बुधवार, 16 मई 2007 17:21
है "चीट" जहाँ की रीत सदा...
गीतों पर लिखते-लिखते अचानक मन में पैरोडी का ख्याल आया और यह ब्लॉग लिखने की सूझी... आदरणीय मनोजकुमार और गीतकार (शायद इन्दीवर) से माफ़ी के साथ यह कुछ पंक्तियाँ पेश हैं... यह गीत लगभग तीस वर्ष पहले लिखा गया था, लेकिन यह पैरोडी आज के हालात बयाँ करती है.... (Poorab aur Pashchim)
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