मंगलवार, 09 अक्टूबर 2007 12:43

भाषा, उच्चारण और वर्णमाला (भाग-४)

Phonetics, Language, Alphabets in Hindi

‘अ’ की तरह ‘ह’ को भी सभी वर्णों का प्रकाशक कहा जाता है। कोई भी वर्ण बिना विसर्ग और अकार के बिना उच्चारित नहीं हो सकता। अ ही नाभि की गहराई से उच्चरित होने पर विसर्ग बन जाता है। इस प्रकार अ स्वयं अपने में से अपना विरोधी स्वर उत्पन्न करता है। तात्पर्य यह कि अ से ह तक की वर्णमाला में विसर्ग और अकार किसी ना किसी रूप में मौजूद रहते हैं।

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शुक्रवार, 05 अक्टूबर 2007 21:02

भाषा, उच्चारण और वर्णमाला (भाग-३)

Phonetics, Language, Alphabets in Hindi

(भाग-२ से जारी...)

कभी-कभी आश्चर्य होता है, अपने मुँह से हम इतने सारे शब्द, इतनी ध्वनियाँ कैसे निकालते हैं, यही तो हमारे वाणी तंत्र की विशेषता है। मानव का वाणी तंत्र नाभि से होंठ तक होता है, यह ध्वनि का एक अद्‌भुत उपकरण है। मनुष्य का वाणी तंत्र सर्वाधिक विकसित होता है। अन्य प्राणियों, पशु-पक्षियों में यह तंत्र इतना विकसित नहीं होता, इसीलिये उनकी ध्वनियाँ बहुत सीमित होती हैं। चिड़िया सिर्फ़ चीं-चीं करती सुनाई देती है, शेर-गाय-बकरी आदि की ध्वनियाँ भी सीमित हैं। लेकिन मनुष्य में हर वर्ण का एक अलग स्थान से उच्चारण होता है। इस तंत्र के ज्यादा से ज्यादा इतने हिस्से तय किये गये हैं कि प्रत्येक वर्ण के लिये एक-एक स्थान निर्धारित है।

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