लॉकडाउन के बाद अब देश को अनलॉक करने की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन देश की वितरण व्यवस्था संभालने वाला 9 करोड़ की संख्या का व्यापारी वर्ग अभी तक व्यापार विकास प्रोत्साहन से अछूता ही रहा है। अनलॉक में व्यापारियों को कोई मदद तो नहीं मिली, उलटे वे सरकारी नियमावली के मकड़जाल, बैंकों के उत्पीड़न और नए-नए अध्यादेशों के शिकार हो गए हैं।

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हमारे हिंदुस्तान में अब बहुत कुछ पहले जैसा नहीं होगा। बहुत कुछ बदल गया है। एकदम उलट हालात में चला गया है। फिर भी आपको, अगर लग रहा हो कि फिर से वही पुरानेवाले दिन आ जाएंगे। सब कुछ पहले जैसा होगा। जीना आसान होगा और हालात सुधरेंगे। तो भूल जाइए। कम से कम 5 साल तक तो यह सब दिमाग से बिल्कुल ही निकाल दीजिए कि जिंदगी फिर से ठीक ठाक हो जाएगी।

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