स्वाभाविक है कि इस इलाके के किसान भी पैसे वाले हैं, और सोने-चाँदी-हीरे की खरीद-बिक्री भी काफी होती है. अमूमन यह इलाका शांत माना जाता रहा है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से मंदसौर शहर के बड़े-बड़े नामी और पैसे वाले लोग मंदसौर में कार्यरत लाला-पठान गिरोहों से काफी त्रस्त हो चले हैं. ये लाला और पठान अर्थात दबंग मुस्लिम बड़े व्यापारियों, सरकारी अधिकारियों, ज्वेलर्स और बिल्डर्स के खिलाफ अपना चक्रव्यूह लगातार रचते रहते हैं. शुरुआत होती है किसी प्रापर्टी को पठानों को बेचने के लिए फोन पर धमकियाँ देने से, फिर उस व्यक्ति को “लाईव” डराया-धमकाया जाता है, जिस प्रापर्टी पर पठान की निगाह पड़ गई अर्थात उसे पसंद आ गई तो वह उस जमीन मालिक के परिवार को भी परेशान करने लगते हैं, जब तक कि वह जमीन बेचने के लिए राजी न हो जाए. इसी प्रकार बड़े व्यापारियों और खासकर डायमंड ज्वेलर्स वालों को फिरौती के लिए पठानों के धमकी भरे फोन आना भी अब आम बात हो चली है.
पिछले कुछ माह के दौरान इन पठान गिरोहों ने शहर के कई नामचीन ज्वेलर्स और बिल्डर्स को अपने निशाने पर लिया है, कुछ लोगों ने तो पुलिस में शिकायत की है लेकिन बहुत से लोग चुपचाप फिरौती देकर अथवा अपनी जमीन औने-पौने दामों में बेच कर मंदसौर से निकल गए. इस पूरे प्रकरण में नया मोड़ तब आया जब मंदसौर और नीमच स्थित डायमंड ज्वेलर्स के संचालक अनिल सोनी ने कय्यूम लाला गिरोह के सामने झुकने से इनकार कर दिया और मामला सीधे पुलिस महानिदेशक तक पहुँच गया. हालाँकि उससे भी कोई खास फर्क नहीं पड़ा, क्योंकि इन अपराधियों के हौसले इतने बुलंद तथा पुलिस में इनकी पहुँच इतनी जोरदार है कि बेचारे अनिल सोनी को अपनी जान बचाने तथा इन गुण्डों से बचाव हेतु मदद माँगने गृह मंत्रालय दिल्ली जाना पड़ा. इतना सब कुछ हो चुकने के बावजूद “मामाजी” की सरकार पता नहीं क्यों, एक व्यापारी की रक्षा का आश्वासन देने में भी असमर्थ है. आमतौर पर व्यापारी वर्ग भाजपा का वोटर माना जाता है, लेकिन जिस तरह से मंदसौर में पुलिस प्रशासन में भाजपा का दबदबा लगभग नहीं के बराबर है तथा लाला-पठानों के गिरोह मंदसौर के आसपास के इलाकों में अपना काला धंधा आराम से चलाए हुए हैं उसे देखते हुए लगता नहीं कि मामाजी की सरकार इनसे निपट पाएगी... इन गिरोहों का दखल अफीम के धंधे में भी रहता है और खुद अनिल सोनी ने लिखित में कम से कम सत्तर प्रॉपर्टी का नाम लेकर बताया है जिन पर इन अपराधी गिरोहों ने या तो अवैध कब्ज़ा किया है अथवा धमकाकर कम दामों में उसे खरीद लिया है.
इन मुस्लिम गिरोहों की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ढेर सारे अखबारी पन्ने रंगे जाने के बावजूद भाजपा के पिछले तेरह वर्षीय शासनकाल में उनका बाल भी बाँका न हो सका. सूत्रों के अनुसार मंदसौर में सबसे प्राईम लोकेशन पर जितनी भी जमीनें, बाज़ार, प्रॉपर्टी हैं उनमें से अधिकाँश पर कय्यूम लाला, शाहरुख पठान गिरोहों का अनधिकृत कब्ज़ा है. फिलहाल तो व्यापारी अपनी सुरक्षा के लिए दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन कोई राहत मिलती नहीं दिखाई दे रही...
अब कुछ अखबारों की कटिंग्स और उनमें छपे समाचारों देखकर आप समझ जाएँगे कि यह रोग कितना गंभीर है और उसका इलाज मंदसौर पुलिस प्रशासन द्वारा कितने हलके तरीके से किया जा रहा है...
शिवराज मामाजी और राजनाथ सिंह जी से उम्मीद की जाती है कि वे मंदसौर निवासियों को इन गिरोहों के आतंक से मुक्ति दिलाएँगे...