आखिर इतनी कट्टरता कैसे और क्यों? (एक माइक्रो-पोस्ट)
यह
घटना आज़मगढ़, मुर्शिदाबाद या मलप्पुरम जैसे मुस्लिम बहुल इलाके की नहीं है, बल्कि
यह हृदयविदारक और वीभत्स घटना इंग्लैण्ड के कार्डिफ़ की है…
एक
माँ ने अपने सात साल के बच्चे को छड़ी और चाकू से पीटा, बुरी तरह घायल होने के बाद
जब बच्चे ने दम तोड़ दिया, तो उसने उसे जला भी दिया और फ़िर इस गुनाह को छिपाने की
असफ़ल कोशिश की। उस सात साल के बच्चे का कसूर सिर्फ़ इतना था कि वह कुरान की आयतें
कंठस्थ नहीं कर पा रहा था। कार्डिफ़ पुलिस के सामने अपने बयान में साराह ईज (32) ने
यह स्वीकार किया कि उसका बच्चा यासीन अली पास की एक मस्जिद में धार्मिक शिक्षा
ग्रहण करने जाता था। लेकिन यासीन का सारा ध्यान कुरान की बजाय खेलकूद में लगा रहता
था।
साराह
ईज ने यासीन को 35 पेज की आयतें तीन माह में पूरी तरह से कंठस्थ करवाने के लिए
दबाव बनाया था। स्कूल से आने के बाद यासीन अली उस मस्जिद में कुरान की शिक्षा लेने
जाता था, साराह और उसके पति यूसुफ़ की इच्छा थी कि वह बड़ा होकर “हाफ़िज़”
(जिसे पूरी कुरान कंठस्थ हो) बने। बार-बार प्रयास करने के बावजूद जब यासीन को
आयतें याद करने में कोई रुचि नहीं उत्पन्न हुई, तब सारा का धैर्य जवाब दे जाता और
वह उस मासूम बच्चे की जमकर पिटाई करती, कभी-कभी वह उसे अपने घर के पीछे स्थित
तबेले में बाँधकर भी रखती।
साराह
ने कहा कि एक साल के लगातार प्रयास के बावजूद यासीन कुरान का सिर्फ़ एक अध्याय ही
याद कर सका था। जिस दिन यह घटना हुई, उस दिन साराह ने यासीन को चप्पलों और छोटे
हथौड़े से पीटा और उठक-बैठक लगवाई। हालांकि साराह अभी भी यह मानने को तैयार नहीं है
कि उसने यासीन की हत्या की है, वह अभी भी अन्य किसी कारण से दुर्घटनावश लगी हुई आग
को इसका दोषी ठहराती है। हालांकि पोस्टमॉर्टम में इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि
यासीन की मौत आग लगने से पहले ही हो चुकी थी। जब पड़ोसियों ने घर से धुँआ उठता
देखा, तब उन्होंने पुलिस और फ़ायर ब्रिगेड को सूचना दी, लेकिन तब तक बहुत देर हो
चुकी थी।
इस
घटना के बाद ब्रिटेन और बाकी यूरोप में इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है
कि एक पढ़े-लिखे और अच्छे-खासे
खाते-कमाते मुस्लिम परिवार में सिर्फ़ कुरान को याद नही कर पाने की वजह से ऐसा दुष्कृत्य किया गया। कतिपय
बुद्धिजीवियों ने यूरोप में बढ़ते कट्टर इस्लामी विचारों पर भी चिंता व्यक्त की है…
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