रविवार, 15 नवम्बर 2015 19:42
बाल अपराधी क़ानून, निर्भया और अफरोज़
मैं जानता हूँ कि शीर्षक देखकर आप चौंके होंगे, लेकिन यह सवाल है ही ऐसा. और यह सवाल करना इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि दिसम्बर 2015 के बाद ऐसा हो सकता है कि दिल्ली-मुम्बई-आजमगढ़-कटिहार से लेकर भारत के किसी भी शहर में आपकी बेटी, या बीवी या बहू के आसपास ही “निर्भया” का बलात्कारी बैठा हो, उनसे बातें कर रहा हो. यह बात मैं आपको डराने के लिए नहीं कर रहा हूँ, बल्कि भारत के वर्तमान कानूनों एवं कथित मानवाधिकारवादियों के समाज-विरोधी कारनामों की वजह से पैदा हुई स्थिति को स्पष्ट करने के लिए कह रहा हूँ...
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