इस्लामिक बैंक की स्थापना हेतु एड़ी-चोटी का “सेकुलर” ज़ोर, लेकिन… Islamic Banking in India, Anti-Secular, Dr. Swami
Written by Super User शुक्रवार, 11 फरवरी 2011 12:01
केरल में भारत के पहले इस्लामिक बैंक की स्थापना करवाने के लिये “सेकुलर”, “मानवाधिकारवादी” और “वामपंथी” काफ़ी समय से जोर-आज़माइश कर रहे हैं। डॉ सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका पर सुनवाई करते हुए केरल हाईकोर्ट ने इस सम्बन्ध में अपना निर्णय सुनाते हुए कहा कि “यदि भारत के कानून इसकी अनुमति देते हैं तो यह जायज़ है…”, इस स्पष्ट निर्णय के बावजूद “भाण्ड” मीडिया ने इस खबर को ऐसे चलाया मानो केरल हाईकोर्ट ने इस्लामिक बैंक (Islamic Banking in India) की राह से रोड़े हटा दिये हों। जबकि केरल हाईकोर्ट ने वही कहा है, जो डॉ स्वामी (Dr. Subramaniam Swami) की मुख्य आपत्ति थी… अर्थात “भारत का संविधान एवं कानूनी धाराओं के चलते भारत में इस्लामिक बैंक की स्थापना नहीं की जा सकती…”। ठीक यही वक्तव्य रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने और वित्त मंत्रालय ने भी दिया है कि जब तक संविधान में संशोधन नहीं किया जाता, तब तक इस्लामिक बैंक की स्थापना नहीं की जा सकती।
केरल हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में डॉ स्वामी (Dr. Subramanian Swamy) के उठाये हुए बिन्दुओं को सही मानते हुए सरकार से कहा है कि भारत की “धर्मनिरपेक्ष” सरकार किसी “धर्म विशेष” के पर्सनल कानूनों के तहत किसी व्यावसायिक गतिविधि में शामिल नहीं हो सकती, यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ़ है। हाँ… यदि सरकार संसद में बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट एवं रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया एक्ट में पर्याप्त बदलाव करे, सिर्फ़ तभी इस्लामिक बैंक की स्थापना की जा सकती है, ऐसा हो पाना अभी सम्भव नहीं है।
अरब देशों में कार्यरत अल-बराक फ़ाइनेंस कम्पनी ने इस्लामिक बैंक हेतु दो बार आवेदन किया है, लेकिन दोनों बार वह खारिज किया जा चुका है। रिज़र्व बैंक ने हलफ़नामा दाखिल करके हाईकोर्ट को बताया है कि अल-बराक का दावा झूठा है और रिज़र्व बैंक ने कभी भी अल-बराख फ़ाइनेंशियल सर्विस लिमिटेड (ABFSL) को किसी भी प्रकार का रजिस्ट्रेशन सर्टिफ़िकेट जारी नहीं किया है। गवर्नर डी सुब्बाराव ने स्पष्ट कहा कि भारत के वर्तमान कानूनों के दायरे में “बिना ब्याज” की किसी बैंक की स्थापना नहीं की जा सकती, इसके लिये अलग से कानून बनाना पड़ेगा।
इस लताड़ के बावजूद भारत के “सेकुलर जेहादी” जो हमारे टैक्स के पैसों को चूना लगाने के आदी हो चुके हैं, यहाँ पर इस्लामिक बैंक की स्थापना के लिये एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। जबकि उधर धुर-इस्लामिक देश कतर (Qatar) (जी हाँ वही कतर, जहाँ इधर का एक भगोड़ा फ़ूहड़ चित्रकार नागरिकता लिये बैठा है) में इस्लामिक बैंक को बन्द करने की तैयारी चल रही है… जी हाँ, कतर के सेन्ट्रल बैंक ने अपने पारम्परिक इस्लामिक बैंक की सेवाएं समाप्त करने का “सर्कुलर” जारी कर दिया है। सभी ग्राहकों एवं ॠण लेने वालों को इस वर्ष 31 दिसम्बर तक की मोहलत दी गई है। इस घोषणा से कतर नेशनल बैंक के शेयर एक ही दिन में 5 प्रतिशत गिर गये, यह बैंक भी इस्लामिक शरीया कानूनों (Islamic Sharia Laws) के तहत ॠण देती है… विस्तार से खबर यहाँ पढ़ें…
http://www.emirates247.com/business/corporate/qatar-bans-banks-islamic-units-2011-02-06-1.352424
“सेकुलर जेहादियों” और “वामपंथी रुदालियों” के लिये इस्लामिक बैंक से ही सम्बन्धित एक अन्य खबर ब्रिटेन से भी है। ब्रिटेन की पहली शरीयत आधारित बैंक के संस्थापक सदस्यों में से एक जुनैद भट्टी कहते हैं कि “ब्रिटेन में इस्लामिक बैंकिंग का प्रयोग बेहद निराशाजनक रहा है, पिछले चार साल से हम इसे सुचारु करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह किसी तरह घिसट-घिसट कर ही चल पा रहा है, अब इसे लम्बे समय तक चलाये रखना मुश्किल है…”। इसी प्रकार इंस्टीट्यूट ऑफ़ इस्लामिक बैंकिंग एण्ड इंश्योरेंस के डायरेक्टर मोहम्मद कय्यूम कहते हैं कि, “मुस्लिम जनसंख्या में इस प्रकार की बैंकिंग के लिये जनजागरण की आवश्यकता है, क्योंकि अन्य प्रतिस्पर्धी बैंक इस्लामिक बैंक की तुलना में काफ़ी कम दरों पर अपने उत्पाद बेच रहे हैं और अधिक ब्याज़ या ज्यादा मुनाफ़ा कोई भी खोना नहीं चाहता…”।
http://www.theaustralian.com.au/business/industry-sectors/sharia-compliant-banking-products-a-huge-flop-in-britain/story-e6frg96f-1225882133009
इस सब के बावजूद भारत में वामपंथियों-सेकुलरों और जेहादियों के गठजोड़ लगातार भारत में इस्लामिक बैंकिंग शुरु करवाने के लिये मरे जा रहे हैं…
बहरहाल… प्रधानमंत्री द्वारा मलेशिया में दिये गये भाषण (Manmohan on Islamic Banking) को देखकर लगता है कि सरकार इस्लामिक बैंकिंग के लिये संसद में कानून भी ला सकती है (“सेकुलरिज़्म” गया भाड़ में) क्योंकि उसके बिना यह सम्भव नहीं होगा…। वैसे भी उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में कहा है कि सरकार सिर्फ़ “हिन्दुओं के कानून” ही बदलती है… यही है असली कांग्रेसी और वामपंथी सेकुलरिज़्म। इसके जिम्मेदार भी “हिन्दू” ही हैं, जो आज तक कभी राजनैतिक रुप से एकजुट नहीं हो पाए… और जब कोई कोशिश करता है तो उसकी टाँग खींचकर नीचे लाने में जुट जाते हैं… (मुम्बई शेयर बाज़ार में तो शरीयत आधारित इस्लामिक इंडेक्स (TASIS BSE Index) शुरु हो ही गया, हिन्दुओं ने क्या उखाड़ लिया?)।
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चलते-चलते :- जिस तरह से अकेले दम पर पिछले 4-5 साल में डॉ स्वामी ने सोनिया-राहुल-मनमोहन-चिदम्बरम और करुणानिधि की नींद उड़ाई है उसे देखते हुए उनकी सुरक्षा पर गम्भीर खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने रामसेतु (Ram Sethu) को टूटने से बचाया, इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों के फ़र्जीवाड़े (Electronic Voting Machine Fraud) को अपनी पुस्तक में विस्तार से उजागर किया, इस्लामिक बैंकिंग की राह में रोड़ा बने हुए हैं (Ban on Islamic Banking), राजा बाबू और मनमोहन के पीछे 2G को लेकर केस दायर किये हैं (2G Spectrum Case), चेन्नै में चिदम्बरम मन्दिर को कमीनिस्टों और नास्तिकों के हाथ में जाने से बचाया… और अभी भी 73 वर्ष की आयु में लगातार सरकार को सुप्रीम कोर्ट में घसीटने में लगे हुए हैं…। एक अकेला व्यक्ति जब इतना काम कर सकता है तो भाजपा इतना बड़ा संगठन और संसाधन लेकर क्या कर रही है? क्या स्वामी की सक्रियता को देखकर किसी भी बड़े विपक्षी नेता को शर्म, ग्लानि अथवा ईर्ष्या नहीं होती? जिस तरह डॉ स्वामी, बाबा रामदेव, किरण बेदी, अरविन्द केजरीवाल (अधिकतर नेता तो _______ हैं, परन्तु राजनीतिज्ञों में अकेले नरेन्द्र मोदी…) जैसे लोग जिस प्रकार कांग्रेस की “नाक मोरी में रगड़ रहे” हैं, इसे देखते हुए इन लोगों की सुरक्षा की चिंता होना स्वाभाविक है…, क्योंकि कांग्रेसी भले ही भाजपा और संघ को हमेशा “फ़ासिस्ट” कहती रहती हों… इनका खुद का इतिहास “आपातकाल” और “सिखों के कत्लेआम” से रंगा पड़ा है। दुआ करें कि डॉ स्वामी सुरक्षित रहें…
केरल हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में डॉ स्वामी (Dr. Subramanian Swamy) के उठाये हुए बिन्दुओं को सही मानते हुए सरकार से कहा है कि भारत की “धर्मनिरपेक्ष” सरकार किसी “धर्म विशेष” के पर्सनल कानूनों के तहत किसी व्यावसायिक गतिविधि में शामिल नहीं हो सकती, यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ़ है। हाँ… यदि सरकार संसद में बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट एवं रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया एक्ट में पर्याप्त बदलाव करे, सिर्फ़ तभी इस्लामिक बैंक की स्थापना की जा सकती है, ऐसा हो पाना अभी सम्भव नहीं है।
अरब देशों में कार्यरत अल-बराक फ़ाइनेंस कम्पनी ने इस्लामिक बैंक हेतु दो बार आवेदन किया है, लेकिन दोनों बार वह खारिज किया जा चुका है। रिज़र्व बैंक ने हलफ़नामा दाखिल करके हाईकोर्ट को बताया है कि अल-बराक का दावा झूठा है और रिज़र्व बैंक ने कभी भी अल-बराख फ़ाइनेंशियल सर्विस लिमिटेड (ABFSL) को किसी भी प्रकार का रजिस्ट्रेशन सर्टिफ़िकेट जारी नहीं किया है। गवर्नर डी सुब्बाराव ने स्पष्ट कहा कि भारत के वर्तमान कानूनों के दायरे में “बिना ब्याज” की किसी बैंक की स्थापना नहीं की जा सकती, इसके लिये अलग से कानून बनाना पड़ेगा।
इस लताड़ के बावजूद भारत के “सेकुलर जेहादी” जो हमारे टैक्स के पैसों को चूना लगाने के आदी हो चुके हैं, यहाँ पर इस्लामिक बैंक की स्थापना के लिये एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। जबकि उधर धुर-इस्लामिक देश कतर (Qatar) (जी हाँ वही कतर, जहाँ इधर का एक भगोड़ा फ़ूहड़ चित्रकार नागरिकता लिये बैठा है) में इस्लामिक बैंक को बन्द करने की तैयारी चल रही है… जी हाँ, कतर के सेन्ट्रल बैंक ने अपने पारम्परिक इस्लामिक बैंक की सेवाएं समाप्त करने का “सर्कुलर” जारी कर दिया है। सभी ग्राहकों एवं ॠण लेने वालों को इस वर्ष 31 दिसम्बर तक की मोहलत दी गई है। इस घोषणा से कतर नेशनल बैंक के शेयर एक ही दिन में 5 प्रतिशत गिर गये, यह बैंक भी इस्लामिक शरीया कानूनों (Islamic Sharia Laws) के तहत ॠण देती है… विस्तार से खबर यहाँ पढ़ें…
http://www.emirates247.com/business/corporate/qatar-bans-banks-islamic-units-2011-02-06-1.352424
“सेकुलर जेहादियों” और “वामपंथी रुदालियों” के लिये इस्लामिक बैंक से ही सम्बन्धित एक अन्य खबर ब्रिटेन से भी है। ब्रिटेन की पहली शरीयत आधारित बैंक के संस्थापक सदस्यों में से एक जुनैद भट्टी कहते हैं कि “ब्रिटेन में इस्लामिक बैंकिंग का प्रयोग बेहद निराशाजनक रहा है, पिछले चार साल से हम इसे सुचारु करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह किसी तरह घिसट-घिसट कर ही चल पा रहा है, अब इसे लम्बे समय तक चलाये रखना मुश्किल है…”। इसी प्रकार इंस्टीट्यूट ऑफ़ इस्लामिक बैंकिंग एण्ड इंश्योरेंस के डायरेक्टर मोहम्मद कय्यूम कहते हैं कि, “मुस्लिम जनसंख्या में इस प्रकार की बैंकिंग के लिये जनजागरण की आवश्यकता है, क्योंकि अन्य प्रतिस्पर्धी बैंक इस्लामिक बैंक की तुलना में काफ़ी कम दरों पर अपने उत्पाद बेच रहे हैं और अधिक ब्याज़ या ज्यादा मुनाफ़ा कोई भी खोना नहीं चाहता…”।
http://www.theaustralian.com.au/business/industry-sectors/sharia-compliant-banking-products-a-huge-flop-in-britain/story-e6frg96f-1225882133009
इस सब के बावजूद भारत में वामपंथियों-सेकुलरों और जेहादियों के गठजोड़ लगातार भारत में इस्लामिक बैंकिंग शुरु करवाने के लिये मरे जा रहे हैं…
बहरहाल… प्रधानमंत्री द्वारा मलेशिया में दिये गये भाषण (Manmohan on Islamic Banking) को देखकर लगता है कि सरकार इस्लामिक बैंकिंग के लिये संसद में कानून भी ला सकती है (“सेकुलरिज़्म” गया भाड़ में) क्योंकि उसके बिना यह सम्भव नहीं होगा…। वैसे भी उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में कहा है कि सरकार सिर्फ़ “हिन्दुओं के कानून” ही बदलती है… यही है असली कांग्रेसी और वामपंथी सेकुलरिज़्म। इसके जिम्मेदार भी “हिन्दू” ही हैं, जो आज तक कभी राजनैतिक रुप से एकजुट नहीं हो पाए… और जब कोई कोशिश करता है तो उसकी टाँग खींचकर नीचे लाने में जुट जाते हैं… (मुम्बई शेयर बाज़ार में तो शरीयत आधारित इस्लामिक इंडेक्स (TASIS BSE Index) शुरु हो ही गया, हिन्दुओं ने क्या उखाड़ लिया?)।
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चलते-चलते :- जिस तरह से अकेले दम पर पिछले 4-5 साल में डॉ स्वामी ने सोनिया-राहुल-मनमोहन-चिदम्बरम और करुणानिधि की नींद उड़ाई है उसे देखते हुए उनकी सुरक्षा पर गम्भीर खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने रामसेतु (Ram Sethu) को टूटने से बचाया, इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों के फ़र्जीवाड़े (Electronic Voting Machine Fraud) को अपनी पुस्तक में विस्तार से उजागर किया, इस्लामिक बैंकिंग की राह में रोड़ा बने हुए हैं (Ban on Islamic Banking), राजा बाबू और मनमोहन के पीछे 2G को लेकर केस दायर किये हैं (2G Spectrum Case), चेन्नै में चिदम्बरम मन्दिर को कमीनिस्टों और नास्तिकों के हाथ में जाने से बचाया… और अभी भी 73 वर्ष की आयु में लगातार सरकार को सुप्रीम कोर्ट में घसीटने में लगे हुए हैं…। एक अकेला व्यक्ति जब इतना काम कर सकता है तो भाजपा इतना बड़ा संगठन और संसाधन लेकर क्या कर रही है? क्या स्वामी की सक्रियता को देखकर किसी भी बड़े विपक्षी नेता को शर्म, ग्लानि अथवा ईर्ष्या नहीं होती? जिस तरह डॉ स्वामी, बाबा रामदेव, किरण बेदी, अरविन्द केजरीवाल (अधिकतर नेता तो _______ हैं, परन्तु राजनीतिज्ञों में अकेले नरेन्द्र मोदी…) जैसे लोग जिस प्रकार कांग्रेस की “नाक मोरी में रगड़ रहे” हैं, इसे देखते हुए इन लोगों की सुरक्षा की चिंता होना स्वाभाविक है…, क्योंकि कांग्रेसी भले ही भाजपा और संघ को हमेशा “फ़ासिस्ट” कहती रहती हों… इनका खुद का इतिहास “आपातकाल” और “सिखों के कत्लेआम” से रंगा पड़ा है। दुआ करें कि डॉ स्वामी सुरक्षित रहें…
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