“बौद्धिक आतंकवादियों के खिलाफ जंग छेड़नी ही होगी...

Written by शुक्रवार, 03 मार्च 2017 20:28

अभी हाल ही में रामजस कॉलेज में AISA के बौद्धिक आतंकवादियों द्वारा देश में फिर से अराजकता उत्पन्न करने का कुत्सित प्रयास किया गया| एक सेमिनार थी जिसमे देश द्रोह के आरोपियों को बोलना था. विषय था "कल्चर ऑफ़ प्रोटेस्ट- अ सेमिनार एक्सप्लोरिंग रेप्रजेंटेशन ऑफ़ डिसेंट".

विरोध की संस्कृति कैसी होनी चाहिए इस पर वो लोग बोलना चाहते थे, जिन्होंने भारतवर्ष के विरोध में इसके टुकड़े-टुकड़े करने की कसमे खाईं| भारत के अभिन्न अंग कश्मीर को भारत से आज़ाद करने के हिंसक आन्दोलन के समर्थक लोग स्टेज पर बोलेंगे कि हमें विरोध कैसे करना चाहिए? विडम्बना ये है कि जो लोग खूनी माओवाद के धुर समर्थक हैं, जिनका संगठन JNU तक में बैन है, जिनके आकाओं के कहा कि "सत्ता बन्दूक की नलियों से निकलती है" अथवा "वो कामरेड हो ही नहीं सकता, जिसके हाथ खून से न रंगे हों|" ऐसे नरपिशाच लोग DU के छात्रो को सिखायेंगे कि विरोध कैसे करना चाहिए?

कहते हैं बच्चे अनगढ़ मिट्टी और शिक्षक कुम्हार होता है| कुम्हार अपनी चाक पर मिट्टी को घुमा घुमा कर घड़ा बना सकता है| पर वही मिट्टी जो एक सुन्दर सुराही बन सकती थी जरा सी असावधानी होने कूड़े के ढेर का हिस्सा हो जाती है| इन संस्थानों में ऐसे प्रोफेसर्स बहुतायत में हैं जो षडयंत्रपूर्वक छात्रों’ का ब्रेनवाश कर उन्हें कूड़े के ढेर का हिस्सा बना रहे हैं| JNU में किस तरह आतंकवादियों से हमदर्दी रखने वाले स्टूडेंट्स और प्रोफेसर्स हैं ये हम सभी जानते हैं| भारत की श्रमजीवी जनता के मेहनत के पैसे पर पलने वाले ये पैरासाइट्स भारत के खिलाफ, भारत के बेटों में ही जहर भरते हैं|

अब तक इनका दायरा सीमित था| ये सब देश के चुनिन्दा विश्वविद्यालयों में होता था, जैसे JNU, AMU आदि आदि| वहां से जम्मू और जाधवपुर यूनिवर्सिटी पहुंचे| अब इनका निशाना राष्ट्रवादियों का गढ़ दिल्ली यूनिवर्सिटी और बनारस हिन्दू विवि है | अब ये विषाणु हर जगह पांव पसारने की कोशिश कर रहे हैं | फिर इनके समर्थन में इनका आपसी गठजोड़ भी आ जाता है, जी हाँ वही दलाल पत्रकार और वोटों के भूखे नेता| ये वो वर्ग है जिसे इस देश के प्रति कभी श्रद्धा नहीं रही है, चाहे तो आप गौर से देख लीजिये| इनके समर्थन में वो सब लोग होंगे जो कश्मीर में आतंकवादियो के समर्थक हैं, जिनकी नजर में सेना बलात्कारी है, जिनकी नजर में नक्सल आतंकी मासूम हैं, जो NGO के खेल में सक्रिय हैं.. जिनके लिए हिन्दुस्थान अब रहने लायक नहीं बचा है ... और सबसे महत्वपूर्ण जिनकी नजर में औरंगजेब मसीहा है. जब राष्ट्रवादियों द्वारा ऐसे लोगों का विरोध होता है, तब यही लोग पहले उकसाने वाले नारे लगाते हैं, थूकते हैं, गालियाँ देते हैं, ढोल की थाप पर कोरस गातें हैं, नीम का पत्ता कड़वा है और फलां आदमी @#वा है जैसे अश्लील नारे लगाते हैं, मारपीट करते हैं. यदि पलट के कोई इनके गाल गरम कर दे, तो ये लोग “विक्टिम कार्ड” खेलना शुरू कर देते हैं. ऐसे दर्शातें हैं मानो जैसे इस देश में ये अति शोषित लोग हैं| असल में इनका काम सरल करते हैं मीडिया में बैठे इनके दलाल| जिनकी रिपोर्टिंग और शब्द ऐसे होते हैं जो देश की जनता में इनके लिए सहानुभूति उत्पन्न करते हैं.

इसे समझने के लिए एक उदाहरण लेते हैं :- आप कभी भी देख लीजिये. पत्रकार विशेष हमेशा किसी भी विवाद की स्थिति में रिपोर्टिंग करते समय AISA के “स्टूडेंट्स” और ABVP के “कार्यकर्त्ता” या सदस्य बोलेंगे| वो कभी ABVP के छात्र शब्द का प्रयोग नहीं करेंगे, जैसे कि AISA जैसे संगठनो के लिए ये करते हैं| ऐसे लोग हमेशा वामपंथी संगठनों की मारपीट या देशद्रोह को बड़ी चालाकी से छिपाते हैं| उदाहरण के लिए आपमें से कितने लोग जानते हैं कि दंतेवाडा में 76 जवानो की नृशंस हत्या पर JNU के आतंकियों ने जश्न मनाया था? कितने लोग जानते हैं कि JNU में महिषासुर के नाम पर माँ दुर्गा का अपमान किया गया था? आपमें से कितने लोग जानते हैं कि 29 अप्रैल 2000 को JNU में 2 आर्मी ऑफिसर्स को अमानवीय पद्धति से पीटा गया था, क्योंकि उन्होंने वहां मुशायरे में भारत विरोधी नारों का विरोध किया| अब आप खुद से पूछिए कि क्या ये न्यूज़ आपको टीवी काली करने वालों ने या देश को असहिष्णु बताने वालों ने प्राइम टाइम पर दिखाई थी? पूछिये इनसे कि तब इनके कैमरे कहाँ थे? यही लोग हैं जो एक पक्ष के दुष्प्रचार को बढ़ावा देते हैं| बिना पक्ष लिए अपना पक्ष रखना इसी को कहते हैं,और इस घृणित गठजोड़ का सच सामने लाना बहुत जरूरी है |

बहरहाल, आइये उन सभी को जबाब दें और भरपूर दें जो हमारे देश के खिलाफ हैं, जिनका सपना भारत की बर्बादी है. आइये जंग छेड़े उन “बौद्धिक आतंकवादियों” के खिलाफ जो हमारे देश के टुकड़े टुकड़े करना चाहते हैं| अब समय आ गया है हम पलट कर जबाब दें| कोई आपको ABVP का गुंडा कहे तो आप जबाब में AISA का आतंकवादी कहें| वो दिन गए जब “दुष्प्रचार राजनीति” को हम चुपचाप सह लेते थे, अब भारत की तरुणाई जाग चुकी है| ये अब तक सहा है, अब नहीं सहेंगे| इस वामपंथी गुंडागर्दी का हम हरसंभव विरोध करेंगे|

Read 2510 times