पेरिस में 16 अक्टूबर को एक शिक्षक की नृशस हत्या करके एक बार फिर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रहार करके भड़के हुए इस्लामिक आतंकवाद ने सभ्य समाज को भयभीत करने का दुःसाहस किया है। विस्तार से समझने के लिए प्राचीन इतिहास को छोड़ते हुए 21 वीं सदी के आरम्भ से अब तक की कुछ घटनाओं पर विचार करना उचित रहेगा।

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सम्पूर्ण विश्व आज आतंकवाद (Islamic Terrorism and World) से त्रस्त है। अमेरिका, ब्रिटेन, अफगानिस्तान, भारतवर्ष, ईराक, म्यांमार, के साथ-साथ सम्पूर्ण यूरोपियन देश आस्ट्रिया, पोलैंड, हंगरी, फ्रांस, बेल्जियम और न जाने कितने देश “आसुरी दैत्य वृत्तियों” (यानी इस्लाम) से घबराये हुए हैं।

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आतंकवाद पर कोई बहस या बातचीत आम जन के दिमाग़ को सीधे इस्लाम की तरफ खींच ले जाती है. विश्व व्यापार केन्द्र पर हमले और उसके बाद दो नारों “आंतकवाद के खिलाफ़ जंग”, और "दो सभ्यताओं के बीच टकराव” से ऐसी मानसिकता बनी कि दुनिया भर में आम इंसानों के बीच एक विचार पैठ बनाने लगा कि “सारे मुसलमान आतंकवादी होते हैं”.

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डॉनल्ड ट्रम्प ने 7 मुस्लिम देशों के नागरिकों पर अमरीकी वीज़ा बंद क्या कर दिया कि संसार भर के लोगों के पेट में पानी होने लगा। दस्त लग गये मगर उन्हें बंद करने की दवा नहीं सूझ रही। अमरीका तक में मरोड़ें शुरू हो गयीं।

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