नीरा राडिया तो अपना काम कर रही थी, लेकिन “ईमानदार बाबू”, आप क्या कर रहे थे?…… Nira Radia, Radia Tapes, A Raja, 2G Spectrum Scam
Written by Super User सोमवार, 13 दिसम्बर 2010 18:22
सामान्य तौर पर एक “दलाल” का काम होता है, दो पार्टियों के बीच समुचित सौदा करवाना जिसमें दोनों पार्टियाँ सन्तुष्ट हों एवं बीच में रहकर दोनों से दलाली (या कमीशन) शुल्क लेना। नीरा राडिया क्या थी? टाटा जैसे कई उद्योगपतियों एवं नीतिगत निर्णय ले सकने वाले प्रभावशाली राजनेताओं के बीच दलाली का कार्य करने वाली एक “दलाल” (जिसे आजकल सभ्य भाषा में पब्लिक रिलेशन मैनेजर, लायज़निंग एजेंसी अथवा कमीशन एजेण्ट कह दिया जाता है, जबकि असल में होता वह “दलाल” ही है)। नीरा राडिया का काम था कि जिन उद्योगपतियों को नेताओं से मधुर सम्बन्ध(?) बनाने थे और अपना गैरकानूनी काम निकलवाना था, उनसे सही और सटीक सम्पर्क स्थापित करना और नीतियों को प्रभावित करके उनके बेशुमार फ़ायदे का सौदा करवाना… अब आप ही बताईये कि क्या नीरा राडिया “अपने काम” में उस्ताद नहीं है? क्या उसने उसका “पेशा” और “पेशेगत कार्य” ठीक से नहीं किया? बिलकुल किया, 100% से भी अधिक किया…
दिक्कत यह हुई है कि, जिन नेताओं और पत्रकारों का “जो काम” था वह उन्होंने ईमानदारी से नहीं किया…। नेताओं, नीतिगत निर्णय लेने वाली संस्था के अफ़सरों एवं सरकारी मशीनरी का यह फ़र्ज़ था कि वे यह देखते कि देश को सबसे अधिक फ़ायदा किसमें है? कौन सी प्रक्रिया अपनाने से देश का खजाना अधिक भरेगा? लाइसेंस लेने वाले किसी उद्योगपति के साथ न तो अन्याय हो और न ही किसी के साथ पक्षपात हो… परन्तु प्रधानमंत्री सहित राजा बाबू से लेकर सारे अफ़सरों ने अपना काम ठीक से नहीं किया…।
प्रधानमंत्री को तो विश्व बैंक से उनकी सेवाओं हेतु मोटी पेंशन मिलती है, इसके अलावा उन्हें कोई चुनाव भी नहीं लड़ना पड़ता… इसलिये माना जा सकता है कि उन्होंने स्पेक्ट्रम मामले में पैसा नहीं खाया होगा, परन्तु सोनिया गाँधी-राहुल गाँधी को कांग्रेस जैसी महाभ्रष्ट पार्टी चलाना और बढ़ाना है, ऐसे में कोई कहे कि अरबों-खरबों के इस घोटाले में से गाँधी परिवार को कुछ भी नहीं मिला होगा, तो वह महामूर्ख है… रही बात राजा बाबू एवं अन्य अफ़सरों की, तो वे भी अरबों रुपये की इस “बहती गंगा” में नहा-धो लिये….। गृह सचिव पिल्लई ने कहा है कि लगभग 8000 टेप किये गये हैं और अभी जितना मसाला बाहर आया है वह सिर्फ़ 10% ही है, आप सोच सकते हैं कि अभी और कितने लोग नंगे होना बाकी है। आज सीबीआई कह रही है कि राडिया विदेशी एजेण्ट है, तो पिछले 5 साल से इसके काबिल(?) अफ़सर सो रहे थे क्या? प्रधानमंत्री तो अभी भी अपनी चुप्पी तोड़ने के लिये तैयार नहीं हैं, उनकी नाक के नीचे इतना बड़ा घोटाला होता रहा और वे अपनी “ईमानदारी” का ढोल बजाते रहे? भ्रष्ट आचरण के लिये न सही, “निकम्मेपन” के लिये ही शर्म के मारे इस्तीफ़ा दे देते? लेकिन जिस व्यक्ति ने आजीवन हर काम अपने “बॉस” (चाहे रिज़र्व बैंक हो, विश्व बैंक हो, IMF हो या सोनिया हों) से पूछकर किया हो वह अपने मन से इस्तीफ़ा कैसे दे सकता है।
1) नीरा राडिया और वीर संघवी के टेप का हिस्सा सुनने के लिये यहाँ क्लिक करें… (इसमें महान पत्रकार राडिया से अपने लिखे हुए को अप्रूव करवाता है)
2) इस टेप में राडिया कहती है बरखा ने कांग्रेस से वह बयान दिलवा ही दिया… थैंक गॉड… (यहाँ क्लिक करें )
3) इस टेप में वह किसी को आश्वस्त करती है कि राजा और सुनील मित्तल में वह सुलह करवा देगी और राजा वही करेगा जो वह समझायेगी…
4) राडिया और तरुण दास का टेप जिसमें कमलनाथ और मोंटेक सिंह अहलूवालिया के बारे में बातचीत की गई है…
ऐसे बहुत सारे टेप्स इधर-उधर बिखरे पड़े हैं, चारों तरफ़ इन कारपोरेटों-नेताओं और दल्लों के कपड़े उतारे जा रहे हैं,पूरा देश इनके कारनामे जान चुका है, जनता गुस्से में भी है और खुद पर ही शर्मिन्दा भी है…
सबूतों और टेप से यह बात भी सामने आई है कि “स्पेक्ट्रम की लूट” में दुबई की कम्पनी एटिसलाट डीबी को भी 15 सर्कल में लाइसेंस दिया गया है, यह कम्पनी पाकिस्तान की सरकारी टेलीकॉम कम्पनी PTCL की आधिकारिक पार्टनर है और इसके कर्ताधर्ताओं के मधुर और निकट सम्बन्ध ISI और दाऊद इब्राहीम से हैं। एटिलसाट के शाहिद बलवास के सम्बन्ध केन्द्र के कई मंत्रियों से हैं, यह बात गृह मंत्रालय भी मानता है… एटिसलाट के साथ-साथ टेलीनॉर कम्पनी का कार्यकारी मुख्यालय भी पाकिस्तान में बताया जाता है। इस सारे झमेले में एक नाम है फ़रीदा अताउल्लाह का, जो दुबई में रहती है और बेनज़ीर भुट्टो व सोनिया गाँधी की करीबी मित्र बताई जाती हैं… ये मोहतरमा प्रियंका गाँधी के विवाह में खास अतिथि थीं… लेकिन सोनिया-मनमोहन का रवैया क्या है – चाहे जो हो जाये न तो हम इन कम्पनियों के लाइसेंस निरस्त करेंगे, न तो इन कम्पनियों के शीर्ष लोगों पर छापे मारेंगे, न ही जेपीसी से जाँच करवायेंगे… जो बन पड़े सो उखाड़ लो…। अब आप सोच सकते हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा और भारत के उद्योगपतियों की निजता कितनी खतरे में है… आयकर विभाग द्वारा टेप किये गये फ़ोन पर टाटा-मित्तल इतने लाल-पीले हो रहे हैं, जब दाऊद इनके फ़ोन कॉल्स सुनेगा तो ये क्या कर लेंगे?
पत्रकारों और मीडिया का काम था भ्रष्टाचार पर निगाह रखना, लेकिन प्रभु चावला से लेकर बरखा दत्त, वीर संघवी जैसे “बड़े”(?) पत्रकार न सिर्फ़ कारपोरेट के “दल्ले” बनकर काम करते रहे, बल्कि राडिया के निर्देशों पर लेख लिखना, प्रश्न पूछना, प्रधानमंत्री तक सलाह पहुँचाना, मंत्रिमण्डल गठन में विभिन्न हितों और गुटों की रखवाली करने जैसे घिनौने कामों में लगे रहे। वीर संघवी तो बाकायदा अपना लेख छपने से पहले राडिया को पढ़कर सुनाते रहे, पता नहीं हिन्दुस्तान टाइम्स की नौकरी करते थे या टाटा-राजा की? मजे की बात तो यह है कि इस “हमाम के सभी नंगे” एक-दूसरे को बचाने के लिये एकजुट हो रहे हैं… चाहे जो भी हो “बुरका दत्त” पर आँच न आने पाये, कहीं किसी अखबार या चैनल पर “पवित्र परिवार” के बारे में कोई बुरी खबर न प्रकाशित हो जाये, इस बात का ध्यान मिलजुलकर रखा जा रहा है। क्या यही मीडिया का काम है?
एक दलाल होता है और दूसरा “दल्ला” होता है। दलाल को सिर्फ़ अपने कमीशन से मतलब होता है, जबकि “दल्ला” देश की इज्जत बेच सकता है, पैसों के लिये जितना चाहे उतना नीचे गिर सकता है… तात्पर्य यह कि नीरा राडिया तो “दलाल” है, लेकिन बाकी के लोग “दल्ले” हैं…
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मूल विषय से थोड़ा हटकर एक बात - ध्यान रहे कि “वर्णसंकर रक्त” बेहद खतरनाक चीज़ होती है…यह अशुद्ध रक्त बेहद गिरा हुआ चरित्र निर्माण करती है, खण्डित व्यक्तित्व वाला बचपन, बड़ा होकर देश तोड़ने में एक मिनट का भी विचार नहीं करता… बाकी आप समझदार हैं… कोई मुझसे सहमत हो या न हो, मैं “जीन थ्योरी” (Genes Theory) में विश्वास करता हूं…
जो पाठक इस घोटाले के बारे में और जानना चाहते हैं, तो निम्न लिंक्स को एक-एक करके पढ़ डालिये…
राजा बाबू और नीरा राडिया… (भाग-1)
राजा बाबू और नीरा राडिया… (भाग-2)
राजा बाबू और नीरा राडिया… (भाग-3)
3G स्पेक्ट्रम नीलामी से राजा बाबू के पेट पर लात…
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प्रधानमंत्री को तो विश्व बैंक से उनकी सेवाओं हेतु मोटी पेंशन मिलती है, इसके अलावा उन्हें कोई चुनाव भी नहीं लड़ना पड़ता… इसलिये माना जा सकता है कि उन्होंने स्पेक्ट्रम मामले में पैसा नहीं खाया होगा, परन्तु सोनिया गाँधी-राहुल गाँधी को कांग्रेस जैसी महाभ्रष्ट पार्टी चलाना और बढ़ाना है, ऐसे में कोई कहे कि अरबों-खरबों के इस घोटाले में से गाँधी परिवार को कुछ भी नहीं मिला होगा, तो वह महामूर्ख है… रही बात राजा बाबू एवं अन्य अफ़सरों की, तो वे भी अरबों रुपये की इस “बहती गंगा” में नहा-धो लिये….। गृह सचिव पिल्लई ने कहा है कि लगभग 8000 टेप किये गये हैं और अभी जितना मसाला बाहर आया है वह सिर्फ़ 10% ही है, आप सोच सकते हैं कि अभी और कितने लोग नंगे होना बाकी है। आज सीबीआई कह रही है कि राडिया विदेशी एजेण्ट है, तो पिछले 5 साल से इसके काबिल(?) अफ़सर सो रहे थे क्या? प्रधानमंत्री तो अभी भी अपनी चुप्पी तोड़ने के लिये तैयार नहीं हैं, उनकी नाक के नीचे इतना बड़ा घोटाला होता रहा और वे अपनी “ईमानदारी” का ढोल बजाते रहे? भ्रष्ट आचरण के लिये न सही, “निकम्मेपन” के लिये ही शर्म के मारे इस्तीफ़ा दे देते? लेकिन जिस व्यक्ति ने आजीवन हर काम अपने “बॉस” (चाहे रिज़र्व बैंक हो, विश्व बैंक हो, IMF हो या सोनिया हों) से पूछकर किया हो वह अपने मन से इस्तीफ़ा कैसे दे सकता है।
1) नीरा राडिया और वीर संघवी के टेप का हिस्सा सुनने के लिये यहाँ क्लिक करें… (इसमें महान पत्रकार राडिया से अपने लिखे हुए को अप्रूव करवाता है)
2) इस टेप में राडिया कहती है बरखा ने कांग्रेस से वह बयान दिलवा ही दिया… थैंक गॉड… (यहाँ क्लिक करें )
3) इस टेप में वह किसी को आश्वस्त करती है कि राजा और सुनील मित्तल में वह सुलह करवा देगी और राजा वही करेगा जो वह समझायेगी…
4) राडिया और तरुण दास का टेप जिसमें कमलनाथ और मोंटेक सिंह अहलूवालिया के बारे में बातचीत की गई है…
ऐसे बहुत सारे टेप्स इधर-उधर बिखरे पड़े हैं, चारों तरफ़ इन कारपोरेटों-नेताओं और दल्लों के कपड़े उतारे जा रहे हैं,पूरा देश इनके कारनामे जान चुका है, जनता गुस्से में भी है और खुद पर ही शर्मिन्दा भी है…
सबूतों और टेप से यह बात भी सामने आई है कि “स्पेक्ट्रम की लूट” में दुबई की कम्पनी एटिसलाट डीबी को भी 15 सर्कल में लाइसेंस दिया गया है, यह कम्पनी पाकिस्तान की सरकारी टेलीकॉम कम्पनी PTCL की आधिकारिक पार्टनर है और इसके कर्ताधर्ताओं के मधुर और निकट सम्बन्ध ISI और दाऊद इब्राहीम से हैं। एटिलसाट के शाहिद बलवास के सम्बन्ध केन्द्र के कई मंत्रियों से हैं, यह बात गृह मंत्रालय भी मानता है… एटिसलाट के साथ-साथ टेलीनॉर कम्पनी का कार्यकारी मुख्यालय भी पाकिस्तान में बताया जाता है। इस सारे झमेले में एक नाम है फ़रीदा अताउल्लाह का, जो दुबई में रहती है और बेनज़ीर भुट्टो व सोनिया गाँधी की करीबी मित्र बताई जाती हैं… ये मोहतरमा प्रियंका गाँधी के विवाह में खास अतिथि थीं… लेकिन सोनिया-मनमोहन का रवैया क्या है – चाहे जो हो जाये न तो हम इन कम्पनियों के लाइसेंस निरस्त करेंगे, न तो इन कम्पनियों के शीर्ष लोगों पर छापे मारेंगे, न ही जेपीसी से जाँच करवायेंगे… जो बन पड़े सो उखाड़ लो…। अब आप सोच सकते हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा और भारत के उद्योगपतियों की निजता कितनी खतरे में है… आयकर विभाग द्वारा टेप किये गये फ़ोन पर टाटा-मित्तल इतने लाल-पीले हो रहे हैं, जब दाऊद इनके फ़ोन कॉल्स सुनेगा तो ये क्या कर लेंगे?
पत्रकारों और मीडिया का काम था भ्रष्टाचार पर निगाह रखना, लेकिन प्रभु चावला से लेकर बरखा दत्त, वीर संघवी जैसे “बड़े”(?) पत्रकार न सिर्फ़ कारपोरेट के “दल्ले” बनकर काम करते रहे, बल्कि राडिया के निर्देशों पर लेख लिखना, प्रश्न पूछना, प्रधानमंत्री तक सलाह पहुँचाना, मंत्रिमण्डल गठन में विभिन्न हितों और गुटों की रखवाली करने जैसे घिनौने कामों में लगे रहे। वीर संघवी तो बाकायदा अपना लेख छपने से पहले राडिया को पढ़कर सुनाते रहे, पता नहीं हिन्दुस्तान टाइम्स की नौकरी करते थे या टाटा-राजा की? मजे की बात तो यह है कि इस “हमाम के सभी नंगे” एक-दूसरे को बचाने के लिये एकजुट हो रहे हैं… चाहे जो भी हो “बुरका दत्त” पर आँच न आने पाये, कहीं किसी अखबार या चैनल पर “पवित्र परिवार” के बारे में कोई बुरी खबर न प्रकाशित हो जाये, इस बात का ध्यान मिलजुलकर रखा जा रहा है। क्या यही मीडिया का काम है?
एक दलाल होता है और दूसरा “दल्ला” होता है। दलाल को सिर्फ़ अपने कमीशन से मतलब होता है, जबकि “दल्ला” देश की इज्जत बेच सकता है, पैसों के लिये जितना चाहे उतना नीचे गिर सकता है… तात्पर्य यह कि नीरा राडिया तो “दलाल” है, लेकिन बाकी के लोग “दल्ले” हैं…
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मूल विषय से थोड़ा हटकर एक बात - ध्यान रहे कि “वर्णसंकर रक्त” बेहद खतरनाक चीज़ होती है…यह अशुद्ध रक्त बेहद गिरा हुआ चरित्र निर्माण करती है, खण्डित व्यक्तित्व वाला बचपन, बड़ा होकर देश तोड़ने में एक मिनट का भी विचार नहीं करता… बाकी आप समझदार हैं… कोई मुझसे सहमत हो या न हो, मैं “जीन थ्योरी” (Genes Theory) में विश्वास करता हूं…
जो पाठक इस घोटाले के बारे में और जानना चाहते हैं, तो निम्न लिंक्स को एक-एक करके पढ़ डालिये…
राजा बाबू और नीरा राडिया… (भाग-1)
राजा बाबू और नीरा राडिया… (भाग-2)
राजा बाबू और नीरा राडिया… (भाग-3)
3G स्पेक्ट्रम नीलामी से राजा बाबू के पेट पर लात…
Nira Radia, A Raja, Audio Tapes of Neera Radia and Tata, Vir Sanghvi and Barkha Dutt, Rajdeep Sardesai and Prabhu Chawla, Indian Media Personnel and Scam, A Raja and 2G Spectrum Scam, Auction of 3 G Spectrum, Dr Subramanian Swamy, नीरा राडिया, ए राजा, नीरा राडिया – रतन टाटा टेप, वीर संघवी, बरखा दत्त, प्रभु चावला, राजदीप सरदेसाई, सुब्रह्मण्यम स्वामी, 2G स्पेक्ट्रम घोटाला, मनमोहन सिंह, सोनिया गाँधी, भारतीय मीडिया, Blogging, Hindi Blogging, Hindi Blog and Hindi Typing, Hindi Blog History, Help for Hindi Blogging, Hindi Typing on Computers, Hindi Blog and Unicode
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