “Stop the V Ritual” मुहिम के खिलाफ उन युवाओं पर दबाव बनाना.
एक वो इशरत जहाँ थी, एक ये इशरत जहाँ है...
जैसे ही हम इशरत जहाँ (Ishrat Jahan) की बात करते हैं, वैसे ही हम सबके दिमाग में एक दूसरी ही इशरत की तस्वीर आ जाती है. मुम्बई के मुम्ब्रा इलाके की एक छोटी सी मासूम चेहरे वाली लेकिन “शातिर” इशरत (Ishrat Jahan Encounter), जो गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री की हत्या करने के लिए गुजरात जा रही थी, और रस्ते में ही एन्काउंटर का शिकार हो गयी. उस इशरत को भारत की सेकुलर, अवार्ड वापसी तथा लाल गैंग ने हाथोंहाथ लिया था, उसे अपने अपने राज्यों की बेटी बनाने के लिए होड़ लग गयी थी और बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने तो उसे अपने राज्य की बेटी बना ही दिया था. वह एक इशरत थी.
सरकार की नाक के नीचे बन रहे बांग्लादेशियों के "आधार"
भारत में बांग्लादेशी घुसपैठियों (Illegal Bangladeshi) की समस्या कोई नई नहीं है, जब से बांग्लादेश को भारत ने पाकिस्तान के चंगुल से बाहर निकाला तभी से अर्थात 1971 से ही बांग्लादेशियों के जत्थे के जत्थे भारत की ढीलीढाली और तमाम नदी-नालों-जंगलों एवं आधी-अधूरी तारबंदी के कारण बड़े आराम से भारत में घुसे चले आते हैं. इन अवैध बांग्लादेशियों का सबसे पसंदीदा ठिकाना है देश की राजधानी दिल्ली, कोलकाता और मुम्बई. क्योंकि इन महानगरों के विशाल आकार तथा यहाँ मौजूद सेकुलरिज्म के पुरोधाओं एवं मुल्ला वोट बैंक के सहारे राजनीति करने वाले लोग इनकी सेवा में उपस्थित हैं.
ढहता हुआ कंगाल पाकिस्तान : भारत के लिए कठिन चुनौती
जी हाँ!!! पाकिस्तान ढह रहा है. दिवालियेपन की कगार पर पहुंचा यह देश (Pakistan a Failed State) इस बुरी तरह कर्ज के भंवर में फंस गया है कि अब इससे बाहर निकलना इसके बूते से बाहर की बात है. आज की तारीख में पाकिस्तान पर लगभग 9 खरब अमेरिकन डॉलर से भी अधिक का अंतर्राष्ट्रीय कर्ज है (Debt ridden Pakistan) जिसकी तिमाही ब्याज चुकाना भी, अब इसके लिए संभव नहीं हो पा रहा.
डार्विन थ्योरी विवाद :- सत्यपाल सिंह सही थे, कुछ प्रश्न
हाल ही में केन्द्रीय शिक्षा राज्यमंत्री श्री सत्यपाल सिंह (Satyapal Singh) ने मनुष्य की उत्पत्ति से सम्बन्धित बहुप्रचलित और बहुप्रचारित “डार्विन थ्योरी” (Darwin Theory) की वैज्ञानिकता को चुनौती देते हुए अपना बयान दिया था. जिस पर भारत के कथित बुद्धिजीवियों ने बिना किसी ठोस वजह के अथवा बिना किसी तर्क-वितर्क के हंगामा मचाना शुरू कर दिया था (क्योंकि यह बयान भाजपा सरकार के मंत्री ने दिया था).
आतंकवाद और लव जेहाद के विनाशक : वराहदेव (सूअर)
सम्पूर्ण विश्व आज आतंकवाद (Islamic Terrorism and World) से त्रस्त है। अमेरिका, ब्रिटेन, अफगानिस्तान, भारतवर्ष, ईराक, म्यांमार, के साथ-साथ सम्पूर्ण यूरोपियन देश आस्ट्रिया, पोलैंड, हंगरी, फ्रांस, बेल्जियम और न जाने कितने देश “आसुरी दैत्य वृत्तियों” (यानी इस्लाम) से घबराये हुए हैं।
केवल एक क़ानून से 80% गौ-तस्करी रुक सकती है... जानिये
समाचार पत्रों में लगातार गौरक्षा के लिए हिंसक दुर्घटना की खबरें आती रहती हैं। गौ-भक्तों द्वारा गौ-तस्करी को रोकने के प्रयासों में अक्सर हिंसक घटनाएं हो जातीं हैं। साथ ही अनेक गौ-रक्षकों का बलिदान भी ऐसी घटनाओं में हर वर्ष होता रहता है जबकि अनेक बार गौ-तस्कर भी हिंसा में मारे जाते हैं।
मोदी की आगामी फिलीस्तीन यात्रा :- संतुलन की बाजीगरी
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की आगामी 10 फरवरी को फिलिस्तीन (Palestine and India) यात्रा संभावित है. यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब इजरायली प्रधानमंत्री श्री नेतन्याहू का अति महत्वपूर्ण 6 दिवसीय भारत दौरा (Indo-Israel Relations) बस हुआ ही है. ऐसे में मोदी की फिलिस्तीन यात्रा के अनेक कयास लगाए जा रहे हैं. कुछ इसे दक्षिण एशियाई देशो से संतुलन साधने तो कुछ मुस्लिम तुष्टिकरण (Muslim Vote Bank) से जोड़ रहे हैं.
लोकसभा-विधानसभा के चुनाव एक साथ :- लाभ-हानि का गणित
भारत में क्या लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव (Parliament Elections in India) एक साथ होने चाहिए। इस सवाल को अब फिर से हवा मिली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक इंटरव्यू में इस बात को और भी साफ़ कर दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि चुनावों को त्योहार खासकर होली की तरह होना चाहिए।
चार विद्रोही जज... और सोशल मीडिया के उतावले बन्दर
अपनी बात शुरू करूं इससे पहले यह स्पष्ट कह देना चाहता हूं कि अपने लिए न तो चेलमेश्वर (Justice Chelmeshwar) समूह कोई भगवान हैं, और न ही दीपक मिश्रा (Justice Deepak Mishra) को ही कोई क्लीन चिट देने का अपना कोई इरादा है. सच कहें तो इस पोस्ट का आशय चार जजों द्वारा उठाये गए मूल प्रकरण पर बात करने से है भी नहीं. अपन तो इस अप्रत्याशित घटना के बाद फेसबुक (Social Media Trial) पर छा गए समर्थन-विरोध और उसके तरीके के प्रति बात करना चाह रहे हैं.