वामपंथ और उसके मानवाधिकारों का सच...
"सत्ता बन्दूक की नली से निकलती है..." का घोषवाक्य मानने वाले वामपंथी भारत में अक्सर मानवाधिकार और बराबरी वगैरह के नारे देते हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल में इनका तीस वर्ष का शासनकाल गुंडागर्दी, हत्याओं और अपहरण के कारोबार का जीता-जागता सबूत है... वामपंथ का यही जमीनी कैडर अब तृणमूल काँग्रेस में शिफ्ट हो गया है... फिलहाल पढ़िए मनीष कुमार द्वारा वामपंथ पर लिखित एक लेख...
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की नींव का एक वर्ष...
कल्पना कीजिए उस दिन की, जब आगामी 21 जून को “विश्व योग दिवस” के अवसर पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के सबसे प्रसिद्ध क्षेत्र अर्थात “राजपथ” पर रायसीना हिल्स के राष्ट्रपति भवन से लेकर ठेठ इण्डिया गेट तक हजारों बच्चे भारतीय ऋषियों की सर्वोत्तम कृतियों में से एक अर्थात “योगाभ्यास” का प्रदर्शन करें और उसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हों.
भारत में आँखों की सर्जरी का इतिहास दो सौ वर्ष पुराना
भारत में 200 वर्ष पहले आँखों की सर्जरी होती थी...शीर्षक देखकर आप निश्चित ही चौंके होंगे ना!!! बिलकुल, अक्सर यही होता है जब हम भारत के किसी प्राचीन ज्ञान अथवा इतिहास के किसी विद्वान के बारे में बताते हैं तो सहसा विश्वास ही नहीं होता. क्योंकि भारतीय संस्कृति और इतिहास की तरफ देखने का हमारा दृष्टिकोण ऐसा बना दिया गया है