कांग्रेस का हाथ... वामपंथ और देशविरोधियों के साथ
मोदी के विरोध और वामपंथ-मुस्लिम मानसिकता से ग्रस्त JNU विवि, अफज़ल गूरू के समर्थन में "देशद्रोह" के स्तर तक पहुँच जाएगा, किसी ने सोचा नहीं था... पढ़िए इस विवि से निकलने वाली घटिया राजनीति, और वैचारिक ज़हर की पड़ताल करती रिपोर्ट...
JNU छाप सहिष्णुता, स्वतंत्रता और लोकतंत्र का ढोंग
इन दिनों भारत में लेखकों, साहित्यकारों, कलाकारों द्वारा पुरस्कार-सम्मान लौटाए जाने का “मौसम” चल रहा है. विभिन्न चैनलों द्वारा हमें बताया जा रहा है कि भारत में पिछले साठ वर्ष में जो कभी नहीं हुआ, ऐसा कुछ “भयानक”, “भीषण” जैसा कुछ भारत में हो रहा है. पुरस्कार-सम्मान लौटाने वाले जो भी “तथाकथित” बुद्धिजीवी हैं, उनकी पृष्टभूमि कुरेदते ही पता चल जाता है कि ये सभी स्वयं को “प्रगतिशील” कहलाना पसंद करते हैं (वास्तव में हैं नहीं). फिर थोड़ा और कुरेदने से पता चलता है कि इनमें से अधिकाँश शुरू से भाजपा-संघ-मोदी विरोधी रहे हैं.