पिछले भाग (यहाँ क्लिक करके पढ़ा जा सकता है) में मैंने पंजाब और गोवा के चुनाव परिणामों का विश्लेषण किया था, क्योंकि वहाँ भाजपा हारी है. जीत का नशा सवार नहीं होना चाहिए, और पहले हमेशा ही हार की तरफ ध्यान देना चाहिए.

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अगर आपको नए स्थान पर कभी दिशाभ्रम हुआ होगा, तो एक अनोखी चीज़ पर भी ध्यान जायेगा. चौराहे पर खड़े व्यक्ति को जब दाहिने मुड़ना है या बाएं, यह समझ नहीं आता तो वो सीधा आगे भी बढ़ सकता है. ऐसे में वो अपनी मंजिल से उल्टी दिशा में नहीं जाएगा, लेकिन वो ऐसा करेगा नहीं.

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देश का पूरा राजनैतिक विमर्श उत्तरप्रदेश पर केंद्रित है। 5 राज्यो के विधानसभा चुनाव में उत्तरप्रदेश का अपना अलग महत्त्व है। यह भी तय है कि उत्तरप्रदेश के चुनाव परिणाम देश की आगामी राजनैतिक दशा, दिशा को तय करने वाले सिद्ध हो सकते हैं।

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उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के पांच चरण पूरे हो चुके हैं। सपा और कांग्रेस गठबंधन की ही नहीं तमाम लोगों की सदेच्छा थी कि यह चुनाव काम बोलता है की कसौटी पर हो।

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मंगलवार, 07 फरवरी 2017 13:18

अखिलेश, औरंगजेब और फिदायीन...

जो उत्तर प्रदेश की राजनीति में अखिलेश ने मुलायम का किया है उसके बाद से अक्सर उन्हें औरंगज़ेब बुलाया जाने लगा है| शक्तिशाली मुग़ल शहंशाहों में औरंगजेब आखरी थे, उनके बाद के 12-13 मुग़ल शासक योग्य नहीं थे और अंत में बहादुर शाह जफ़र को अंग्रेजों ने दिल्ली की गद्दी से उतार फेंका था|

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भारतीय राजनीति के सियासी महाभारत में उत्तर प्रदेश का चुनाव एक महत्वपूर्ण पड़ाव माना जा रहा है। यद्यपि मोदी सरकार के आने के बाद छात्रसंघ चुनावों से लेकर निगम/ पंचायत चुनावों तक भी मोदी लहर को पढ़ने की कोशिश राजनितिक विश्लेषक करते रहे हैं, परंतु वास्तविकता में उत्तर प्रदेश चुनाव को मोदी समेत पूरी भाजपा भी बेहद गंभीरता से ले रही है,

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