मंगलवार, 15 अक्टूबर 2013 16:25
After Tunda and Bhatkal, Its Dawood Ibrahim Now??
अब दाऊद इब्राहीम को "जंवाई" बनाने की तैयारी...?
अब्दुल करीम टुंडा और रियाज़ भटकल के बाद अब दाऊद इब्राहीम को "जमाई" बनाने की तैयारियां जोरों पर हैं. सूत्रों के अनुसार दाऊद के साथ सरकार की बातचीत लगभग अंतिम चरण में है. मामला उसके धंधे(???) संबंधी कुछ शर्तों पर अटका हुआ है.
उल्लेखनीय है कि टुंडा और भटकल की गिरफ्तारी भी "दिखाई" गई थी. यदि नेपाली अखबारों की बात सच मानें तो इन दोनों को नेपाल में गिरफ्तार करने के बाद कुछ गुप्त शर्तों के तहत भारत की एजेंसियों को सौंपा गया है. एक तरफ दाऊद भी अब पाकिस्तान की सरकार के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है और दूसरी तरफ आईएसआई भी उसके धंधे में से मोटा माल हथियाने के लिए दबाव बनाने लगी है. इसलिए अब दाऊद "भारत में सुरक्षित" रहना चाहता है.
टुंडा के दिल का आपरेशन करवा दिया है... लंगड़े अब्दुल मदनी का भी उच्च स्तरीय आयुर्वेदिक इलाज करवा दिया है... कसाब और अफज़ल की भी भरपूर खातिरदारी की ही थी, यानी भारत में गांधीवाद और मानवाधिकार(??) का धंधा चमकदार और असरदार है... क्या कहा साध्वी प्रज्ञा का कैंसर??? अरे छोडो भी, हिन्दुओं की औकात ही क्या है?
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वैसे भी दाऊद के अधिकाँश खैरख्वाह तो भारत में ही हैं... चाहे नेता हों या उद्योगपति. इसलिए यदि अगले माह दाऊद की "गिरफ्तारी"(?? हा हा हा हा) हो जाए तो चौंकिएगा नहीं... साथ ही "मीडियाई दल्लों" को भी आसाराम की जगह दाऊद मिल जाएगा दो सप्ताह तक चबाने के लिए...
आपके लिए शायद यह नई खबर हो सकती है, अलबत्ता गृहमंत्री शिंदे और शरद पवार के लिए यह "बहूऊऊऊत पुरानी" खबर है...
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शनिवार, 17 नवम्बर 2012 12:26
Double Standards of Media and Secularism : Gujarat Elections
मीडिया, सेकुलरिज़्म और गुजरात चुनाव… (एक माइक्रो-पोस्ट)
भारत के चुनाव आयोग ने गुजरात में मकसूद काज़ी (अल्पसंख्यक सेल सूरत), तथा दो अन्य कांग्रेसी नेताओं कादिर पीरज़ादा व रिज़वान उस्मानी के खिलाफ़ चुनाव प्रचार के दौरान "भड़काऊ भाषण देने, घृणा फ़ैलाने, धार्मिक विद्वेष पैदा करने" समेत कई धाराओं में FIR दर्ज की है।
केन्द्रीय मंत्री शंकर सिंह वाघेला भी पीछे नहीं हैं, इनके खिलाफ़ भी चुनाव आयोग ने "आपत्तिजनक और उकसाने वाली भाषा" को लेकर FIR दर्ज कर दी है…। चूंकि सभी भाषणों की वीडियो रिकॉर्डिंग हो रही है, इसलिए चुनाव आयोग स्वयं संज्ञान से यह कार्रवाई कर रहा है। अधिकांश उत्तेजक भाषणों में गोधरा के दंगों और मुसलमानों के साथ अन्याय इत्यादि को लेकर ही भड़काने वाले भाषण दिए जा रहे हैं।
(हालांकि "सेक्यूलर वेश्यावृत्ति" से ग्रस्त मीडिया में इस सम्बन्ध में कोई खबर नहीं है)
यहाँ पर सवाल यह नहीं है कि ये लोग ऐसा क्यों कर रहे हैं? क्योंकि हम तो जानते ही हैं "कांग्रेस ही इस देश की सबसे बड़ी साम्प्रदायिक पार्टी है", लेकिन जब नरेन्द्र मोदी समेत गुजरात के सभी मंत्री "विकास" के मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे हैं, साम्प्रदायिक मुद्दों को पीछे छोड़ चुके हैं… तो फ़िर कांग्रेसी बार-बार गोधरा-गोधरा कहकर आग में घी क्यों डाल रहे हैं। विकास के मुद्दों पर चुनाव क्यों नहीं लड़ते?
इसी
"नकली" मीडिया ने असम और हैदराबाद की घटनाओं पर अभी तक एक शब्द भी नहीं
कहा है… जबकि आपको याद होगा कि वरुण गाँधी द्वारा "हाथ काटने" वाले बयान पर
सभी सेकुलरों ने अपने कपड़े तार-तार कर लिए थे…
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अब कल्पना कीजिए कि यदि इनकी हरकतों की वजह से नरेन्द्र मोदी या किसी अन्य भाजपा नेता के मुँह से कोई गलत-सलत बात निकल गई तो यह "नेशनल मीडिया" और तथाकथित "सिक-यू-लायर" कैसी दुर्गन्ध मचाएंगे…
तात्पर्य यह है कि, जब हम "सेक्यूलरों, कांग्रेसियों और मीडिया" को (________), तथा (__________) और (_________) कहते हैं… तो हम बिलकुल सही कहते हैं…।
स्रोत :- http://deshgujarat.com/2012/11/15/so-who-exactly-is-communal-in-gujarat-in-this-election-season/
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