Orphan Nepali Girls, Evengelist Job and Missionery Activity in India

Written by मंगलवार, 08 नवम्बर 2011 18:19
ईसाई धर्म प्रचारक के कब्जे से छुड़ाई गईं नेपाली लड़कियाँ… भारतीय मीडिया मौन

कोयम्बटूर (तमिलनाडु) स्थित माइकल जॉब सेंटर एक ईसाई मिशनरी और अनाथालय है। यह केन्द्र एक स्कूल भी चलाता है, हाल ही में इस केन्द्र पर हुई एक छापामार कार्रवाई में नेपाल के सुदूर पहाड़ी इलाकों से लाई गई 23 बौद्ध लड़कियों को छुड़वाया गया। नेपाल के अन्दरूनी इलाके के गरीब बौद्धों को रुपये और बेटियों की शिक्षा का लालच देकर एक दलाल वीरबहादुर भदेरा ने उन्हें डॉक्टर पीपी जॉब के हवाले कर दिया।



मिशनरी अनाथालय चलाने वाले इस एवेंजेलिस्ट पीपी जॉब ने इन लड़कियों का सौदा 100-100 पौण्ड में उस दलाल से किया था। दलाल ने उन गरीब नेपालियों से कहा था कि उनकी लड़कियाँ काठमाण्डू में हैं, जबकि वे वहाँ से हजारों किमी दूर कोयम्बटूर पहुँच चुकी थीं। ज़ाहिर है कि अनाथालय चलाने वाले इस "सो कॉल्ड" फ़ादर ने यह सौदा काफ़ी फ़ायदे का किया था, क्योंकि इसने अपने अनाथालय का धंधा चमकाने के लिए इन लड़कियों का पंजीकरण "नेपाली ईसाई" कहकर किया, तथा अपने विदेशी ग्राहकों को यह बताया कि ये सभी लड़कियाँ उन नेपाली ईसाईयों की हैं जिन्हें वहाँ के माओवादियों ने मार दिया था। इसलिए इन अनाथ, बेसहारा, बेचारी नेपाली बच्चियों को गोद लें (ज़ाहिर है मोटी रकम देकर)। इस फ़ादर ने इन लड़कियों के नाम बदलकर ईसाई नामधारी कर दिया और फ़िर अपने अनाथालय के नाम से अमेरिका और ब्रिटेन से मोटा चन्दा लिया।

फ़ादर पीपी जॉब ने मिशनरी की वेबसाइट पर इन लड़कियों को बाकायदा नम्बर और उनके झूठे प्रोफ़ाइल दे रखे थे, ताकि मिशनरी के सेवाभावी कार्यों(?) से प्रभावित और द्रवित होकर विदेशों से चन्दा वसूला जा सके। इस संस्था की एक शाखा ब्रिटेन के समरसेट इलाके में "लव इन एक्शन" के नाम से भी स्थापित है। इनमें से इक्का-दुक्का लड़कियों को फ़र्जी ईसाई बनाकर उन्हें वहाँ शिफ़्ट किये जाने की योजना थी, ताकि मिशनरी अनाथालय की विश्वसनीयता बनी रहे, बाकी लड़कियों को भारत में ही "कमाई के विभिन्न तरीकों" के तहत खपाया जाना था। परन्तु ब्रिटेन के एक रिटायर्ड फ़ौजी ले. कर्नल फ़िलिप होम्स को इस पर शक हुआ और उन्होंने अपने भारतीय NGO के कार्यकर्ताओं के जरिये पुलिस के साथ मिलकर यह छापा डलवाया और इस तरह ये 23 लड़कियाँ ईसाई बनने से बच गईं…

कर्नल फ़िलिप यह जानकर चौंके कि इनमें से एक भी लड़की न तो अनाथ है और न ही ईसाई, जबकि चर्च के जरिये चन्दा इसी नाम से भेजा जा रहा था। इनके प्रोफ़ाइल में लिखा है कि "इन लड़कियों के माता-पिता की माओवादियों ने हत्या कर दी है, इन गरीब लड़कियों का कोई नहीं है, हमारे नेपाली मिशनरी ने इन्हें कोयम्बटूर की इस संस्था को सौंपा है…"। छुड़ाए जाने के बाद एक लड़की ने कहा कि, नेपाल में हमें माओवादियों से कोई धमकी नहीं मिली, बल्कि हमारे माता-पिता गरीब हैं इसलिए उन्होंने हमें उस दलाल के हाथों बेच दिया था। वहाँ तो हम बौद्ध धर्म का पालन करते थे, यहाँ ईसाई बना दिया गया… अब हम किस धर्म का पालन करें?"

इस बीच उस दलाल वीरबहादुर भदेरा का कोई अता-पता नहीं है और स्रोतों के मुताबिक वह लड़कियाँ बेचने के इस "पेशे"(?) में काफ़ी सालों से है, उसके खिलाफ़ नेपाल के कई थानों में केस दर्ज हैं। जबकि फ़ादर पीपी जॉब फ़िलहाल अमेरिका में है और उसने इस मामले पर कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है।

यहाँ आकर चर्च की गतिविधियों एवं मिशनरी अनाथालय चलाने वालों की मंशा पर शक के साथ-साथ इनकी कार्यप्रणाली तथा केन्द्र-राज्य की सरकारों का इन पर नियंत्रण भी सवालों के घेरे में है। क्योंकि भारत सरकार के बाल विकास मंत्रालय को फ़ादर पीपी जॉब ने जो जानकारी भेजी उसके अनुसार ये लड़कियाँ "हिमालयन ओरफ़ेनेज डेवलपमेंट सेंटर, हुमला" से लाई गईं, जिसके निदेशक हैं श्री वीरबहादुर भदेरा…"। समरसेट (ब्रिटेन) की इसकी सहयोगी संस्था ने 2007 से 2010 के बीच 18,000 पाउण्ड का चन्दा एकत्रित किया।

इस मामले में जहाँ एक ओर ईसाई जनसंख्या बढ़ाने के लिए "किसी भी स्तर तक" जाने वाले एवेंजेलिस्ट बेनकाब हुए हैं, वहीं दूसरी ओर गरीबी की मार झेल रहे उन लोगों की मानसिकता पर भी दया आती है जब उन्होंने इन लड़कियों को स्वीकार करने से ही इंकार कर दिया। फ़िलहाल यह सभी लड़कियाँ भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग के केन्द्र में हैं, लेकिन ऐसी कोई उम्मीद नहीं है कि उस कथित "फ़ादर" अथवा उस अनाथालय पर कोई कठोर कार्रवाई होगी…

हमेशा की तरह सबसे घटिया भूमिका भारत के "सबसे तेज़" मीडिया की रही, जिसने इस घटना का कोई उल्लेख तक नहीं किया, परन्तु यदि यही काम किसी "हिन्दू आश्रम" या किसी "पुजारी" ने किया होता तो NDTV समेत सभी चमचों ने पूरे हिन्दू धर्म को ही कठघरे में खड़ा कर दिया होता…। शायद "सेकुलरिज़्म" इसी को कहते हैं…
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लेख का स्रोत :- http://www.telegraph.co.uk/news/worldnews/asia/india/8856050/The-Indian-preacher-and-the-fake-orphan-scandal.html

http://www.hindustantimes.com/world-news/Nepal/Orphan-girls-rescued-from-TN/Article1-762956.aspx

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Super User

 

I am a Blogger, Freelancer and Content writer since 2006. I have been working as journalist from 1992 to 2004 with various Hindi Newspapers. After 2006, I became blogger and freelancer. I have published over 700 articles on this blog and about 300 articles in various magazines, published at Delhi and Mumbai. 


I am a Cyber Cafe owner by occupation and residing at Ujjain (MP) INDIA. I am a English to Hindi and Marathi to Hindi translator also. I have translated Dr. Rajiv Malhotra (US) book named "Being Different" as "विभिन्नता" in Hindi with many websites of Hindi and Marathi and Few articles. 

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