कतर में प्रसिद्ध इस्लामिक वेबसाईट पर अंकुश और सरकारी दखल… यानी MF हुसैन एकदम सही जगह पहुँचे हैं… Islamic Country, MF Hussain, Freedom of Expression
Written by Super User गुरुवार, 15 अप्रैल 2010 14:18
कतर की सरकार (जहाँ तथाकथित महान पेण्टर हुसैन गर्क हुए हैं) ने एक विश्वप्रसिद्ध इस्लामिक वेबसाईट पर अपरोक्ष दबाव बना लिया है और अब इसे “पूरी तरह” इस्लामिक बनाने का बीड़ा उठा लिया है। प्राप्त समाचार के अनुसार, शेख यूसुफ़ अल-करादवी नामक शख्स, “इस्लाम ऑनलाइन” नामक वेबसाईट चलाने वाली कम्पनी अल-बलाघ के प्रमुख थे (उनकी इस्लामिक बुद्धिजीवियों में काफ़ी इज़्ज़त की जाती है), उन्हें कतर सरकार ने तत्काल प्रभाव से हटा दिया है। http://www.islamonline.net/English/index.shtml
अल-करादवी ने इस कम्पनी के साथ काफ़ी लम्बे समय तक काम किया और “इस्लाम ऑनलाइन” पर आने वाले सवालों को आधुनिक युग के अनुसार ढालने तथा युवाओं के प्रश्नों के उत्तर आधुनिक तौर-तरीकों से समझाने में सफ़ल रहे। अल-करादवी हमेशा से “सुन्नी विद्वानों”(?) के निशाने पर रहे, क्योंकि उन्होंने लड़के-लड़कियों की सह-शिक्षा पर जोर दिया, पश्चिमी मुस्लिमों से लोकतन्त्र में भाग लेने और उसे मजबूत करने की अपील की तथा सबसे बड़ी बात कि 9/11 के हमले की भी अपनी वेबसाईट पर निन्दा की। इस वेबसाईट पर इस्लाम से सम्बन्धित पूरा साहित्य उपलब्ध है तथा इसे लोकप्रिय बनाने में करादवी का खासा योगदान रहा, आज की तारीख में इसे 3,50,000 हिट्स रोज़ाना मिलते हैं। इस वेबसाईट पर एक “फ़तवा” कॉलम भी है, जिसमें विश्व के किसी भी कोने से विभिन्न धार्मिक (इस्लामिक) विषयों पर फ़तवों से सम्बन्धित राय ली जा सकती है, एवं वेबसाईट कला, स्वास्थ्य और विज्ञान सम्बन्धी पेज भी उपलब्ध करवाती है। इस वेबसाईट को सहयोग और दान देने वाले अधिकतर उदारवादी मुस्लिम अमेरिका और यूरोप के हैं तथा इसके काहिरा ब्रांच में कुछ गैर-मुस्लिम कर्मचारी भी हैं। (लेकिन उदारवाद को बर्दाश्त करने के लिये "संस्कारों" की भी तो आवश्यकता होती है…)
करादवी के सचिव का कहना है कि विगत कुछ वर्षों से उन पर इस वेबसाईट के Content को शासकों के मन-मुताबिक बदलने को लेकर दबाव था। हाल ही में हमारे संवाददाता को दोहा में हुए फ़िल्म फ़ेस्टिवल को कवर करने की इजाजत नहीं दी गई (क्योंकि यह गैर-इस्लामिक है), तथा मैनेजमेंट पर महिलाओं के स्वास्थ्य, फ़िल्मों तथा समलैंगिकता आधारित सवालों को न लेने अथवा दबा दिये जाने हेतु दबाव डाला जा रहा था। दोहा स्थित इसके मालिक इस वेबसाईट में “वांछित बदलाव” चाहते थे, जब इसका विरोध करते हुए 350 से अधिक कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने की धमकी दी, तो दोहा से उन सभी कर्मचारियों का साईट पर लॉग-इन प्रतिबन्धित कर दिया गया। फ़िलहाल बोर्ड के नये डायरेक्टर इब्राहीम अल-अंसारी ने कहा कि करादवी को “तनाव” की वजह से कार्यमुक्त कर दिया गया है।
(यहाँ पढ़ें… http://www.technologyreview.com/wire/24877/?a=f )
जी हाँ, कतर ही वह इस्लामिक “स्वर्ग” है जिसे MF हुसैन ने 95 साल तक भारत की रोटी खाने के बाद अपनाया है। अब इस बात का इन्तज़ार है कि “सेकुलर” हुसैन, कतर के शासकों की बहू-बेटियों के चित्र बनायें। मेरा प्रस्ताव है कि क्यों न भारत के कुछ प्रसिद्ध सेकुलरों को भी “हवा-पानी” बदलने के लिए कतर भेजा जाये? वहाँ जाकर शायद इन लोगों को “अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता” के मायने भी समझ में आ जायें।
वैसे अपुष्ट सूत्रों की मानें, तो हुसैन भारत से मुकदमों के डर की वजह से नहीं भागे हैं, बल्कि महंगी पेंटिंगों की बिक्री(?) की वजह से आयकर विभाग तथा प्रवर्तन निदेशालय उन पर शिकंजा कसने की तैयारी में थे। उच्च प्रशासनिक गलियारों में चर्चा है कि “घोड़ों की घटिया सी पेंटिंग” करोड़ों रुपये में खरीदने के पीछे “ब्लैक एण्ड व्हाईट” मनी का खेल तथा हवाला कारोबारियों का भी हाथ है… कुछ ऐसा ही भण्डाफ़ोड़ जल्द ही IPL में भी होने वाला है क्योंकि जिस तरह से पैसे के इस घिनौने खेल में थरूर-केरल-कश्मीर-कोलकाता नाइटराइडर्स-शाहरुख खान-दुबई आदि कि चेन बनती चली जायेगी, वैसे-वैसे कुछ न कुछ नया सामने आयेगा।
बहरहाल, आईये हम हुसैन को “अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के स्वर्ग” में गर्क होने की शुभकामनाएं दें और दुआ करें कि कहीं सेकुलरों में उन्हें वापस बुलाने का मिर्गी दौरा दोबारा न पड़े…
======================
चलते-चलते : मेरे एक मित्र एक इस्लामिक खाड़ी देश में कार्यरत हैं (पार्टटाइम ब्लॉगर और कवि-लेखक भी हैं) (सुरक्षा कारणों से नाम नहीं बताऊँगा)। कुछ दिनों पहले उस इस्लामिक देश में एक कार्यक्रम में उन्होंने “हिन्दी” (हिन्दू नहीं) के प्रचार-प्रसार एवं कविता-साहित्य विमर्श सम्बन्धी अपनी गतिविधियों का ब्यौरा दिया। उस कार्यक्रम में उस “इस्लामिक देश के शिक्षा मंत्री”(?) भी मौजूद थे। कार्यक्रम समाप्ति के तुरन्त बाद मेरे मित्र की वेबसाईट और ब्लॉग को “सजा के तौर पर” 8 दिनों के लिये बन्द कर दिया गया, फ़िर शायद “शिक्षामंत्री” का गुस्सा ठण्डा हुआ होगा और अनुनय-विनय (तथा विस्तृत जाँच ???) के बाद उसे दोबारा चालू किया गया।
(अब भी यदि कोई “कट्टर” शब्द की परिभाषा जानना चाहता हो, तो इन उदाहरणों से सीख सकता है, जल्दी ही ऐसे दो और उदाहरण दूंगा… ताकि सेकुलर्स जान सकें कि हिन्दू बहुल देश में रहना कितना सुखकारी होता है)। एक बात तो माननी पड़ेगी, कि “जूते लगाने” के मामले में हिन्दू बड़े संकोची स्वभाव के हैं, इसीलिये भारत में सेकुलरों को खुलेआम हिन्दुत्व पर जोरदार तरीके से चौतरफ़ा गन्दगी फ़ेंकने की सहूलियत हासिल है…
Quatar Government, MF Hussain, Freedom of Expression, Islamic Online.net, Liberalism in Islam and Radical Islamic Countries, Paintings of Horses by MF Hussain, Black money, Hawala and Hussain, कतर सरकार, एमएफ़ हुसैन, MF हुसैन, अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता, हिन्दू उदारता और मुस्लिम कट्टरता, इस्लाम में उदारता और इस्लामिक देशों की प्रेस नीति, MF हुसैन की पेंटिंग, हवाला कारोबार, काला धन, IPL और पेंटिंग, Blogging, Hindi Blogging, Hindi Blog and Hindi Typing, Hindi Blog History, Help for Hindi Blogging, Hindi Typing on Computers, Hindi Blog and Unicode
अल-करादवी ने इस कम्पनी के साथ काफ़ी लम्बे समय तक काम किया और “इस्लाम ऑनलाइन” पर आने वाले सवालों को आधुनिक युग के अनुसार ढालने तथा युवाओं के प्रश्नों के उत्तर आधुनिक तौर-तरीकों से समझाने में सफ़ल रहे। अल-करादवी हमेशा से “सुन्नी विद्वानों”(?) के निशाने पर रहे, क्योंकि उन्होंने लड़के-लड़कियों की सह-शिक्षा पर जोर दिया, पश्चिमी मुस्लिमों से लोकतन्त्र में भाग लेने और उसे मजबूत करने की अपील की तथा सबसे बड़ी बात कि 9/11 के हमले की भी अपनी वेबसाईट पर निन्दा की। इस वेबसाईट पर इस्लाम से सम्बन्धित पूरा साहित्य उपलब्ध है तथा इसे लोकप्रिय बनाने में करादवी का खासा योगदान रहा, आज की तारीख में इसे 3,50,000 हिट्स रोज़ाना मिलते हैं। इस वेबसाईट पर एक “फ़तवा” कॉलम भी है, जिसमें विश्व के किसी भी कोने से विभिन्न धार्मिक (इस्लामिक) विषयों पर फ़तवों से सम्बन्धित राय ली जा सकती है, एवं वेबसाईट कला, स्वास्थ्य और विज्ञान सम्बन्धी पेज भी उपलब्ध करवाती है। इस वेबसाईट को सहयोग और दान देने वाले अधिकतर उदारवादी मुस्लिम अमेरिका और यूरोप के हैं तथा इसके काहिरा ब्रांच में कुछ गैर-मुस्लिम कर्मचारी भी हैं। (लेकिन उदारवाद को बर्दाश्त करने के लिये "संस्कारों" की भी तो आवश्यकता होती है…)
करादवी के सचिव का कहना है कि विगत कुछ वर्षों से उन पर इस वेबसाईट के Content को शासकों के मन-मुताबिक बदलने को लेकर दबाव था। हाल ही में हमारे संवाददाता को दोहा में हुए फ़िल्म फ़ेस्टिवल को कवर करने की इजाजत नहीं दी गई (क्योंकि यह गैर-इस्लामिक है), तथा मैनेजमेंट पर महिलाओं के स्वास्थ्य, फ़िल्मों तथा समलैंगिकता आधारित सवालों को न लेने अथवा दबा दिये जाने हेतु दबाव डाला जा रहा था। दोहा स्थित इसके मालिक इस वेबसाईट में “वांछित बदलाव” चाहते थे, जब इसका विरोध करते हुए 350 से अधिक कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने की धमकी दी, तो दोहा से उन सभी कर्मचारियों का साईट पर लॉग-इन प्रतिबन्धित कर दिया गया। फ़िलहाल बोर्ड के नये डायरेक्टर इब्राहीम अल-अंसारी ने कहा कि करादवी को “तनाव” की वजह से कार्यमुक्त कर दिया गया है।
(यहाँ पढ़ें… http://www.technologyreview.com/wire/24877/?a=f )
जी हाँ, कतर ही वह इस्लामिक “स्वर्ग” है जिसे MF हुसैन ने 95 साल तक भारत की रोटी खाने के बाद अपनाया है। अब इस बात का इन्तज़ार है कि “सेकुलर” हुसैन, कतर के शासकों की बहू-बेटियों के चित्र बनायें। मेरा प्रस्ताव है कि क्यों न भारत के कुछ प्रसिद्ध सेकुलरों को भी “हवा-पानी” बदलने के लिए कतर भेजा जाये? वहाँ जाकर शायद इन लोगों को “अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता” के मायने भी समझ में आ जायें।
वैसे अपुष्ट सूत्रों की मानें, तो हुसैन भारत से मुकदमों के डर की वजह से नहीं भागे हैं, बल्कि महंगी पेंटिंगों की बिक्री(?) की वजह से आयकर विभाग तथा प्रवर्तन निदेशालय उन पर शिकंजा कसने की तैयारी में थे। उच्च प्रशासनिक गलियारों में चर्चा है कि “घोड़ों की घटिया सी पेंटिंग” करोड़ों रुपये में खरीदने के पीछे “ब्लैक एण्ड व्हाईट” मनी का खेल तथा हवाला कारोबारियों का भी हाथ है… कुछ ऐसा ही भण्डाफ़ोड़ जल्द ही IPL में भी होने वाला है क्योंकि जिस तरह से पैसे के इस घिनौने खेल में थरूर-केरल-कश्मीर-कोलकाता नाइटराइडर्स-शाहरुख खान-दुबई आदि कि चेन बनती चली जायेगी, वैसे-वैसे कुछ न कुछ नया सामने आयेगा।
बहरहाल, आईये हम हुसैन को “अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के स्वर्ग” में गर्क होने की शुभकामनाएं दें और दुआ करें कि कहीं सेकुलरों में उन्हें वापस बुलाने का मिर्गी दौरा दोबारा न पड़े…
======================
चलते-चलते : मेरे एक मित्र एक इस्लामिक खाड़ी देश में कार्यरत हैं (पार्टटाइम ब्लॉगर और कवि-लेखक भी हैं) (सुरक्षा कारणों से नाम नहीं बताऊँगा)। कुछ दिनों पहले उस इस्लामिक देश में एक कार्यक्रम में उन्होंने “हिन्दी” (हिन्दू नहीं) के प्रचार-प्रसार एवं कविता-साहित्य विमर्श सम्बन्धी अपनी गतिविधियों का ब्यौरा दिया। उस कार्यक्रम में उस “इस्लामिक देश के शिक्षा मंत्री”(?) भी मौजूद थे। कार्यक्रम समाप्ति के तुरन्त बाद मेरे मित्र की वेबसाईट और ब्लॉग को “सजा के तौर पर” 8 दिनों के लिये बन्द कर दिया गया, फ़िर शायद “शिक्षामंत्री” का गुस्सा ठण्डा हुआ होगा और अनुनय-विनय (तथा विस्तृत जाँच ???) के बाद उसे दोबारा चालू किया गया।
(अब भी यदि कोई “कट्टर” शब्द की परिभाषा जानना चाहता हो, तो इन उदाहरणों से सीख सकता है, जल्दी ही ऐसे दो और उदाहरण दूंगा… ताकि सेकुलर्स जान सकें कि हिन्दू बहुल देश में रहना कितना सुखकारी होता है)। एक बात तो माननी पड़ेगी, कि “जूते लगाने” के मामले में हिन्दू बड़े संकोची स्वभाव के हैं, इसीलिये भारत में सेकुलरों को खुलेआम हिन्दुत्व पर जोरदार तरीके से चौतरफ़ा गन्दगी फ़ेंकने की सहूलियत हासिल है…
Quatar Government, MF Hussain, Freedom of Expression, Islamic Online.net, Liberalism in Islam and Radical Islamic Countries, Paintings of Horses by MF Hussain, Black money, Hawala and Hussain, कतर सरकार, एमएफ़ हुसैन, MF हुसैन, अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता, हिन्दू उदारता और मुस्लिम कट्टरता, इस्लाम में उदारता और इस्लामिक देशों की प्रेस नीति, MF हुसैन की पेंटिंग, हवाला कारोबार, काला धन, IPL और पेंटिंग, Blogging, Hindi Blogging, Hindi Blog and Hindi Typing, Hindi Blog History, Help for Hindi Blogging, Hindi Typing on Computers, Hindi Blog and Unicode
Published in
ब्लॉग
Tagged under
Super User