समाचार का विवरण पढ़ा ... SOCIALTRADE.BIZ अरे यह तो 3 महीने पूर्व ही हमारे नोटिस में आ चुका है. समाचार विवरण से पता चला कि 1 वर्ष से कम समय में इतना बड़ी ठगी हुई लाखों लोगों के साथ. हम समय रहते कुछ विशेष नहीं कर सके इतना समय और साधन नहीं हैं हमारे पास. अपने परिचय में लोगों को सतर्क किया था, कि ऐसे फ्रॉड नेटवर्क में न फँसें. उस समय इतना अनुमान नहीं था कि यह खिलाड़ी 3700 करोड़ पार कर जाएगा.
पर विचारणीय बात है इतने कम समय में 3700 करोड़ का लेन-देन हो गया और आयकर विभाग को भनक नहीं लगी? यह मामला STF ने पकड़ा, आयकर विभाग तो बाद में पहुँचा॥ हमारे लिए यह अप्रत्याशित नहीं था और बताते चलें कि ऐसे और भी अनेकों मामले सामने आएँगे॥ क्योंकि इसके मूल में कोई माफिया तन्त्र है, गहरी फैली हुई दीमक है जो तन्त्र को खोखला कर रही है॥ इस दीमक को ढूँढ ढूँढ कर साफ करना होगा, यह बाहर से दिखाई नहीं देती, भीतर ही भीतर सुरंगें बनाती चलती है और जब सारा ढाँचा खोखला हो जाता है तो चरमरा कर गिरता है॥
कुछ दिन पूर्व आयकर विभाग की वेबसाइट की हॉस्टिंग का विषय उठाया गया था॥ कुछ "अतिरेक ग्रस्त" पाठकों को अच्छा नहीं लगा. कुछ कुतर्कियों ने सत्य जानने, समस्या का समाधान खोजने तथा सहायता करने की अपेक्षा उल्टे प्रश्न दागने आरम्भ कर दिए॥ The 4th Pillar ने आयकर विभाग के वेबमास्टर कार्यालय से सम्पर्क करके उन्हीं से ही जानकारी माँग ली कि: आयकर विभाग की वेबसाइट की हॉस्टिंग किस कम्पनी के पास है और क्यों?
किन्तु वहाँ तो बेचारे Data Entry Operator बैठे थे जो इसके विषय में जानते नहीं थे या उन्हें उत्तर देने का अधिकार नहीं था॥ न ही वे वरिष्ठ अधिकारियों से बात करवाने को तैयार थे॥ NIC से सम्पर्क किया गया क्योंकि incometaxindia.gov.in की Domain Admin कोई "श्रीमती लेखा कुमार" थी किन्तु उस नम्बर पर सम्पर्क करने पर पता चला कि वे तो किसी "श्रीमती लेखा कुमार" को जानते ही नहीं थे॥
अब 4th Pillar ने प्रधानमन्त्री कार्यालय के समक्ष RTI आवेदन (PMOIN/R/2017/50351) प्रस्तुत किया:
- आयकर विभाग की वेबसाइट की हॉस्टिंग किस कम्पनी के पास है?
- उस कम्पनी के चयन के क्या कारण थे?
- आयकर विभाग की वेबसाइट की हॉस्टिंग सरकार के अपने किसी डाटा सेण्टर में न करने तथा किसी निजी कम्पनी के पास हॉस्टिंग करने का क्या उद्देश्य था?
अब जानिए आगे क्या हुआ:
- प्रधानमन्त्री कार्यालय द्वारा यह RTI आवेदन राजस्व विभाग के पास भेजा गया
- राजस्व विभाग द्वारा यह RTI आवेदन "केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड" के पास भेजा गया
- केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा यह RTI आवेदन "आयकर महानिदेशक (Systems)" के पास भेजा गया
- आयकर महानिदेशक (Systems) द्वारा "उसी वेबमास्टर कार्यालय" से सम्पर्क करने का सुझाव दिया गया जहाँ Data Entry Operators बैठे हैं जिन्हें न तो कुछ पता है और न ही उनके पास कोई अधिकार हैं...
अब "आयकर महानिदेशक (Systems)" का नम्बर मिलाया गया:
"इस रूट की सभी लाइनें व्यस्त हैं"
खोज जारी है, इसके आगे की जानकारियाँ उपलब्ध होते ही प्रकाशित की जाएँगी. उपरोक्त लिंक पर इस लेख का पिछला भाग पढ़ लेने पर आप जान और समझ पाएँगे कि आयकर विभाग की वेबसाइट METAOPTION नामक किसी निजी कम्पनी के पास है॥ हम अपने स्तर पर खोजबीन कर चुके हैं, आयकर विभाग की ओर से अभी जानकारी देने एवं स्वीकारोक्ति करने में आनाकानी हो रही है. देर-सवेर पता चल ही जाएगा.
अब इस 3700 करोड़ की ठगी का आयकर विभाग की वेबसाइट हॉस्टिंग से क्या लेना-देना है? इस विषय पर अभी हम चुप ही रहेंगे. अभी तो आप इतना जान लीजिए कि आयकर विभाग की वेबसाइट की हॉस्टिंग SIFY के पास भी रह चुकी है. SIFY याद है न? इस बीच एक और उपलब्धि है "RTI विभाग की वेबसाइट के Framework में कुछ और दोष पाए गए हैं", और ये दोष जाने अनजाने में नहीं, कोई चूक अथवा गलती से नहीं, नियोजित ढंग से घुसाए गए है... हम ऐसा क्यों कह रहे हैं? क्योंकि "ठीक वैसे ही दोष" अन्य कई वेबसाइट पर भी पाए गए हैं, जिनके विशेष उद्देश्य है. इस विषय पर शीघ्र ही लेख प्रस्तुत होगा. कुल मिलाकर कांग्रेसी काल से सम्पूर्ण व्यवस्था केवल मूर्ख बनाने के लिए, दिग्भ्रमित करने के लिए, समय ध्यान और ऊर्जा नष्ट करने के लिए, या संक्षेप में कहें "सकारात्मक काम न करने के लिए न होने देने के लिए" बनाई गई है. यह दीमक समय रहते नहीं निकाली गई, तो तन्त्र को पूरी तरह से खोखला कर चुकी होगी. इस दीमक के साथ सरकार की "रेस" है यानी RACE TOWARDS 2019.
हमारा अनुत्तरित प्रश्न:
आयकर विभाग की वेबसाइट की हॉस्टिंग किस कम्पनी के पास है और क्यों?
3700 करोड़ के साथ क्या सम्बन्ध हो सकता है, ये प्रश्न उसके बाद के होंगे...
=====================================
(डिस्क्लेमर :- प्रस्तुत विचार और तथ्य लेखक के निजी विचार हैं)