ईसाई संगठन का यह न्यूज़लेटर साम्प्रदायिक है या मनगढ़न्त? KCBC Newsletter Kerala Love Jihad
Written by Super User शुक्रवार, 30 अक्टूबर 2009 12:59
केरल में कोचीन स्थित केरल कैथोलिक बिशप्स काउंसिल (KCBC) के तहत काम करने वाले संगठन कमीशन फ़ॉर सोशल हारमोनी एण्ड विजिलेंस द्वारा जारी ताज़ा न्यूज़लेटर में केरल में चल रहे "लव जेहाद" और इसके धार्मिक दुष्प्रभावों के बारे में ईसाई समाज को जानकारी दी गई है।
अपने अनुयायियों में बाँटे गये इस न्यूज़लेटर के अनुसार पालकों को निर्देशित किया गया है कि केरल और कर्नाटक में "लव जेहाद" जारी है, जिसमें भोलीभाली लड़कियों को मुस्लिम लड़कों द्वारा फ़ाँसकर उन्हें शादी का भ्रमजाल दिखाकर धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है। बिशप काउंसिल ने आग्रह किया है कि पालक अपनी लड़कियों पर नज़र रखें, यदि लड़कियाँ मोबाइल उपयोग करती हैं तो उनके माता-पिता को उनकी इनकमिंग और आऊटगोइंग कॉल्स पर नज़र रखना चाहिये, यदि घर पर कम्प्यूटर हो तो वह "सार्वजनिक कमरे" में होना चाहिये, न कि बच्चों के कमरे में। पालकों को अपनी लड़कियों को ऐसे लड़कों के जाल में फ़ँसने से बचाव के बारे में पूरी जानकारी देना चाहिये। यदि कोई लड़की गुमसुम, उदास अथवा सभी से कटी-कटी दिखाई देने लगे तब तुरन्त उसकी गतिविधियों पर बारीक नज़र रखना चाहिये।
(यदि ऐसे दिशानिर्देश किसी हिन्दूवादी संगठन ने जारी किये होते, तो पता नहीं अब तक नारी संगठनों और न्यूज़ चैनलों ने कितनी बार आकाश-पाताल एक कर दिये होते)।
उल्लेखनीय है कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने एक ताज़ा आदेश में "लव जेहाद" के बारे में पूरी तथ्यात्मक जानकारी जुटाने के निर्देश दिये हैं (शायद हाईकोर्ट भी साम्प्रदायिक हो??)। एक अपुष्ट सूचना के अनुसार सन् 2005 से अब तक 4000 ईसाई लड़कियों द्वारा धर्म परिवर्तन किया जा चुका है, उनमें से कुछ गायब भी हो गईं। इस न्यूज़लेटर में आगे कहा गया है कि चूंकि वे लड़कियाँ 18 वर्ष से उपर की हैं इसलिये वे कानूनन इस बारे में कुछ कर भी नहीं सकते, लेकिन ईसाई लड़कियों की मुस्लिम लड़कों से बढ़ती दोस्ती निश्चित ही चिन्ता का विषय है।
इस कमीशन के सचिव फ़ादर जॉनी कोचुपराम्बिल कहते हैं कि "फ़िलहाल" यह मामला धार्मिक लड़ाई का नहीं लगता बल्कि यह एक सामाजिक समस्या लगती है…। यह लड़कियाँ अपने कथित प्यार की खातिर सब कुछ छोड़कर चली जाती हैं, लेकिन जल्दी ही उनके साथ यौन दुराचार शुरु हो जाता है तथा उनकी जिन्दगी नर्क बन जाती है, जहाँ उन्हें कोई आज़ादी नहीं मिलती (यह भी एक साम्प्रदायिक बयान लगता है…??)। जिस परिवार पर यह गुज़रती है, वह सामाजिक प्रतिष्ठा की वजह से कई बार पुलिस में भी नहीं जाता, जिसका फ़ायदा लव जेहादियों को मिलता है। न्यूज़लेटर में सन् 2006 से 2009 के बीच, विभिन्न जिलावार 2868 ईसाई लड़कियों के नाम-पते हैं जो मुस्लिम लड़कों के प्रेमजाल में फ़ँसीं, जिसमें से अकेले कासरगौड़ जिले की 586 लड़कियाँ शामिल हैं। फ़ादर कहते हैं कि "हमें यह मसला गम्भीरता से लेना होगा…"।
इन लव जेहादियों को शुरुआत में बाइक, मोबाइल तथा फ़ैशनेबल कपड़ों के पैसे दिये जाते हैं और "काम" सम्पन्न होने के बाद प्रति धर्मान्तरित लड़की एक लाख रुपये दिये जाते हैं। कॉलेजों में एडमिशन लेते समय इन्हें ऐसी ईसाई-हिन्दू लड़कियों की लिस्ट थमाई जाती है, जिन्हें आसानी से फ़ुसलाया जा सकता हो। इस काम में मुख्यतः खाड़ी देशों से पैसा आता है और सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि गायब हो चुकी लड़कियाँ वहीं पहुँचाई जा चुकी हैं।
सेकुलरों के साथ सबसे बड़ी समस्या यही है कि जब हिन्दुत्ववादी संगठन कुछ भी कहते हैं तो वे इसे दुष्प्रचार, साम्प्रदायिक झूठ आदि की संज्ञा दे देते हैं, समस्या को समस्या मानते ही नहीं, रेत में सिर दबाये शतुरमुर्ग की तरह पिछवाड़ा करके खड़े हो जाते हैं। लव जेहाद के बारे में सबसे पहले हिन्दुत्ववादी संगठनों ने ही आवाज़ उठाई थी, लेकिन हमेशा की तरह उसे या तो हँसी में टाला गया या फ़िर उपेक्षा की गई। अब आज जबकि कर्नाटक और केरल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश खुद इसकी जाँच के आदेश दे रहे हैं तब इनकी बोलती बन्द है। ईसाई संगठनों को भी इस लव जेहाद के अंगारे महसूस होने लगे तभी माना गया कि यह एक समस्या है, वरना हिन्दू संगठन कितना भी कहें कोई मानने वाला नहीं, सेकुलरों का यही रवैया उन्हें देशद्रोही की श्रेणी में रखता है। क्या आज से 50 साल पहले कश्मीर की स्थिति के बारे में किसी ने सोचा था कि वहाँ से हिन्दुओं का नामोनिशान मिट जायेगा? आज जब हिन्दूवादी संगठन असम, पश्चिम बंगाल और केरल के बदलते जनसंख्या आँकड़ों और राजनैतिक परिस्थितियों का हवाला देते हैं तब सेकुलर और कांग्रेसी इसे गम्भीरता से नहीं लेते, लेकिन कुछ वर्षों बाद ही वे इसे समस्या मानेंगे, जब स्थिति हाथ से निकल चुकी होगी… लानत है ऐसी सेकुलर नीतियों पर। हाल ही में "नक्सलवादियों की चैम्पियन बुद्धिजीवी"(?) अरुंधती रॉय ने बयान दिया कि "जब राज्य सत्ता किसी व्यक्ति की सुन ही नही रही हो, और उस पर अन्याय और अत्याचार जारी रहे तो उसका बन्दूक उठाना जायज़ है…", फ़िर तो इस हिसाब से कश्मीर के विस्थापित हिन्दुओं को सबसे पहले हथियार उठा लेना चाहिये था, क्या तब बुकर पुरस्कार विजेता उनका साथ देंगी? जी नहीं, बिलकुल नहीं, क्योंकि यदि हिन्दू "प्रतिकार" करे तो वह घोर साम्प्रदायिकता की श्रेणी में आता है, ऐसी गिरी हुई मानसिकता है इन सेकुलर लुच्चों-टुच्चों की। हिन्दुओं के साथ कोई अन्याय हो तो वह कानून-व्यवस्था का मामला है, हिन्दू लड़कियों के साथ लव जेहाद हो तो वह साम्प्रदायिक दुष्प्रचार है, और यदि मामला मुस्लिमों और ईसाई लड़कियों से जुड़ा हो तब वह या तो सेकुलर होता है अथवा हिन्दूवादी संगठनों का अत्याचार…
पिछली पोस्ट में मैंने भारत में ईसाई मुस्लिम संघर्ष की शुरुआत केरल से होगी इस बारे में कुछ बताया था, जिस पर आदरणीय शास्त्री जी अपना जवाब जारी रखे हुए हैं। इस जवाब की पहली किस्त में शास्त्री जी ने केरल की विशिष्ट परम्परा और धार्मिक समूहों के बीच भावनात्मक सम्बन्धों का सुन्दर चित्रण प्रस्तुत किया है, मुझे उम्मीद है कि शास्त्री जी केरल के तेजी से बदलते राजनैतिक और सामाजिक वातावरण पर भी लिखेंगे। शास्त्री जी सज्जन व्यक्ति हैं इसलिये हो सकता है कि शायद उन्होंने मेरी पोस्ट में उल्लिखित केरल के राजनैतिक वातावरण को नज़र-अंदाज़ कर दिया हो, लेकिन मुझे आशा है कि शास्त्री जी, केरल में अब्दुल नासेर मदनी के बढ़ते प्रभाव, उम्मीदवार चयन में "चर्च के दखल" और कन्नूर तथा अन्य जगहों पर संघ कार्यकर्ताओं की नृशंस हत्याओं तथा इन सारी घटनाओं के दूरगामी प्रभाव के सम्बन्ध में भी कुछ अवश्य लिखेंगे, जो कि मेरा मूल आशय था। फ़िलहाल शास्त्री जी पहले अपना लेख पूरा कर लें, फ़िर मैं बाद में कुछ कहूंगा, तब तक के लिये केरल के हालात पर यह एक छोटी सी पोस्ट है। मैं शास्त्री जी जितना सज्जन नहीं हूं, इसलिये मुझे प्रत्येक राजनैतिक घटना को थोड़ा "टेढ़ा" देखने की आदत है, साथ ही किसी बुरी नीयत से किये गये "तथाकथित अच्छे काम" को भाँपने की भी… बहरहाल केरल के राजनैतिक हालातों पर एक अन्य विस्तृत पोस्ट शास्त्री जी के लेख समाप्त होने के बाद लिखूंगा…
फ़िलहाल केरल और ईसाई धर्मान्तरण से सम्बन्धित मेरे कुछ अन्य लेखों की लिंक्स नीचे दी जा रही है, पढ़ें और बतायें कि इसमें से आपको कितना काल्पनिक लगता है और कितना तथ्यहीन… :)
http://desicnn.com/wp/2009/04/13/talibanization-kerala-congress-and_13/
http://desicnn.com/wp/2009/04/09/talibanization-kerala-congress-and/
http://desicnn.com/wp/2008/11/17/kerala-and-malwa-becoming-nursery-of/
http://desicnn.com/wp/2008/10/10/alliance-between-church-and-naxalites_10/
http://desicnn.com/wp/2008/09/29/pope-conversion-in-india/
इस खबर की स्रोत साइटें…
http://expressbuzz.com/edition/story.aspx?Title=Watch+your+children+well:+KCBC+panel&artid=ApAxX8jXX54=&SectionID=1ZkF/jmWuSA=&MainSectionID=1ZkF/jmWuSA=&SEO=KCBC,+Fr+Johny+Kochuparambil,+jehadis,+Christian&SectionName=X7s7i%7CxOZ5Y=
http://in.christiantoday.com/articles/church-warns-of-love-jihad-in-kerala/4623.htm
http://mangalorean.com/news.php?newstype=broadcast&broadcastid=152084
चित्र साभार - द टेलीग्राफ़
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अपने अनुयायियों में बाँटे गये इस न्यूज़लेटर के अनुसार पालकों को निर्देशित किया गया है कि केरल और कर्नाटक में "लव जेहाद" जारी है, जिसमें भोलीभाली लड़कियों को मुस्लिम लड़कों द्वारा फ़ाँसकर उन्हें शादी का भ्रमजाल दिखाकर धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है। बिशप काउंसिल ने आग्रह किया है कि पालक अपनी लड़कियों पर नज़र रखें, यदि लड़कियाँ मोबाइल उपयोग करती हैं तो उनके माता-पिता को उनकी इनकमिंग और आऊटगोइंग कॉल्स पर नज़र रखना चाहिये, यदि घर पर कम्प्यूटर हो तो वह "सार्वजनिक कमरे" में होना चाहिये, न कि बच्चों के कमरे में। पालकों को अपनी लड़कियों को ऐसे लड़कों के जाल में फ़ँसने से बचाव के बारे में पूरी जानकारी देना चाहिये। यदि कोई लड़की गुमसुम, उदास अथवा सभी से कटी-कटी दिखाई देने लगे तब तुरन्त उसकी गतिविधियों पर बारीक नज़र रखना चाहिये।
(यदि ऐसे दिशानिर्देश किसी हिन्दूवादी संगठन ने जारी किये होते, तो पता नहीं अब तक नारी संगठनों और न्यूज़ चैनलों ने कितनी बार आकाश-पाताल एक कर दिये होते)।
उल्लेखनीय है कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने एक ताज़ा आदेश में "लव जेहाद" के बारे में पूरी तथ्यात्मक जानकारी जुटाने के निर्देश दिये हैं (शायद हाईकोर्ट भी साम्प्रदायिक हो??)। एक अपुष्ट सूचना के अनुसार सन् 2005 से अब तक 4000 ईसाई लड़कियों द्वारा धर्म परिवर्तन किया जा चुका है, उनमें से कुछ गायब भी हो गईं। इस न्यूज़लेटर में आगे कहा गया है कि चूंकि वे लड़कियाँ 18 वर्ष से उपर की हैं इसलिये वे कानूनन इस बारे में कुछ कर भी नहीं सकते, लेकिन ईसाई लड़कियों की मुस्लिम लड़कों से बढ़ती दोस्ती निश्चित ही चिन्ता का विषय है।
इस कमीशन के सचिव फ़ादर जॉनी कोचुपराम्बिल कहते हैं कि "फ़िलहाल" यह मामला धार्मिक लड़ाई का नहीं लगता बल्कि यह एक सामाजिक समस्या लगती है…। यह लड़कियाँ अपने कथित प्यार की खातिर सब कुछ छोड़कर चली जाती हैं, लेकिन जल्दी ही उनके साथ यौन दुराचार शुरु हो जाता है तथा उनकी जिन्दगी नर्क बन जाती है, जहाँ उन्हें कोई आज़ादी नहीं मिलती (यह भी एक साम्प्रदायिक बयान लगता है…??)। जिस परिवार पर यह गुज़रती है, वह सामाजिक प्रतिष्ठा की वजह से कई बार पुलिस में भी नहीं जाता, जिसका फ़ायदा लव जेहादियों को मिलता है। न्यूज़लेटर में सन् 2006 से 2009 के बीच, विभिन्न जिलावार 2868 ईसाई लड़कियों के नाम-पते हैं जो मुस्लिम लड़कों के प्रेमजाल में फ़ँसीं, जिसमें से अकेले कासरगौड़ जिले की 586 लड़कियाँ शामिल हैं। फ़ादर कहते हैं कि "हमें यह मसला गम्भीरता से लेना होगा…"।
इन लव जेहादियों को शुरुआत में बाइक, मोबाइल तथा फ़ैशनेबल कपड़ों के पैसे दिये जाते हैं और "काम" सम्पन्न होने के बाद प्रति धर्मान्तरित लड़की एक लाख रुपये दिये जाते हैं। कॉलेजों में एडमिशन लेते समय इन्हें ऐसी ईसाई-हिन्दू लड़कियों की लिस्ट थमाई जाती है, जिन्हें आसानी से फ़ुसलाया जा सकता हो। इस काम में मुख्यतः खाड़ी देशों से पैसा आता है और सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि गायब हो चुकी लड़कियाँ वहीं पहुँचाई जा चुकी हैं।
सेकुलरों के साथ सबसे बड़ी समस्या यही है कि जब हिन्दुत्ववादी संगठन कुछ भी कहते हैं तो वे इसे दुष्प्रचार, साम्प्रदायिक झूठ आदि की संज्ञा दे देते हैं, समस्या को समस्या मानते ही नहीं, रेत में सिर दबाये शतुरमुर्ग की तरह पिछवाड़ा करके खड़े हो जाते हैं। लव जेहाद के बारे में सबसे पहले हिन्दुत्ववादी संगठनों ने ही आवाज़ उठाई थी, लेकिन हमेशा की तरह उसे या तो हँसी में टाला गया या फ़िर उपेक्षा की गई। अब आज जबकि कर्नाटक और केरल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश खुद इसकी जाँच के आदेश दे रहे हैं तब इनकी बोलती बन्द है। ईसाई संगठनों को भी इस लव जेहाद के अंगारे महसूस होने लगे तभी माना गया कि यह एक समस्या है, वरना हिन्दू संगठन कितना भी कहें कोई मानने वाला नहीं, सेकुलरों का यही रवैया उन्हें देशद्रोही की श्रेणी में रखता है। क्या आज से 50 साल पहले कश्मीर की स्थिति के बारे में किसी ने सोचा था कि वहाँ से हिन्दुओं का नामोनिशान मिट जायेगा? आज जब हिन्दूवादी संगठन असम, पश्चिम बंगाल और केरल के बदलते जनसंख्या आँकड़ों और राजनैतिक परिस्थितियों का हवाला देते हैं तब सेकुलर और कांग्रेसी इसे गम्भीरता से नहीं लेते, लेकिन कुछ वर्षों बाद ही वे इसे समस्या मानेंगे, जब स्थिति हाथ से निकल चुकी होगी… लानत है ऐसी सेकुलर नीतियों पर। हाल ही में "नक्सलवादियों की चैम्पियन बुद्धिजीवी"(?) अरुंधती रॉय ने बयान दिया कि "जब राज्य सत्ता किसी व्यक्ति की सुन ही नही रही हो, और उस पर अन्याय और अत्याचार जारी रहे तो उसका बन्दूक उठाना जायज़ है…", फ़िर तो इस हिसाब से कश्मीर के विस्थापित हिन्दुओं को सबसे पहले हथियार उठा लेना चाहिये था, क्या तब बुकर पुरस्कार विजेता उनका साथ देंगी? जी नहीं, बिलकुल नहीं, क्योंकि यदि हिन्दू "प्रतिकार" करे तो वह घोर साम्प्रदायिकता की श्रेणी में आता है, ऐसी गिरी हुई मानसिकता है इन सेकुलर लुच्चों-टुच्चों की। हिन्दुओं के साथ कोई अन्याय हो तो वह कानून-व्यवस्था का मामला है, हिन्दू लड़कियों के साथ लव जेहाद हो तो वह साम्प्रदायिक दुष्प्रचार है, और यदि मामला मुस्लिमों और ईसाई लड़कियों से जुड़ा हो तब वह या तो सेकुलर होता है अथवा हिन्दूवादी संगठनों का अत्याचार…
पिछली पोस्ट में मैंने भारत में ईसाई मुस्लिम संघर्ष की शुरुआत केरल से होगी इस बारे में कुछ बताया था, जिस पर आदरणीय शास्त्री जी अपना जवाब जारी रखे हुए हैं। इस जवाब की पहली किस्त में शास्त्री जी ने केरल की विशिष्ट परम्परा और धार्मिक समूहों के बीच भावनात्मक सम्बन्धों का सुन्दर चित्रण प्रस्तुत किया है, मुझे उम्मीद है कि शास्त्री जी केरल के तेजी से बदलते राजनैतिक और सामाजिक वातावरण पर भी लिखेंगे। शास्त्री जी सज्जन व्यक्ति हैं इसलिये हो सकता है कि शायद उन्होंने मेरी पोस्ट में उल्लिखित केरल के राजनैतिक वातावरण को नज़र-अंदाज़ कर दिया हो, लेकिन मुझे आशा है कि शास्त्री जी, केरल में अब्दुल नासेर मदनी के बढ़ते प्रभाव, उम्मीदवार चयन में "चर्च के दखल" और कन्नूर तथा अन्य जगहों पर संघ कार्यकर्ताओं की नृशंस हत्याओं तथा इन सारी घटनाओं के दूरगामी प्रभाव के सम्बन्ध में भी कुछ अवश्य लिखेंगे, जो कि मेरा मूल आशय था। फ़िलहाल शास्त्री जी पहले अपना लेख पूरा कर लें, फ़िर मैं बाद में कुछ कहूंगा, तब तक के लिये केरल के हालात पर यह एक छोटी सी पोस्ट है। मैं शास्त्री जी जितना सज्जन नहीं हूं, इसलिये मुझे प्रत्येक राजनैतिक घटना को थोड़ा "टेढ़ा" देखने की आदत है, साथ ही किसी बुरी नीयत से किये गये "तथाकथित अच्छे काम" को भाँपने की भी… बहरहाल केरल के राजनैतिक हालातों पर एक अन्य विस्तृत पोस्ट शास्त्री जी के लेख समाप्त होने के बाद लिखूंगा…
फ़िलहाल केरल और ईसाई धर्मान्तरण से सम्बन्धित मेरे कुछ अन्य लेखों की लिंक्स नीचे दी जा रही है, पढ़ें और बतायें कि इसमें से आपको कितना काल्पनिक लगता है और कितना तथ्यहीन… :)
http://desicnn.com/wp/2009/04/13/talibanization-kerala-congress-and_13/
http://desicnn.com/wp/2009/04/09/talibanization-kerala-congress-and/
http://desicnn.com/wp/2008/11/17/kerala-and-malwa-becoming-nursery-of/
http://desicnn.com/wp/2008/10/10/alliance-between-church-and-naxalites_10/
http://desicnn.com/wp/2008/09/29/pope-conversion-in-india/
इस खबर की स्रोत साइटें…
http://expressbuzz.com/edition/story.aspx?Title=Watch+your+children+well:+KCBC+panel&artid=ApAxX8jXX54=&SectionID=1ZkF/jmWuSA=&MainSectionID=1ZkF/jmWuSA=&SEO=KCBC,+Fr+Johny+Kochuparambil,+jehadis,+Christian&SectionName=X7s7i%7CxOZ5Y=
http://in.christiantoday.com/articles/church-warns-of-love-jihad-in-kerala/4623.htm
http://mangalorean.com/news.php?newstype=broadcast&broadcastid=152084
चित्र साभार - द टेलीग्राफ़
Love Jihad, Love Jehad, Kerala, Christianity, Conversion, Islamic Terrorism, Secularism, Vote Bank Politics in India, KCBC Newsletter, Abdul Naser Madani, लव जेहाद, केरल की राजनैतिक स्थितियाँ, ईसाई धर्मान्तरण और केरल, मुस्लिम-ईसाई संघर्ष, सेकुलरिज़्म, केसीबीसी न्यूज़लेटर, Blogging, Hindi Blogging, Hindi Blog and Hindi Typing, Hindi Blog History, Help for Hindi Blogging, Hindi Typing on Computers, Hindi Blog and Unicode
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