क्या नरेन्द्र मोदी का विरोध करने वाले, वर्तमान यूपीए सरकार से खुश हैं? (Micro Post)
तीन दिवसीय उपवास और सदभावना मिशन प्रारम्भ करके नरेन्द्र मोदी ने 2012 के गुजरात चुनावों और 2014 के लोकसभा चुनावों का बिगुल फ़ूँक दिया है। 2012 में तो गुजरात में उनकी चौथी बार वापसी होगी ही, इसमें कोई शंका नहीं है… परन्तु 2014 में प्रधानमंत्री के रूप में उनकी ताजपोशी थोड़ा मुश्किल सफ़र है, सेकुलर काँटों भरी राह है…
मैं नरेन्द्र मोदी के विरोधियों से कुछ पूछना चाहता हूँ -
1) यदि वे नरेन्द्र मोदी के विरोधी हैं तो इसका मतलब यह लगाया जाए कि वे कांग्रेस के समर्थक हैं?
2) यदि कांग्रेस समर्थक नहीं हैं तो "भोंदू युवराज" के इस सशक्त विकल्प को अपना समर्थन क्यों नहीं देते?
3) यदि मोदी को समर्थन नहीं दे सकते इसका मतलब तो यही है कि आप महंगाई, कुशासन, आतंकवाद, भ्रष्टाचार से पीड़ित नहीं हैं।
4) मीडिया के जो मित्र हैं, क्या वे यह बता सकते हैं कि यदि भोंदू युवराज नहीं, नरेन्द्र मोदी भी नहीं तो फ़िर कौन?
5) क्या मोदी विरोधियों के पास नरेन्द्र मोदी से बेहतर प्रशासक, प्रधानमंत्री के पद हेतु उपलब्ध है?
6) यदि उनके पास मोदी का विकल्प नहीं है, और वे सपने बुन रहे हैं कि शायद कांग्रेस में कोई चमत्कार हो जाएगा और यह पार्टी एकदम सुधर जाएगी… या फ़िर तीसरे मोर्चे नामक "भानुमति के कुनबे" द्वारा कांग्रेस को समर्थन देने से देश में सुशासन आ जाएगा तो निश्चित ही वे लोग मुंगेरीलाल हैं…
तात्पर्य यह है कि नरेन्द्र मोदी के विरोधी स्पष्ट जवाब दें कि 2014 में यदि मोदी नहीं, तो फ़िर कौन? यदि मोदी नहीं, तो क्या वे लोग कांग्रेस की सत्ता लगातार तीसरी बार सहन करने की क्षमता रखते हैं? राहुल गाँधी को प्रधानमंत्री स्वीकार कर सकते हैं? दस साल तक सोनिया, मनमोहन, चिदम्बरम, पवार, सिब्बल, लालू को झेलने के बाद अगले पाँच साल भी इन्हें झेलने की क्षमता है? यदि नहीं… तो फ़िर मोदी का विरोध क्यों? विरोध करना ही है तो सकारात्मक विरोध करो… मोदी का कोई अन्य "सशक्त और व्यावहारिक विकल्प" पेश करो… कब तक सेकुलरिज़्म का घण्टा बजाते रहोगे?
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