राष्ट्रवाद की सांस्कृतिक अवधारणा के साथ भारत की शासनिक सत्ता पर भारतीय जनता पार्टी की धमक और उसके परिणामस्वरुप कांग्रेस व उसकी सहयोगी पार्टियों की हुई मरणासन्न हालत से देश में एक राष्ट्रीय विपक्ष की सख्त जरुरत महसूस होने लगी है । १६वीं लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा को मिले व्यापक जनमत के कारण कांग्रेस इस कदर सत्ता से बेदखल हो गई कि वह कायदे से एक अदद ‘विपक्ष’ का दर्जा भी हासिल नहीं कर सकी.  

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राजनीति करना और राजनीति को समझना दो अलग-अलग बातें हैं। भारतीय राजनीति में इन दोनों विधाओं में सामंजस्य रखने वाले अनेक नेता हुए हैं, जिन्होंने राजनीति करते हुए राजनीति को अच्छे से समझा, तदनुसार रणनीति बनाई और सफलता प्राप्त की।

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