हिंदू समाज (Hindu Dharma) विश्व का सबसे संगठित समाज है हांलाकि आज भारत में तरह-तरह के ऐसे संगठन उत्पन्न हो गए हैं जो हिंदू समाज की मुख्य समस्या उसका असंगठित होना बताते हैं। इन संगठनों के इस विचार के पीछे स्वयं हिंदू समाज के विषय में उनका अज्ञान तो है ही, विश्व के विषय में भी गहरा अज्ञान है। पता नहीं कि वह संसार के किस समाज से हिंदू समाज की तुलना करके उसे असंगठित बताते हैं।

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किसी भी सरकार की ठसक केवल कानूनी ही नहीं, सांस्कृतिक-बौद्धिक भी होती है। यह गैर-लोकतांत्रिक तथा लोकतांत्रिक, दोनों सरकारों के लिए सच है।

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कुछ वर्ष पहले का एक मामला शायद पाठकों को याद हो. आगरा में विश्व हिन्दू परिषद् के नेता अरुण माहौर की दिनदहाड़े बीच बाज़ार में “कसाईयों” ने हत्या कर दी थी, क्योंकि अरुण माहौर लगातार गौहत्या के खिलाफ अभियान चलाए हुए थे.

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यह रिपोर्ट आई है तमिलनाडु के शिवगंगा जिले से. दक्षिण तमिलनाडु के इस जिले में हजारों दलितों को चर्च द्वारा ईसाई बनाया जा चुका है.

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इस लेख के पहले भाग में आपने हिन्दू कालगणना की सटीकता एवं उसके वैज्ञानिक आधार के बारे में पढ़ा है... (उसे पढने के लिए यहाँ क्लिक करें). पेश है इसी लेख का दूसरा भाग, जिसमें और भी विस्तार से तथ्यों सहित पश्चिमी काल-विभाजन को खोखला सिद्ध किया गया है. 

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हाल ही में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, विक्रम संवत् 2086 अर्थात सनातन हिन्दू नववर्ष मनाया गया. जहाँ तक उत्सव मनाने की बात है, उत्सवधर्मी भारतीय दोनों ही अवसरों पर मौज-मस्ती कर लेते हैं.

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जम्मू- कश्मीर के लोगो को Article 35A के तहत मिले “Permanent Residents” के दर्जे के साथ उन्हे प्राप्त विशेष अधिकार और सुविधाओं (Jammu Kashmir Special Acts) पर बहस चल रही है. लोग बिना जाने, बिना पढे सिर्फ सुनी सुनाई बातों/ पोस्टों के आधार पर कुछ भी बोल रहे है. आर्टिकल 35A क्या है?, क्यूँ है? और कैसे है? इन सब प्रश्नों के उत्तर अपनी समझ के अनुसार पाठको तक पहुंचाने का प्रयास कर रहा हूँ. 

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सन् 2015 में अमेरिका के यू. एस. फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के यह स्वीकार करने के बाद कि भोजन में कोलेस्ट्रॉल लेने का दिल की बीमारियों में कोई संबंध नहीं है, साबित हो गया कि कोलेस्ट्रॉल युक्त भोजन को ना लेने का कोई कारण नहीं है।

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आमतौर पर देखा जाए तो भगवान दत्तात्रेय हिन्दू जनमानस में उतने अधिक जाने-पहचाने हुए भगवान नहीं हैं, जितने भगवान राम-कृष्ण या शंकरजी अथवा हनुमान. इसीलिए बहुत से लोगों को भगवान दत्तात्रेय के बारे में अधिक जानकारी भी नहीं है, और दत्त तीर्थस्थलों के बारे में भी उतना प्रचार-प्रसार दिखाई नहीं देता, जैसा कि वैष्णो देवी या कामाख्या मंदिर का होता है.

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हाल ही में स्पंदन संस्था की तरफ से भोपाल में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला “मीडिया महोत्सव” (Media Chaupal 2018) 31 मार्च और 1 अप्रैल 2018 को संपन्न हुआ.

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