सरकार की नाक के नीचे बन रहे बांग्लादेशियों के "आधार"

Written by मंगलवार, 06 फरवरी 2018 13:09

भारत में बांग्लादेशी घुसपैठियों (Illegal Bangladeshi) की समस्या कोई नई नहीं है, जब से बांग्लादेश को भारत ने पाकिस्तान के चंगुल से बाहर निकाला तभी से अर्थात 1971 से ही बांग्लादेशियों के जत्थे के जत्थे भारत की ढीलीढाली और तमाम नदी-नालों-जंगलों एवं आधी-अधूरी तारबंदी के कारण बड़े आराम से भारत में घुसे चले आते हैं. इन अवैध बांग्लादेशियों का सबसे पसंदीदा ठिकाना है देश की राजधानी दिल्ली, कोलकाता और मुम्बई. क्योंकि इन महानगरों के विशाल आकार तथा यहाँ मौजूद सेकुलरिज्म के पुरोधाओं एवं मुल्ला वोट बैंक के सहारे राजनीति करने वाले लोग इनकी सेवा में उपस्थित हैं.

कड़वी वास्तविकता यह है कि विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय... किसी को भी निश्चित रूप से नहीं पता कि दिल्ली और NCR में कितने अवैध बांग्लादेशी (Bangladesh Refugees) रह रहे हैं. अभी तक यह सिद्ध होता रहा है कि पश्चिम बंगाल सरकार इन अवैध मुस्लिम बांग्लादेशियों के समर्थन में रहती है और इनके वोटर कार्ड, आधार कार्ड, पैन कार्ड वगैरह बनवाने में मदद करती है. इसी प्रकार असम में भाजपा की सरकार आने से पहले कई वर्षों तक लाखों बंगलादेशी भारतीय सुरक्षा बलों एवं अधिकारी-कर्मचारी के भ्रष्ट गठबंधन के कारण बड़े आराम से तमाम पहचान पत्र बना लेते थे. हाल ही में दिल्ली में ऐसा ही एक अपराधी गिरोह पकड़ में आया है, जो खुद पहले बांग्लादेश से आया है और वहाँ से नए आने वालों की आधार कार्ड और अन्य पहचान पत्र बनाने में मदद करता है. ज़ाहिर है कि यह एक बेहद खतरनाक और गंभीर मामला है.

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Fig 2. Md. Kabir Bangladesh national

 

इस मामले को देखिये... मोहम्मद सज्जादुल कबीर (जिसकी आयु 18 वर्ष है), एक बांग्लादेशी है जिसने आधिकारिक रूप से बांग्लादेश के पासपोर्ट पर (भारतीय टूरिस्ट वीजा लेकर) 20 जुलाई 2017 को पश्चिम बंगाल में कदम रखे. वहाँ से ये छोकरा ताबड़तोड़ दूसरे ही दिन दिल्ली पहुँच गया और कुछ ही महीने के अन्दर अब इसके पास भारतीय आधार कार्ड, पैन कार्ड और वोटर आईडी है, जिसमें NCR का एड्रेस प्रूफ लगा हुआ है. ज़ाहिर सी बात है कि स्थानीय गिरोह, भ्रष्ट अधिकारियों एवं विदेश मंत्रालय के ढीले रवैये की वजह से यह बड़ी सरलता से संपन्न हो गया. इस अवैध गतिविधि का केन्द्र है "कुख्यात बाटला हाउस" और अन्य मुस्लिम बहुल इलाके... जहाँ धड़ल्ले से बांग्लादेशियों, रोहिंग्याओं और पाकिस्तानियों को अवैध रूप से छिपने के लिए जगह भी मिल जाती है, और जल्दी ही आधार, पैन और वोटर आईडी भी बन जाते हैं... इनकी संख्या कितनी है, आज तक किसी को पता नहीं है. 

 

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इस मोहम्मद सज्जादुल से कुछ महीने पहले इसका चचा अपने पूरे परिवार के साथ सीमा पार कर दिल्ली पहुँचा और अब वह जाली पासपोर्ट बनाने के कारोबार में शामिल है. यह सिद्ध करता है कि वोट बैंक की घटिया राजनीति के कारण भारत की सुरक्षा को ताक पर रखने का काम भारत में वर्षों से चल रहा है. जब सभी को पता है कि बांग्लादेशियों का प्रिय अड्डा दिल्ली-NCR है, तो फिर केजरीवाल सरकार और केंद्र सरकार मिलकर इन्हें खोजने और एक “वर्किंग परमिट” देने का एक सघन अभियान क्यों नहीं चलातीं? यदि पुलिस, अर्धसैनिक बलों, CBI और भाजपा-आआपा दोनों पार्टियों के दिल्ली के स्थानीय नेता और कार्यकर्ता मिलकर एक योजना बनाएँ और इन अवैध बांग्लादेशियों, इनके आकाओं तथा नकली पहचान पत्र बनाने वाले गिरोहों का पर्दाफ़ाश किया जा सके.

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अवैध शरणार्थीयों की समस्या से सम्बन्धित दो लेख अवश्य पढ़ें... 

१) बांद्रा की झोपडपट्टी में हर साल लगने वाली आग का क्या रहस्य है?... :- http://www.desicnn.com/news/bandra-railway-station-slum-area-fire-and-vote-bank-politics 

२) रोहिंग्या शरणार्थी यानी कुत्ते की पूँछ... :- http://www.desicnn.com/news/history-of-rohingya-muslims-of-myanmar-and-islamic-countries-betrayal 

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