आतंकवाद पर कोई बहस या बातचीत आम जन के दिमाग़ को सीधे इस्लाम की तरफ खींच ले जाती है. विश्व व्यापार केन्द्र पर हमले और उसके बाद दो नारों “आंतकवाद के खिलाफ़ जंग”, और "दो सभ्यताओं के बीच टकराव” से ऐसी मानसिकता बनी कि दुनिया भर में आम इंसानों के बीच एक विचार पैठ बनाने लगा कि “सारे मुसलमान आतंकवादी होते हैं”.

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