सर्वगुण संपन्न होना भले ही मुहावरा हो, मगर सुरेश प्रभु जैसे व्यक्तित्व पर ये मुहावरा शत-प्रतिशत सच बैठता है। भारतीय राजनीति एक ऐसा दलदल या यूं कहें कि काजल की कोठरी है कि जो भी इसमें आता है उसके साथ आरोप-प्रत्यारोप की कालिख और कीचड़ लग ही जाती है। लेकिन इस मायने में सुरेश प्रभु एक अलग ही व्यक्तित्व सिद्ध हुए हैं।

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