ताजमहल नहीं, हम्पी-एलोरा है भारतीय कला-संस्कृति की विरासत
कुछ समय पहले उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बयान दिया था कि “ताजमहल को भारत की परम्परा और विरासत नहीं माना जा सकता”. जैसी कि उम्मीद थी, योगी आदित्यनाथ के इस बयान को लेकर “सेकुलरिज्म एवं वामपंथ” के नाम पर पाले-पोसे जाते रहे परजीवी तत्काल बाहर निकलकर विरोध प्रकट करेंगे.
ताज : दूध का दूध पानी का पानी करें !
(१) प्रोफ़ेसर पी.एन.ओक की मूल मराठी पुस्तक (जो कि इन्दिरा गाँधी द्वारा प्रतिबन्धित कर दी गई थी) की PDF फ़ाईल यहाँ क्लिक करके प्राप्त की जा सकती है (साईज 25 MB है) ।
(२) प्रोफ़ेसर पीएन ओक के सवालों का हिन्दी अनुवाद यहाँ पर उपलब्ध है ।
(३) लाल किले और ताजमहल सम्बन्धी तस्वीरों वाले प्रमाण स्टीफ़न नैप की साईट पर (यहाँ क्लिक करें) उपलब्ध हैं ।
ताजमहल पर जारी मूर्खता
ताजमहल को लेकर हमारे देश में एक मुहिम चलाई जा रही है, एसएमएस भेजो, ईमेल करो, रैली निकालो, तस्वीरें छपवाओ, अपीलें जारी करो, और भी ना जाने क्या-क्या । जिससे कि ताज को सात आश्चर्यों में शामिल करवाया जा सके । अव्वल तो यह शायद ही हो, और मान लो चलो ताज सात आश्चर्यों में आ भी गया, तो उससे क्या होगा ? समर्थक कहते हैं - इससे पर्यटन बढेगा, ताज के संरक्षण के लिये विदेशी मदद मिलेगी, देश का गौरव बढेगा... आदि-आदि...