Save Ganga : Prof GD Agrawal on Fast Unto Death

Written by रविवार, 24 फरवरी 2013 18:40

गंगापुत्र  प्रोफ़ेसर जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद फिर से अनशन पर... 


IIT के भूतपूर्व प्रोफ़ेसर और प्रख्यात पर्यावरणवादी जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद, गंगा को बचाने के लिए विगत २६ जनवरी से अनशन पर हैं. लेकिन इस सम्बन्ध में कहीं कोई मीडिया कवरेज, हलचल या चर्चा तक नहीं है...

पिछले वर्ष २०१२ में ही प्रोफ़ेसर ने १४ जनवरी से १३ मार्च (तीन माह) का अनशन किया था, जो सरकारों के आश्वासन पर खत्म किया था. इसके पहले भी वे कई बार मौत के मुँह से वापस आ चुके हैं. खनन माफिया और बाँध माफिया की आँखों की किरकिरी तो वे हैं ही...

गंगा के प्रवाह को बचाने के लिए, अपने अनशन के जरिये प्रोफ़ेसर अग्रवाल पहले भी उत्तरकाशी से ऊपर तीन बाँध परियोजनाओं को रद्द करवा चुके हैं, इसके अलावा गोमुख से धरासूं तक भागीरथी नदी की के १३५ किमी किनारे को पर्यावरण की दृष्टी से संवेदनशील भी घोषित करवा चुके हैं. 




मीडिया की आपराधिक लापरवाही शायद इसलिए है क्योंकि प्रोफ़ेसर साहब, गंगा नदी के किनारे कुम्भ की चमक-दमक और साधू-संतों के वैभव से दूर नर्मदा किनारे अमरकंटक में अनशन पर बैठे हैं... हालांकि उनकी कई मांगों के साथ पहले भी कई बार सरकारों द्वारा विश्वासघात हो चुका है, परन्तु वर्तमान अनशन तीन प्रमुख मांगों को लेकर है, जिसका वादा पहले भी किया गया था.

१- भागीरथी, अलकनंदा,मंदाकिनी, नंदाकिनी और विश्नुगंगा, इन पाँच मूल धाराओं पर बनने वाली समस्त परियोजनाएं रद्द की जाएँ.

२- गंगा और गंगा नदी में मिलने वाले सभी नालों के आसपास स्थित चमड़ा और पेपर उद्योगों को पचास किमी दूर हटाया जाए.

३- गंगा नदी में नारोरा से प्रयाग तक हमेशा कम से कम १०० घनमीटर प्रति सेकण्ड प्रवाह मिले, जबकि कुम्भ या ऐसे पर्वों के दौरान कम से कम २०० घनमीटर प्रति सेकण्ड का प्रवाह मिले.


दुःख की बात यह है कि गंगा सफाई के नाम पर गत कई वर्षों में तीस हजार करोड़ से भी अधिक खर्च हो जाने के बावजूद गंगा की स्थिति बदतर ही होती जा रही है. न ही किसी धर्म प्रमुख या धर्म संसद ने कभी यह कहा कि अगर गंगा की स्थिति ऐसी ही विकट रही तो हम कुम्भ का बहिष्कार करेंगे. 

प्रोफ़ेसर अग्रवाल से पहले भी गत वर्ष युवा स्वामी निगमानंद की मौत लंबे अनशन के बाद हो चुकी है, फिर भी जो वास्तविक गंगा-पुत्र हैं वे चुपचाप अपना संघर्ष कर रहे हैं, परन्तु न तो जन-सरोकार से कौड़ी भर का संपर्क न रखने वाले मीडिया को... और न ही गंगा के नाम पर माल कूटने और नेतागिरी चमकाने वालों इस बात की कतई कोई परवाह है.




==============
मित्रों, सरकारों की ऐसी बेरुखी दुखद है...
Read 1803 times Last modified on शुक्रवार, 30 दिसम्बर 2016 14:16
Super User

 

I am a Blogger, Freelancer and Content writer since 2006. I have been working as journalist from 1992 to 2004 with various Hindi Newspapers. After 2006, I became blogger and freelancer. I have published over 700 articles on this blog and about 300 articles in various magazines, published at Delhi and Mumbai. 


I am a Cyber Cafe owner by occupation and residing at Ujjain (MP) INDIA. I am a English to Hindi and Marathi to Hindi translator also. I have translated Dr. Rajiv Malhotra (US) book named "Being Different" as "विभिन्नता" in Hindi with many websites of Hindi and Marathi and Few articles. 

www.google.com