बान्द्रा स्टेशन की झोपडपट्टी में प्रतिवर्ष आग का रहस्य
सबसे पहले कुछ पंक्तियाँ उन पाठकों के लिए, जिन्हें बांद्रा स्टेशन (Bandra Railway Station) के बारे में जानकारी नहीं है. मुम्बई में स्थित बांद्रा रेलवे स्टेशन, दादर एवं मुम्बई सेन्ट्रल (Mumbai Central) स्टेशन पर पड़ने वाले ट्रेनों के दबाव को कम करने के लिए एक अतिरिक्त टर्मिनस स्टेशन के रूप में विकसित किया गया था, यह स्टेशन पश्चिम रेलवे के अंतर्गत आता है.
१४ मई विशेष :- वेदों में नारी का स्थान - सन्दर्भ सहित
नारी जाति के विषय में वेदों को लेकर अनेक भ्रांतियां हैं। भारतीय समाज में वेदों पर यह दोषारोपण किया जाता हैं की वेदों के कारण नारी जाति को सती प्रथा, बाल विवाह, देवदासी प्रथा, अशिक्षा, समाज में नीचा स्थान, विधवा का अभिशाप, नवजात कन्या की हत्या आदि अत्याचार हुए हैं।
मोबाईल के कारण आ रही भाषा विकृति
आजकल तकनीक का ज़माना है. हर व्यक्ति के हाथ में मोबाईल है, स्मार्टफोन है, लैपटॉप है, इंटरनेट है. इन आधुनिक उपकरणों के कारण संवाद और सम्प्रेषण की गति बहुत तेज हो गई है. पलक झपकते कोई भी सन्देश दुनिया के दुसरे छोर पर पहुँच जाता है. लेकिन यह स्पष्ट रूप से देखने में आ रहा है कि मोबाईल अथवा स्मार्टफोन के जरिये भेजे जाने वाले संदेशों में भाषा और व्याकरण की गंभीर त्रुटियाँ हो रही हैं. इस कारण न सिर्फ हिन्दी, बल्कि अंगरेजी भाषा भी भ्रष्ट और विकृत हो रही है. इस बीमारी का प्रमुख कारण है “जल्दबाजी और अधूरा ज्ञान”.
वेटिकन द्वारा रेपिस्ट पादरी की भारत में नियुक्ति
पिछले कुछ वर्षों में चर्च के पादरियों द्वारा बाल यौन शोषण की घटनाएँ पश्चिम में अत्यधिक मात्रा में बढ़ गई हैं. समूचा वेटिकन प्रशासन एवं स्वयं पोप पादरियों की इस “मानसिक समस्या” से बहुत त्रस्त हैं. ऐसे ही एक यौनपिपासु पादरी को वेटिकन ने भारत में नियुक्त किया है... विस्तार से पढ़िए...
FTII पुणे और वामपंथी गिरोह के कारनामे
हाल ही में आई किसी नई फिल्म में एक संवाद था कि, “वो करें तो चमत्कार, और हम करें तो बलात्कार”. शिक्षा संस्थाओं के “भगवाकरण” और अन्य संस्थाओं को दक्षिणपंथी बनाने का आरोप ठीक ऐसा ही है जैसे कोई बलात्कारी व्यक्ति खुद को संत घोषित करते हुए सामने वाले पर चोरी का आरोप मढ़ने की कोशिश करे. मोदी सरकार द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र का उपयोग करते हुए जनता के धन से चलने वाली इस संस्था का प्रमुख नियुक्त करने को लेकर जैसा फूहड़ आंदोलन किया जा रहा है, वह इसी मानसिकता का नतीजा है.
ICHR में घुसे बैठे बौद्धिक धूर्त-लुटेरे और उनके कारनामे...
कागज़ बचाओ, पर्यावरण बचाओ...
कागज : एक राष्ट्रीय सम्पत्ति
सन २००४ के आम चुनाव भारत के लिये बेहद महत्वपूर्ण साबित हुए हैं, राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से, क्योंकि विश्व के इन सबसे बडे चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (Electronic Voting Machines) का देशव्यापी उपयोग किया गया, जिसके कारण लाखों टन कागज की बचत हुई । जाहिर है लाखों टन कागज की बचत अर्थात लाखों पेड़ कटने से बच गये, पर्यावरण (Environment) की नजर से यह एक असाधारण उपलब्धि मानी जा सकती है।