JNU छाप सहिष्णुता, स्वतंत्रता और लोकतंत्र का ढोंग
Written by Suresh Chiplunkar गुरुवार, 05 नवम्बर 2015 12:27इन दिनों भारत में लेखकों, साहित्यकारों, कलाकारों द्वारा पुरस्कार-सम्मान लौटाए जाने का “मौसम” चल रहा है. विभिन्न चैनलों द्वारा हमें बताया जा रहा है कि भारत में पिछले साठ वर्ष में जो कभी नहीं हुआ, ऐसा कुछ “भयानक”, “भीषण” जैसा कुछ भारत में हो रहा है. पुरस्कार-सम्मान लौटाने वाले जो भी “तथाकथित” बुद्धिजीवी हैं, उनकी पृष्टभूमि कुरेदते ही पता चल जाता है कि ये सभी स्वयं को “प्रगतिशील” कहलाना पसंद करते हैं (वास्तव में हैं नहीं). फिर थोड़ा और कुरेदने से पता चलता है कि इनमें से अधिकाँश शुरू से भाजपा-संघ-मोदी विरोधी रहे हैं.
ताबूतों पर काँग्रेसी राजनीति और 2G घोटाला..
Written by Suresh Chiplunkar शुक्रवार, 30 अक्टूबर 2015 21:39भारत में ये कहावत अक्सर सुनी जाती हैं, कि “जब मुसीबतें और बुरा वक्त आता है, तो चारों तरफ से आता है”... आज ये कहावत देश में काँग्रेस की स्थिति और उसके द्वारा रचित झूठों, जालसाजियों और षडयंत्रों पर पूरी तरह लागू होती दिखाई दे रही है. 16 मई 2014 को भारत की जनता ने काँग्रेस को उसके पिछले दस वर्षों के भ्रष्टाचार, कुशासन और अहंकार की ऐसी बुरी सजा दी, कि उसे मात्र 44 सीटों पर संतोष करना पड़ा.
काँग्रेस के बुरे दिनों को जारी रखते हुए सबसे ताज़ा मामला, अर्थात काँग्रेस के मुँह पर पड़ने वाला “तीसरा तमाचा” रहा संजीव भट्ट केस. पाठकों को याद होगा कि गुजरात 2002 के दंगों के पश्चात नरेंद्र मोदी को घेरने के लिए काँग्रेस-NGOs-मीडिया गठबंधन के दो-तीन प्रमुख पोस्टर चेहरे हुआ करते थे, पहली थीं तीस्ता जावेद सीतलवाड, दूसरी थीं अहसान जाफरी की विधवा और तीसरे थे पुलिस अफसर संजीव भट्ट.
- Sanjeev Bhatt
- desicnn
- Congress and Sanjeev Bhatt
- Suspended IPS Sanjeev Bhatt
- Gujrat Riots and Sanjeev Bhatt
- Narendra Modi and Teesta Setalvad
- Teesta Setalvad Congress Connection
- Lies Spread on Gujrat Riots
- How Gujrat 2002 became biggest Riot
- Media Bias and Gujrat Riots
- Rajdeep Sardesai and Gujrat 2002
गणेश देवी ने साहित्य अकादमी पुरस्कार क्यों लौटाया?
Written by Suresh Chiplunkar शनिवार, 24 अक्टूबर 2015 21:14आजकल देश के साहित्यकारों-लेखकों में सम्मान-पुरस्कार लौटाने की होड़ बची हुई है. बड़े ही नाटकीय अंदाज़ में देश को यह बताने की कोशिश की जा रही है कि भारत में “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खतरे में है”, “लेखकों को दबाया जा रहा है”, “कलम को रोका जा रहा है”... आदि-आदि-आदि.
एक ब्रिटिश खलासी डेनियल रौस के नाम पर इस द्वीप का नामकरण किए गया था. उस द्वीप पर एक देवी रहती हैं, जिसका नाम है “अनुराधा”. लेकिन मैं आपको इस अनुराधा की कहानी क्यों सुना रहा हूँ?
सादगी और ईमानदारी की प्रतिमूर्ति मनोहर पर्रीकर...
Written by Suresh Chiplunkar बुधवार, 14 अक्टूबर 2015 12:56गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री, भारत के रक्षामंत्री मनोहर गोपालकृष्ण पर्रीकर की सादगी के कई किस्से गोवा में प्रसिद्ध हैं. ईमानदारी का ढोंग करने वाले कई नेता भारत ने देखे हैं, परन्तु यह गुण पर्रीकर के खून में ही है... पर्रीकर से जुडी कुछ और प्रेरक बातें जानिये....
यदि कोई व्यक्ति यह कहे कि वह दूध में घुली हुई शकर को देख सकता है, या छानकर दोनों को अलग-अलग कर सकता है, तो निश्चित ही या तो वह कोई महात्मा होगा या फिर कोई मूर्ख होगा. इसी प्रकार जब कोई यह कहता है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा सरकारों का आपस में कोई सम्बन्ध नहीं है, संघ एक सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन है और वह किसी भी सरकार के काम में दखलंदाजी नहीं करता, तो बरबस हँसी छूट ही जाती है.
हाल ही में केन्द्र सरकार ने विभिन्न संगठनों की माँग पर 2011 की जनगणना के धर्म संबंधी आँकड़े आधिकारिक रूप से उजागर किए हैं. जैसे ही यह आँकड़े सामने आए, उसके बाद से ही देश के भिन्न-भिन्न वर्गों सहित मीडिया और बुद्धिजीवियों में बहस छिड़ गई है. हिन्दू धार्मिक संगठन इन प्रकाशित आँकड़ों को गलत या विवादित बता रहे हैं, क्योंकि आने वाले भविष्य में इन्हीं का अस्तित्त्व दाँव पर लगने जा रहा है.
हाल ही में आई किसी नई फिल्म में एक संवाद था कि, “वो करें तो चमत्कार, और हम करें तो बलात्कार”. शिक्षा संस्थाओं के “भगवाकरण” और अन्य संस्थाओं को दक्षिणपंथी बनाने का आरोप ठीक ऐसा ही है जैसे कोई बलात्कारी व्यक्ति खुद को संत घोषित करते हुए सामने वाले पर चोरी का आरोप मढ़ने की कोशिश करे. मोदी सरकार द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र का उपयोग करते हुए जनता के धन से चलने वाली इस संस्था का प्रमुख नियुक्त करने को लेकर जैसा फूहड़ आंदोलन किया जा रहा है, वह इसी मानसिकता का नतीजा है.