भारत में अभिव्यक्ति यानी बोलने की स्वतंत्रा का दुरुपयोग हो रहा है। जिम्मेदार पद पर बैठे लोग गलत बयानी करते रहते हैं। उनकी असंसदीय टिप्पणी और बयानों का समाज और राष्ट्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा इस बेफ्रिक रहते हैं। जिसकी वजह से समाज में हिंसा, घृणा, जातिवाद, अलगाववाद की जड़ें मज़बूत हो रहीं हैं।

Published in आलेख

भारत और विशेषकर जम्मू कश्मीर के इतिहास में ललितादित्य का नाम उनकी शानदार विजय-यात्राओं के कारण प्रसिद्ध रहा है। कुछ लोग मार्तंड मंदिर के कारण भी उन्हें स्मरण करते हैं। लेकिन विकासमान भारत के संदर्भ में अगर वे किसी बात के लिए प्रासंगिक हैं तो उनकी विदेश नीति और अपनी समरनैतिक सूझबूझ के कारण ही हैं।

Published in आलेख

जम्मू- कश्मीर के लोगो को Article 35A के तहत मिले “Permanent Residents” के दर्जे के साथ उन्हे प्राप्त विशेष अधिकार और सुविधाओं (Jammu Kashmir Special Acts) पर बहस चल रही है. लोग बिना जाने, बिना पढे सिर्फ सुनी सुनाई बातों/ पोस्टों के आधार पर कुछ भी बोल रहे है. आर्टिकल 35A क्या है?, क्यूँ है? और कैसे है? इन सब प्रश्नों के उत्तर अपनी समझ के अनुसार पाठको तक पहुंचाने का प्रयास कर रहा हूँ. 

Published in आलेख

भारत का मुकुट कहा जाने वाला जम्मू-कश्मीर एक बार पुनः अंदर ही अंदर उबलने लगा है, लेकिन इस बार “युद्धक्षेत्र” मुस्लिम बहुल कश्मीर नहीं, बल्कि हिन्दू बहुल जम्मू है.

Published in आलेख

जम्मू-कश्मीर भारत के गले में फँसी हुई वह हड्डी है, जिसे न उगलते बन रहा है ना निगलते बन रहा है. पिछले सत्तर वर्षों में कई सरकारें आईं और चली गईं, लेकिन मर्ज़ बढ़ता ही गया, ज्यों-ज्यों दवा की.

Published in आलेख

हाल ही में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम समुदाय से जुड़े “तीन तलाक” के मुद्दे पर आधा-अधूरा ही सही, लेकिन एक शुरुआती फैसला सुनाया है. आधा-अधूरा इसलिए लिखा है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने केवल “एक साथ तीन तलाक बोलकर तलाक” देने को अवैध ठहराया है, लेकिन तीन माह में एक-एक बार तलाक बोलने पर कोई प्रतिबन्ध नहीं है.

Published in आलेख