भाषा, उच्चारण और वर्णमाला (भाग-५)
Phonetics, Language, Alphabets in Hindi
अब तक पिछले चार भागों में हम उच्चारण के मूलभूत सिद्धांत, विभिन्न उच्चारक, उनकी स्थितियाँ, व्यंजन और अनेक परिभाषाओं के बारे में जान चुके हैं। इस भाग में हम जानेंगे स्वरों के बारे में।
पहले भाग में मैंने स्वरों की जो सूची दी थी, उसमें अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, ऋ और लृ को स्थान दिया था। इस पर कुछ पाठकों ने शंका व्यक्त की थी कि ‘अं’ और ‘अः’ को इसमें शामिल क्यों नहीं किया गया है। इसका कारण समझने की कोशिश करें–
भाषा, उच्चारण और वर्णमाला (भाग-२)
Phonetics, Language, Alphabets in Hindi
(भाग-१ से जारी...)
हमारी सृष्टि अक्षर से उत्पन्न होती है, इनका क्षरण नहीं होता इसलिये ये अक्षर कहलाते हैं। हमारी भाषा भी अक्षरों पर आधारित होती है, इन अक्षरों का भी क्षरण नहीं होता। अक्षर में स्वर और व्यंजन दोनों आते हैं, इन्हें वर्ण भी कहा जाता है। ये सारे वर्ण ध्वनि पर आधारित हैं, ध्वनि ही नाद है, और यह नाद सम्पूर्ण आकाश में व्याप्त रहता है - सूक्ष्म रूप में। इसीलिये आज वैज्ञानिक, कृष्ण द्वारा कही गई गीता को अंतरिक्ष से प्राप्त करने के प्रयास में जुटे हैं।
भाषा, उच्चारण और वर्णमाला (भाग-१)
Phonetics, Language, Alphabets in Hindi
अक्सर हमारे मन में सवाल उठते हैं कि आखिर “भाषा” का उद्भव कैसे हुआ? वर्णमाला कैसे बनी?, उच्चार क्रिया क्या है? क, ख, ग, घ के बाद ङ ही क्यों आता है, ण क्यों नहीं आता?
किसी भी भाषा का विकास एक सतत प्रक्रिया है, मानव जीवन के हजारों वर्षों के इतिहास में कई बोलियाँ आईं-गईं, कई लिपियाँ बनीं-मिटीं, कई भाषाओं का उत्थान-पतन हुआ, कुछ लुप्त हो गईं या होने की कगार पर हैं। इस सारी प्रक्रिया में हमारे पूर्वजों, उनके पूर्वजों, साधु-महात्माओं, विद्वानों आदि सभी नें भाषा और उच्चारण क्रिया में कुछ ना कुछ शोध करके उसे आगे, और आगे बढाने का महती कार्य किया है।