जैसे ही मीडिया को भगवा वस्त्र धारी कोई व्यक्ति किसी विवाद में दिखाई देता है तो उनकी बाँछें खिल जाती हैं, दिन-रात उसके बखिए उधेड़ना उनका प्रिय शगल बन जाता है. ये बात और है कि उड़ीसा के स्वामी लक्ष्मणानंद की माओवादियों द्वारा हत्या के बाद इस कथित नेशनल मीडिया में चुप्पी छा जाती है और इनके “खोजी पत्रकार” जो योगी आदित्यनाथ के परिवार का उत्तराखण्ड तक पीछा करते हैं, माओवादियों और चर्च के संबंधो की पड़ताल नहीं कर पाते. यही मीडिया उस समय अचानक रहस्यमयी चुप्पी साध लेता है, जब कोई इस्लामिक मौलाना अथवा कैथोलिक चर्च का वरिष्ठ पादरी किसी घटना को अंजाम देता है. ऐसा ही एक मामला हाल ही में केरल में सामने आया और हमेशा की तरह “नोएडा छाप” मीडिया ने उस पर पूरी तरह पर्दा डाले रखा.
केरल के कोट्टियूर में सेंट सेबेस्टियन चर्च का प्रमुख पादरी है फादर रॉबिन वडक्कमचेरी. हाल ही में केरल पुलिस ने उसे एक सोलह वर्षीय लड़की के साथ लगातार बलात्कार के मामले में गिरफ्तार किया है. यह लड़की चर्च द्वारा चलाए जा रहे स्कूल में आती थी और फादर रॉबिन उसके साथ लगातार बलात्कार करता रहा. इसके बाद लड़की गर्भवती हो गई और उसने एक बच्चे को जन्म भी दिया. इतना होने तक फादर रॉबिन ने लड़की और उसके परिवार को धमकाए रखा, किसी को कुछ नहीं बताने दिया.
जो लोग ऐसे मामलों में चर्च की कार्यप्रणाली जानते हैं और ठेठ पोप से लेकर निचले स्तर तक यौन शोषण के मामलों को छिपाने और दबाने की तकनीकों को जानते हैं, उन्हें इस खबर से कोई आश्चर्य नहीं होगा. चर्च “सहस्त्रबाहु” संस्था है, सभी मिलजुलकर एक-दूसरे की सहायता (चाहे अपराधी हो) करने भरपूर कोशिश करते हैं. (यहाँ क्लिक करके पढ़ें "यौनशोषण के पादरियों को माफी - पोप फ्रांसिस). सात फरवरी को यह लड़की चर्च संचालित, क्रिस्तु राज अस्पताल ले जाई गई, जहाँ उसने एक बच्चे को जन्म दिया. पुलिस के अनुसार फादर रॉबिन ने इस अस्पताल को मोटा चंदा दिया हुआ है, जिसके कारण इस अस्पताल ने भी घटना की सूचना पुलिस को देना उचित नहीं समझा. अस्पताल में डॉक्टर टेसी और डॉक्टर नेल्लायली थान्कम्मा ने लड़की की डिलेवरी करवाई. बच्चे को जन्म देने के बाद एक और डॉक्टर हैदर अली ने लड़की को दो दिन बाद डिस्चार्ज किया. इस बीच नेल्लायली, डॉक्टर लिज़ मारिया और सिस्टर अनीता (जो कि वायनाड में एक अनाथालय चलाती हैं) ने बच्चे को अस्पताल से ले जाकर वायनाड के एक अनाथालय में डाल दिया.
फादर रॉबिन यहीं नहीं रुका, जब लड़की ने हिम्मत दिखाकर पुलिस रिपोर्ट कर दी और पुलिस ने केस रजिस्टर कर लिया तो रॉबिन उस लड़की के पिता के पास जा पहुँचा और उसने उस गरीब खेत मजदूर को डरा-धमकाकर यह कबूल करवा लिया, कि मैंने ही अपनी बेटी का बलात्कार किया है और वह बच्चा मेरा है. चर्च की एक अन्य बाँह यानी “पालतू मीडिया” ने कैथोलिक समाचार पत्रों में उस बेचारी लड़की को ही दोषी ठहराना शुरू कर दिया. “संडे शैलोम” अखबार का संपादक लिखता है कि “...वह लड़की फादर रॉबिन की बेटी जैसी थी. यदि उस लड़की में ज़रा भी नैतिकता होती तो वह फादर रॉबिन की सेक्स संबंधी किसी भी पेशकश को ठुकरा सकती थी. उस लड़की को जीसस के सामने जवाबदेह है. उस लड़की को यह नहीं भूलना चाहिए था कि फादर रॉबिन भले ही जीसस का अंश हों, लेकिन हैं तो वह भी इंसान ही. कुछ क्षणों की मौजमस्ती के लिए फादर रॉबिन का “उपयोग” करना अच्छी बात नहीं है...”. चूँकि केरल की अधिकाँश शैक्षणिक संस्थाओं और चाईल्ड वेलफेयर कमेटी में चर्च के ही गुर्गे बैठे हुए हैं, इसलिए इस मामले को दबाने की भरपूर कोशिश की गई. लेकिन उस गरीब लड़की की हिम्मत ने अंततः फादर रॉबिन को “फिलहाल” जेल में पहुँचा ही दिया है. (यहाँ पढ़ें - "मध्यप्रदेश के रानापुर में एक और सेकुलर रेप).
“फिलहाल” इसलिए लिखा, क्योंकि पता नहीं वह फादर कितने दिनों तक जेल में रहेगा और बाहर निकलने के बाद भी चर्च का कोई न कोई उच्च पद उसका इंतज़ार कर ही रहा होगा... क्योंकि वेटिकन के पोप से लेकर केरल के मामूली चर्च तक सभी एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं, जबकि दिल्ली में बैठे तथाकथित नेशनल मीडिया को इस बात की कतई परवाह ही नहीं है... क्योंकि उसके मुँह में भी नोट ठुंसे हुए हैं. हाँ, लेकिन यदि ऐसा कोई काण्ड किसी भगवा वस्त्रधारी ने किया होता, तब आप देखते मीडिया द्वारा कैसा “शानदार सेकुलर कैबरे” किया जाता...