यह सन् 1980 की बात है। तब #डॉ_कर्ण_सिंह श्रीमती इंदिरा गाँधी के कैबिनेट मंत्री थे। उन्होंने अपने मित्र #रोमेश_थापर से एक दिन शिकायत की कि उनकी बहन #रोमिला_थापर “अपने इतिहासलेखन से भारत को नष्ट कर रही हैं”। इस पर उन की रोमेश से तीखी तकरार हो गई। यह प्रत्यक्षदर्शी वर्णन स्वयं रोमिला की भाभी और अत्यंत विदुषी समाजसेवी एवं प्रसिद्ध अंग्रेजी विचार पत्रिका #सेमिनार की संस्थापक, संपादक #राज_थापर ने अपनी आत्मकथा में लिखा है (राज थापर, ऑल दीज इयर्स, पृ. 462-63)। ध्यान दें कि यह लिखते हुए राज ने रोमिला का बचाव नहीं किया। उलटे कर्ण सिंह से इस झड़प में अपने पति रोमेश को ही कमजोर पाया जो “केवल भाई” के रूप में उलझ पड़े थे। संकेत यही मिलता है कि कर्ण सिंह की बात राज को अनुचित नहीं लगी थी।

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