मोहम्मद साहब के इस आपत्तिजनक चित्रण का पुरज़ोर विरोध करें… (अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के पक्षधर भी अपनी राय रखें)... Oppose Denigration of Mohammed, Cartoons of Islamic Icons
Written by Super User सोमवार, 08 मार्च 2010 11:44
हाल ही में एमएफ़ हुसैन द्वारा हिन्दू देवी-देवताओं के नग्न चित्र वाले मामले में “अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता”(?) के पक्षधर और “कलाकार की कला” के बारे में बहुत (कु)चर्चा हुई (कुचर्चा इसलिये क्योंकि उन चर्चाकारों की निगाह में डेनमार्क के कार्टूनिस्ट द्वारा बनाया गया रेखाचित्र “कला” की श्रेणी मे नहीं आता होगा)… बहरहाल, हाल ही में नेट-भ्रमण के दौरान एक वेबसाईट पर पैगम्बर मोहम्मद साहब का यह अश्लील चित्र दिखाई दिया। मेरी जानकारी के अनुसार यह चित्र 26 फ़रवरी के आसपास इस वेबसाईट पर अपलोड किया जा चुका है। (इससे पहले भी यह चित्र सितम्बर 2009 में एक वेबसाईट पर दिखाया जा चुका है, लेकिन आधा काटकर, जबकि साइंस ब्लॉग के नाम से चलाई जा रही साईट पर यह पूरा दिखाया गया है)। दिखाये गये विज्ञापन में बाकायदा “मोहम्मद” नाम दिया गया है तथा उनकी 23 पत्नियों और 6 वर्षीय पत्नी आयशा के बारे में लिखा गया है। समझ में नहीं आता कि ऐसा विकृत विज्ञापन बनाने के पीछे क्या मकसद है?
पहली वेबसाईट है (जिसमें चित्र आधा दिखाई दे रहा है)
और दूसरी वेबसाईट है जिसमें पूरा विज्ञापित चित्र दिख रहा है, साथ ही एक और चित्र भी दिख रहा है, जिसमें एक व्यक्ति की पगड़ी में अरबी में कुछ आयतें लिखी हैं, यह कैसी अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता है?
चूंकि मेरा तकनीकी ज्ञान कम है इसलिये यह बताना मेरे लिये मुश्किल है कि यह चित्र वाकई में है या जानबूझकर शरारतपूर्ण ढंग से मुस्लिम भाईयों को उकसाने के इरादे से “डिज़ाइन” किया गया है, लेकिन इस आपत्तिजनक चित्र पर “मेड इन डेनमार्क” लिखा हुआ है तथा सेक्स खिलौना या जो कुछ भी यह है, बेहद घटिया और बेहूदा है, जिसका पुरज़ोर विरोध किया जाना चाहिये। मैं सभी पाठकों (खासकर तकनीकी और कानूनी जानकार) और मुस्लिम भाईयों से अनुरोध करता हूं कि “साइंस ब्लॉग” के नाम से चलाई जा रही इस वेबसाईट को (कम से कम भारत में) प्रतिबन्धित करवाने हेतु कदम उठायें, या फ़िर इस साईट (अथवा ब्लॉग) मालिक से ताबड़तोड़ इस आपतिजनक चित्र को हटवाने के लिये दबाव बनायें। अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के पक्षधर कथित “सेकुलर” लोगों से यह पूछा जाना चाहिये कि क्या यह दोनों चित्र “कलाकारी” का नमूना हैं? और क्या वे इसका समर्थन करते हैं? यदि “हाँ” तो क्यों, और “नहीं” तो क्यों नहीं? इसका जवाब उन्हें हुसैन के मामले में की गई बकवासों पर बेनकाब कर देगा।
आश्चर्य तो इस बात का भी है कि अभी तक पिछले 8-10 दिनों में भी इस चित्र (या खिलौने) या वेबसाईट या लेखक पर कोई कार्रवाई होना तो दूर, मुस्लिम जगत से कोई विरोध की आवाज़ तक नहीं उठी? मैं इन्तज़ार कर रहा था कि कोई मुस्लिम भाई विरोध करें, लेकिन अब मेरा दिल नहीं माना, इसलिये इसे अपने ब्लॉग पर जगह दे दी ताकि विरोध का एक छोटा सा प्रयास मेरी तरफ़ से भी हो… और कुछ लोग साथ आयें। धार्मिक प्रतीकों (किसी भी धर्म के हों) का मखौल उड़ाना कभी भी किसी “हिन्दू” का मकसद हो नहीं सकता, सभी लोग इसका विरोध करें।
इसी प्रकार एक और साईट है http://www.jesusandmo.net/ जिस पर जीसस और मोहम्मद नाम के दो काल्पनिक पात्रों की खिल्ली उड़ाते हुए कार्टून पेश किये जाते हैं, (और यह साईट भी किसी गैर-हिन्दू की है)। तात्पर्य यह कि पूरे विश्व में मुस्लिमों और ईसाईयों के बीच खतरनाक तरीके से युद्ध चल रहा है, लेकिन भारत में इनके “गुर्गे” हैं मीडिया मुगल और इसीलिये भारतीय मीडिया का पहला निशाना हैं “हिन्दू”। भारतीय इलेक्ट्रानिक और प्रिण्ट मीडिया का लक्ष्य है हिन्दू खत्म हो जायें, निराश हो जायें, धर्म-परिवर्तित हो जायें, हिन्दू परम्परायें और त्योहार विकृत हो जायें, हिन्दुओं का सनातन धर्म से विश्वास उठ जाये, युवा पीढ़ी नष्ट-भ्रष्ट हो जाये, भारत खण्ड-खण्ड हो जाये… तभी मीडिया को चैन आयेगा।
चलते-चलते एक बात और -
यह बात सोचने वाली है कि जब भी किसी धार्मिक आराध्य अथवा देवताओं का अपमान होता है, उसके पीछे कभी भी कोई हिन्दू कलाकार नहीं होता, क्योंकि हिन्दू धर्म की शिक्षाओं के अनुसार सभी धर्मों का आदर किया जाना चाहिये और जिस व्यक्ति की जो भी इच्छा हो, वह अपनी बुद्धि और श्रद्धा के अनुसार उस आराध्य देव को पूज सकता है। सिर्फ़ “मेरे देवता या मेरे ग्रन्थ ही सही, सच्चे और अन्तिम हैं बाकी के सब गलत हैं” यह घटिया सोच अगर बदल जाये, और यदि यह बात सभी धर्मों के लोग अपना लें तो विश्व अधिकतर समस्याएं दूर हो जायें…। बहरहाल, अभी सब मिलकर मोहम्मद साहब के इस चित्र (या विज्ञापन) का पुरज़ोर विरोध करें…
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Denigration of Mohammed, Cartoons of Mohammed, Freedom of Speech and Islam, Art, Artists Freedom and Islamic Icons, Denmark and Islam, , अल्लाह की आकृति, डेनमार्क कार्टूनिस्ट, एप्पल कम्प्यूटर और काबा, अन्तर्वस्त्रों पर गणेश, अंडरवियर पर हिन्दू देवता, दा विन्सी कोड, सलमान रुशदी, तसलीमा नसरीन, Blogging, Hindi Blogging, Hindi Blog and Hindi Typing, Hindi Blog History, Help for Hindi Blogging, Hindi Typing on Computers, Hindi Blog and Unicode
पहली वेबसाईट है (जिसमें चित्र आधा दिखाई दे रहा है)
और दूसरी वेबसाईट है जिसमें पूरा विज्ञापित चित्र दिख रहा है, साथ ही एक और चित्र भी दिख रहा है, जिसमें एक व्यक्ति की पगड़ी में अरबी में कुछ आयतें लिखी हैं, यह कैसी अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता है?
चूंकि मेरा तकनीकी ज्ञान कम है इसलिये यह बताना मेरे लिये मुश्किल है कि यह चित्र वाकई में है या जानबूझकर शरारतपूर्ण ढंग से मुस्लिम भाईयों को उकसाने के इरादे से “डिज़ाइन” किया गया है, लेकिन इस आपत्तिजनक चित्र पर “मेड इन डेनमार्क” लिखा हुआ है तथा सेक्स खिलौना या जो कुछ भी यह है, बेहद घटिया और बेहूदा है, जिसका पुरज़ोर विरोध किया जाना चाहिये। मैं सभी पाठकों (खासकर तकनीकी और कानूनी जानकार) और मुस्लिम भाईयों से अनुरोध करता हूं कि “साइंस ब्लॉग” के नाम से चलाई जा रही इस वेबसाईट को (कम से कम भारत में) प्रतिबन्धित करवाने हेतु कदम उठायें, या फ़िर इस साईट (अथवा ब्लॉग) मालिक से ताबड़तोड़ इस आपतिजनक चित्र को हटवाने के लिये दबाव बनायें। अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के पक्षधर कथित “सेकुलर” लोगों से यह पूछा जाना चाहिये कि क्या यह दोनों चित्र “कलाकारी” का नमूना हैं? और क्या वे इसका समर्थन करते हैं? यदि “हाँ” तो क्यों, और “नहीं” तो क्यों नहीं? इसका जवाब उन्हें हुसैन के मामले में की गई बकवासों पर बेनकाब कर देगा।
आश्चर्य तो इस बात का भी है कि अभी तक पिछले 8-10 दिनों में भी इस चित्र (या खिलौने) या वेबसाईट या लेखक पर कोई कार्रवाई होना तो दूर, मुस्लिम जगत से कोई विरोध की आवाज़ तक नहीं उठी? मैं इन्तज़ार कर रहा था कि कोई मुस्लिम भाई विरोध करें, लेकिन अब मेरा दिल नहीं माना, इसलिये इसे अपने ब्लॉग पर जगह दे दी ताकि विरोध का एक छोटा सा प्रयास मेरी तरफ़ से भी हो… और कुछ लोग साथ आयें। धार्मिक प्रतीकों (किसी भी धर्म के हों) का मखौल उड़ाना कभी भी किसी “हिन्दू” का मकसद हो नहीं सकता, सभी लोग इसका विरोध करें।
इसी प्रकार एक और साईट है http://www.jesusandmo.net/ जिस पर जीसस और मोहम्मद नाम के दो काल्पनिक पात्रों की खिल्ली उड़ाते हुए कार्टून पेश किये जाते हैं, (और यह साईट भी किसी गैर-हिन्दू की है)। तात्पर्य यह कि पूरे विश्व में मुस्लिमों और ईसाईयों के बीच खतरनाक तरीके से युद्ध चल रहा है, लेकिन भारत में इनके “गुर्गे” हैं मीडिया मुगल और इसीलिये भारतीय मीडिया का पहला निशाना हैं “हिन्दू”। भारतीय इलेक्ट्रानिक और प्रिण्ट मीडिया का लक्ष्य है हिन्दू खत्म हो जायें, निराश हो जायें, धर्म-परिवर्तित हो जायें, हिन्दू परम्परायें और त्योहार विकृत हो जायें, हिन्दुओं का सनातन धर्म से विश्वास उठ जाये, युवा पीढ़ी नष्ट-भ्रष्ट हो जाये, भारत खण्ड-खण्ड हो जाये… तभी मीडिया को चैन आयेगा।
चलते-चलते एक बात और -
यह बात सोचने वाली है कि जब भी किसी धार्मिक आराध्य अथवा देवताओं का अपमान होता है, उसके पीछे कभी भी कोई हिन्दू कलाकार नहीं होता, क्योंकि हिन्दू धर्म की शिक्षाओं के अनुसार सभी धर्मों का आदर किया जाना चाहिये और जिस व्यक्ति की जो भी इच्छा हो, वह अपनी बुद्धि और श्रद्धा के अनुसार उस आराध्य देव को पूज सकता है। सिर्फ़ “मेरे देवता या मेरे ग्रन्थ ही सही, सच्चे और अन्तिम हैं बाकी के सब गलत हैं” यह घटिया सोच अगर बदल जाये, और यदि यह बात सभी धर्मों के लोग अपना लें तो विश्व अधिकतर समस्याएं दूर हो जायें…। बहरहाल, अभी सब मिलकर मोहम्मद साहब के इस चित्र (या विज्ञापन) का पुरज़ोर विरोध करें…
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