desiCNN - Items filtered by date: अगस्त 2007
शनिवार, 04 अगस्त 2007 13:35
"सैंडी" का फ़्रेण्डशिप बैंड
उस दिन शाम को "सैंडी" बहुत दुःखी दिख रहा था, ना.. ना.. "सैंडी" कोई अमेरिकन नहीं है बल्कि कल तक नाक पोंछने वाला हमारा सन्दीप ही है । मेरे पूछते ही मानो उसका दुःख फ़ूट पडा़, बोला - भाई साहब, सारे शहर में ढूँढ कर आ रहा हूँ, "फ़्रेंडशिप बैंड" कहीं नहीं मिल रहा है । यदि मैं पूछता कि यह फ़्रेंडशिप बैंड क्या है, तो निश्चित ही वह मुझे ऐसे देखता जैसे वह अपने पिता को देखता है जब वह सुबह उसे जल्दी उठाने की कोशिश करते हैं, प्रत्यक्ष में मैने सहानुभूति जताते हुए कहा - हाँ भाई ये छोटे नगर में रहने का एक घाटा तो यही है, यहाँ के दुकानदारों को जब मालूम है कि आजकल कोई ना कोई "डे" गाहे-बगाहे होने लगा है तो उन्हें इस प्रकार के आईटम थोक में रखना चाहिये ताकि मासूम बच्चों (?) को इधर-उधर ज्यादा भटकना नहीं पडे़गा । संदीप बोला - हाँ भाई साहब, देखिये ना दो दिन बीत गये फ़्रेंडशिप डे को, लेकिन मैंने अभी तक अपने फ़्रेंड को फ़्रेंडशिप बैंड नहीं बाँधा, उसे कितना बुरा लग रहा होगा...। मैने कहा - लेकिन वह तो वर्षों से तुम्हारा दोस्त है, फ़िर उसे यह बैंड-वैंड बाँधने की क्या जरूरत है ? यदि तुमने उसे फ़्रेंडशिप बैंड नहीं बाँधा तो क्या वह दोस्ती तोड़ देगा ? या मित्रता कोई आवारा गाय-ढोर है, जो कि बैंड से ही बँधती है और नहीं बाँधा तो उसके इधर-उधर चरने चले जाने की संभावना होती है । अब देखो ना मायावती ने भी तो भाजपा के लालजी भय्या को फ़्रेंडशिप बैंड बाँधा था, एक बार जयललिता और ममता दीदी भी बाँध चुकी हैं, देखा नहीं क्या हुआ... फ़्रेंडशिप तो रही नहीं, "बैंड" अलग से बज गया, इसलिये कहाँ इन चक्करों में पडे़ हो... (मन में कहा - वैसे भी पिछले दो दिनों में अपने बाप का सौ-दो सौ रुपया एसएमएस में बरबाद कर ही चुके हो) । सैंडी बोला - अरे आप समझते नहीं है, अब वह जमाना नहीं रहा, वक्त के साथ बदलना सीखिये भाई साहब... पता है मेरे बाकी दोस्त कितना मजाक उडा़ रहे होंगे कि मैं एक फ़्रेंडशिप बैंड तक नहीं ला सका (फ़िर से मेरा नालायक मन सैंडी से बोला - जा पेप्सी में डूब मर) । फ़िर मैने सोचा कि अब इसका दुःख बढाना ठीक नहीं, उसे एक आईडिया दिया...ऐसा करो सैंडी... तुमने बचपन में स्कूल में बहुत सारा "क्राफ़्ट" किया है, एक राखी खरीदो, उसके ऊपर लगा हुआ फ़ुन्दा-वुन्दा जो भी हो उसे नोच फ़ेंको, उस पट्टी को बीच में से काटकर कोकाकोला के एक ढक्कन को चपटा करके उसमें पिरो दो, उस पर एक तरफ़ माइकल जैक्सन और मैडोना का और दूसरी तरफ़ संजू बाबा और मल्लिका के स्टीकर लगा दो, हो गया तुम्हारा आधुनिक फ़्रेंडशिप बैंड तैयार ! आइडिया सुनकर सैंडी वैसा ही खुश हुआ जैसे एक सांसद वाली पार्टी मन्त्री पद पाकर होती है... मेरा मन भी प्रफ़ुल्लित (?) था कि चलो मैने एक नौजवान को शर्मिन्दा (!) होने से बचा लिया ।
Friendship, Friendship Band, फ़्रेंडशिप, फ़्रेंडशिप बैंड, Friendship Satire
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शुक्रवार, 03 अगस्त 2007 20:27
किशोर कुमार के जन्मदिन पर दो गीत
किशोर दा का जन्मदिन ४ अगस्त को है, मुहम्मद रफ़ी की पुण्यतिथि के चार दिनों बाद ही किशोर कुमार की जयन्ती आती है । इन दो महान गायकों के बारे में तिथियों का ऐसा दुःखद योग अधिक विदारक इसलिये भी है कि यह पूरा सप्ताह इन दोनों गायकों के बारे में विचार करते ही बीतता है । उनके व्यक्तित्व, उनके कृतित्व, उनकी कलाकारी सभी के बारे में कई मीठी यादें मन को झकझोरती रहती हैं । किशोर दा के बारे में तो यह और भी शिद्दत से होता है क्योंकि उनके अभिनय और निर्देशन से सजी कई फ़िल्मों की रीलें मन पर छपी हुई हैं, चाहे "भाई-भाई" में अशोक कुमार से टक्कर हो, "हाफ़ टिकट" में हाफ़ पैंट पहने मधुबाला से इश्कियाना हो, "प्यार किये जा" के नकली दाढी़ वाले बूढे हों या फ़िर "पडो़सन" के मस्तमौला गुरु हों... उन जैसा विविधता लिये हुए कलाकार इस इंडस्ट्री में शायद ही कोई हुआ हो । क्या नहीं किया उन्होंने - निर्माता, निर्देशक, अभिनेता, संपादक, गायक, संगीतकार... है और कोई ऐसा "ऑलराऊंडर" ! उनके जन्मदिवस पर दो विविधतापूर्ण गीत पेश करता हूँ, जिससे उनकी "रेंज" और गाते समय विभिन्न "मूड्स" पर उनकी पकड़ प्रदर्शित हो सके । इनमे से पहला गीत है दर्द भरा और दूसरा गीत है मस्ती भरा । अक्सर किशोर कुमार को उनकी "यूडलिंग" के बारे में जाना जाता है, कहा जाता है कि किशोर खिलन्दड़, मस्ती भरे और उछलकूद वाले गाने अधिक सहजता से गाते हैं, लेकिन मुझे लगता है कि किशोर कुमार ने दर्द भरे गीत भी उतनी ही "उर्जा" से गाये हैं जितने कि यूडलिंग वाले गीत । किशोर कुमार के पास मन्ना डे जैसा शास्त्रीय "बेस" नहीं था, लेकिन गीत में ढलने का उनका अन्दाज उन्हें औरों से अलग और ऊँचा बनाता था (लगभग यही बात शाहरुख खान के बारे में भी कही जाती है कि शाहरुख के पास आमिर की तरह अभिनय की विशाल रेंज नहीं है, लेकिन अपनी ऊर्जा और अंग-प्रत्यंग को अभिनय में शामिल करके उसकी कमी वे पूरी कर लेते हैं... किशोर दा की नकल करने वाले और उन्हें अपना "आदर्श" मानने वाले कुमार सानू, बाबुल सुप्रियो आदि उनके बाँये पैर की छोटी उँगली के नाखून बराबर भी नहीं हैं) । बहरहाल, किशोर कुमार गाते वक्त अपने समूचे मजाकिया व्यक्तित्व को गीत में झोंक देते थे, और दर्द भरे गीत गाते समय संगीतकार के हवाले हो जाते थे । पहला गीत है फ़िल्म "शर्मीली" का "कैसे कहें हम,प्यार ने हमको क्या-क्या खेल दिखाये...", लिखा है नीरज ने, धुन बनाई है एस.डी.बर्मन दा ने । इस गीत में एक फ़ौजी के साथ हुए शादी के धोखे के दुःख को किशोर कुमार ने बेहतरीन तरीके से पेश किया है, उन्होंने शशिकपूर को अपने ऊपर कभी भी हावी नहीं होने दिया, जबकि इसी फ़िल्म में उन्होंने "खिलते हैं गुल यहाँ.." और "ओ मेरी, ओ मेरी शर्मीली.." जैसे रोमांटिक गाने गाये हैं । जब मैं किशोर दा के दर्द भरे नगमें चुनता हूँ तो यह गीत सबसे ऊपर होता है, इसके बाद आते हैं, "चिंगारी कोई भड़के...(अमरप्रेम)", "आये तुम याद मुझे.. (मिली)", "मंजिलें अपनी जगह हैं... (शराबी)" आदि... इसे "यहाँ क्लिक करके" भी सुना जा सकता है और नीचे दिये विजेट में प्ले करके सुना जा सकता है...
अगला गीत मैंने चुना है फ़िल्म "आँसू और मुस्कान" से, जिसकी धुन बनाई है एक और हँसोड़ जोडी़ कल्याणजी-आनन्दजी ने... गीत के बोल हैं "गुणी जनों, भक्त जनों, हरि नाम से नाता जोडो़..." इस गीत में किशोर कुमार अपने चिर-परिचित अन्दाज में मस्ती और बमचिक-बमचिक करते पाये जाते हैं...इस गीत के वक्त किशोर कुमार इन्कम टैक्स के झमेलों में उलझे हुए थे और उन्होंने ही जिद करके "पीछे पड़ गया इन्कम टैक्सम.." वाली पंक्ति जुड़वाई थी । मैंने "पडोसन" का "एक चतुर नार..." इसलिये नहीं चुना क्योंकि वह तो कालजयी है ही, और लगातार रेडियो / टीवी पर बजता रहता है । यदि आप तेज गति ब्रॉडबैंड के मालिक हैं तो "यहाँ क्लिक करके" यू-ट्यूब पर इस गीत का वीडियो भी देख सकते हैं, जिसमें साक्षात किशोर कुमार आपको लोटपोट कर देंगे...यदि नहीं, तो फ़िर नीचे दिये गये विजेट पर इसे प्ले करके सुन तो सकते ही हैं...
इस महान गायक... नहीं.. नहीं.. "हरफ़नमौला" को जन्मदिन की बधाई और हार्दिक श्रद्धांजलि...
किशोर कुमार, Kishore Kumar, Sharmeeli, Aansoo aur Muskan, Kishore Birthday, शर्मीली, आँसू और मुस्कान, किशोर कुमार जयन्ती
SHARMILEE - Kaise ... |
अगला गीत मैंने चुना है फ़िल्म "आँसू और मुस्कान" से, जिसकी धुन बनाई है एक और हँसोड़ जोडी़ कल्याणजी-आनन्दजी ने... गीत के बोल हैं "गुणी जनों, भक्त जनों, हरि नाम से नाता जोडो़..." इस गीत में किशोर कुमार अपने चिर-परिचित अन्दाज में मस्ती और बमचिक-बमचिक करते पाये जाते हैं...इस गीत के वक्त किशोर कुमार इन्कम टैक्स के झमेलों में उलझे हुए थे और उन्होंने ही जिद करके "पीछे पड़ गया इन्कम टैक्सम.." वाली पंक्ति जुड़वाई थी । मैंने "पडोसन" का "एक चतुर नार..." इसलिये नहीं चुना क्योंकि वह तो कालजयी है ही, और लगातार रेडियो / टीवी पर बजता रहता है । यदि आप तेज गति ब्रॉडबैंड के मालिक हैं तो "यहाँ क्लिक करके" यू-ट्यूब पर इस गीत का वीडियो भी देख सकते हैं, जिसमें साक्षात किशोर कुमार आपको लोटपोट कर देंगे...यदि नहीं, तो फ़िर नीचे दिये गये विजेट पर इसे प्ले करके सुन तो सकते ही हैं...
Aansoo Aur Muskan ... |
इस महान गायक... नहीं.. नहीं.. "हरफ़नमौला" को जन्मदिन की बधाई और हार्दिक श्रद्धांजलि...
किशोर कुमार, Kishore Kumar, Sharmeeli, Aansoo aur Muskan, Kishore Birthday, शर्मीली, आँसू और मुस्कान, किशोर कुमार जयन्ती
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गुरुवार, 02 अगस्त 2007 16:26
झाबुआ का "कड़कनाथ" मुर्गा
"कड़कनाथ मुर्गा"...नाम भले ही अजीब सा हो, लेकिन मध्यप्रदेश के झाबुआ और धार जिले में पाई जाने वाली मुर्गे की यह प्रजाति यहाँ के आदिवासियों और जनजातियों में बहुत लोकप्रिय है । इसका नाम "कड़कनाथ" कैसे पडा़, यह तो शोध का विषय है, लेकिन यह मुर्गा ऊँचा पूरा, काले रंग, काले पंखों और काली टांगों वाला होता है । झाबुआ जिला कोई पर्यटन के लिये विख्यात नहीं है, लेकिन जो भी बाहरी लोग और सरकारी अफ़सर यहाँ आते हैं, उनके लिये "कड़कनाथ" एक आकर्षण जरूर होता है ।
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बुधवार, 01 अगस्त 2007 10:10
शिल्पा को "गुणवत्ता" पुरस्कार
शिल्पा शेट्टी को "राष्ट्रीय गुणवत्ता पुरस्कार" मिल गया, चलो अच्छा हुआ वरना हम जैसे अज्ञानियों को पता कैसे चलता कि "गुणवत्ता" क्या होती है और किस चीज से खाई जाती है... लेकिन हमारी सरकार, संस्थायें और कुछ अधिकारियों ने हमें बता दिया कि गुणवत्ता "किस" से खाई जाती है । मैं तो सोच रहा था कि यह गुणवत्ता पुरस्कार रिचर्ड गेरे को मिलेगा कि उन्होंने कैसे शिल्पा को झुकाया, कैसे मोडा़ और फ़िर तडा़तड़ गुणवत्ता भरे चुम्बन गालों पर जडे़ । लेकिन सरकार तो कुछ और ही सोचे बैठी थी, सरकार एक तो कम सोचती है लेकिन जब सोचती है तो उम्दा ही सोचती है, इसलिये उसने शिल्पा को यह पुरस्कार देने का फ़ैसला किया । क्योंकि यदि रिचर्ड को देते तो सिर्फ़ किस के बल पर देना पड़ता, लेकिन अब शिल्पा को दिया है तो वह उसके बिग ब्रदर में बहाये गये आँसुओं, उसके बदले अंग्रेजों से झटकी गई मोटी रकम, फ़िर अधेडा़वस्था में भी विज्ञापन हथिया लेने और ब्रिटेन में एक अदद डॉक्टरेट हासिल करने के संयुक्त प्रयासों (?) के लिये दिया गया है । दरअसल सरकार ने बिग ब्रदर के बाद उसके लिये आईएसआई मार्क देना सोचा था, लेकिन अफ़सरों ने देर कर दी और रिचर्ड छिछोरा सरेआम वस्त्रहरण कर ले गया, फ़िर सरकार ने सोचा कि अब देर करना उचित नहीं है सो तड़ से पुरस्कार की घोषणा कर दी और देश की उभरती हुई कन्याओं को सन्देश दिया कि "किस" करना हो तो ऐसा गुणवत्तापूर्ण करो, अपने एक-एक आँसू की पूरी कीमत वसूलो । पहले सरकार यह पुरस्कार मल्लिका शेरावत को देने वाली थी, लेकिन फ़िर उसे लगा कि यह तो पुरस्कार का अपमान हो जायेगा, क्योंकि मल्लिका तो आईएसओ 14001 से कम के लायक नहीं है । तो भाईयों और (एक को छोड़कर) बहनों, अब कोई बहस नहीं होगी, सरकार ने गुणवत्ता के "मानक" तय कर दिये हैं, यदि कोई इस बात का विरोध करेगा तो उसे "महिला सशक्तीकरण" का विरोधी माना जायेगा ।
शिल्पा शेट्टी, Shilpa Shetty, गुणवत्ता पुरस्कार, रिचर्ड गेरे, Richard Gere
शिल्पा शेट्टी, Shilpa Shetty, गुणवत्ता पुरस्कार, रिचर्ड गेरे, Richard Gere
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