IPL-3 में पाकिस्तानियों का रास्ता सुगम करते शाहरुख खान… (माइक्रो पोस्ट)…… IPL-3 Auction, Pakistani Players, Shahrukh Khan
Written by Super User बुधवार, 27 जनवरी 2010 12:47
भारतभूमि नामक महान धरा के तथाकथित “फ़िल्मी बादशाह” यानी शाहरुख, पाकिस्तानी खिलाड़ियों के साथ हुए “बर्ताव”(?) से बहुत दुखी हैं, उन्होंने कहा है कि जो भी हुआ गलत हुआ (यानी जब टीम के लिये खिलाड़ियों की बोली लगाई जा रही थी, तब वे सो रहे थे)। प्रियंका गाँधी के बच्चों के लाड़ले और कांग्रेस के टिकिट पर लोकसभा चुनाव लड़ने को बेताब शाहरुख कहते हैं कि खेलों में राजनीति नहीं होना चाहिये और IPL की नीलामी में जो हुआ वह उन्होंने जानबूझकर नहीं किया। पाकिस्तान को इस मामले में संयम बरतना चाहिये… http://ibnlive.in.com/news/ipl-could-have-been-respectful-to-pak-srk/109146-5.html?utm_source=IBNdaily_MCDB_250110&utm_medium=mailer । अब भला शाहरुख खान जब “माहौल” बनाने में लगे हैं तो फ़िर शाहिद अफ़रीदी को कौन रोक सकेगा IPL-3 में?
उधर तत्काल ऑस्ट्रेलिया से ताबड़तोड़ गालीगलौज में माहिर शाहिद अफ़रीदी का “थूक कर चाटने वाला बयान” भी आ गया कि “जो भी हुआ उसे वे भुला चुके हैं और IPL की बोली के अगले दौर के लिये वे उपलब्ध रहेंगे”, http://cricket.rediff.com/report/2010/jan/26/shahid-afridi-decides-to-forgive-and-forget-open-to-ipl-in-future.htm यानी कहाँ तो लड़ने की बातें कर रहे थे, और अपना आत्मसम्मान भुलाकर फ़िर से IPL के पैसों पर लार टपकाने लगे। अब बेचारे जहीर अब्बास के बयान का क्या होगा, पाकिस्तानी कबड्डी टीम के बयानों का क्या होगा, पाकिस्तानी हॉकी संघ के टीम न भेजने के फ़ैसले का क्या होगा… और एक “सज्जन” ने पाकिस्तानी कोर्ट में जो याचिका (http://cricket.rediff.com/report/2010/jan/25/pak-court-issues-notice-to-indian-govt-over-ipl-snub.htm) लगाई है उस पर अब कोर्ट को शाहिद अफ़रीदी और शाहरुख खान को नोटिस जारी करके पूछना चाहिये कि “भाई लोगों, जब अपनी बात से पलटना ही था, पैसों के लिये स्वाभिमान गिरवी रखना ही था, दोनों देशों की नकली दोस्ती के राग-तराने गाना ही था… तब पहले क्यों दहाड़ रहे थे?”… लेकिन पाकिस्तानी हैं ही ऐसे… आज़ादी के समय से ही भारत के पैसों पर पलने वाले…
इधर हमारे चिदम्बरम साहब भी बड़े उदास मूड में कह रहे हैं कि “पाकिस्तान को इस मुद्दे को इतना तूल नहीं देना चाहिये, उन्हें बुरा लगना स्वाभाविक है लेकिन इस मामले में सरकार की अपनी सीमाएं हैं” (यानी कि मेरे बस में होता तो ललित मोदी के कान पकड़कर उसे पाकिस्तानी खिलाड़ियों को शामिल करने को कहता)…
बहरहाल, मुझे तो ऐसा लगता है कि शाहरुख की आने वाली फ़िल्म जिसका नाम ज़ाहिर है कि “माइ नेम इज़ खान” है (क्योंकि “माइ नेम इज़ कश्मीरी पंडित” बनाने की परम्परा इस देश में नहीं है) के पाकिस्तान में होने वाले “बिजनेस” पर फ़र्क पड़ने की आशंका को लेकर शाहरुख बेचैन हैं, उधर भारत के कुछ “सेकुलर चैनल” वाले भी IPL-3 के पाकिस्तान में प्रसारण न होने को लेकर चिन्तित होंगे… क्योंकि उनकी विज्ञापन की कमाई मारी जायेगी… सो बात का लब्बेलुआब यह है कि पिछले दरवाजे से किसी बहाने पाकिस्तानी खिलाड़ियों के लिये दरवाजे खोलने की तैयारी चल रही है…
जैसा कि मैं पहले भी कई बार कह चुका हूं कि भारतीयों के लिये (और पाकिस्तानियों के लिये भी) “धंधा” अधिक महत्वपूर्ण होता है राष्ट्र के स्वाभिमान की अपेक्षा…। चीन हमारी जमीन हथियाता जा रहा है, नकली और घटिया माल से हमारे बाज़ार बिगाड़ रहा है और हम उससे “धंधे” की बात कर रहे हैं… पाकिस्तान तो 60 साल में भारी नुकसान पहुँचा चुका, उसे भी हमने “धंधे” की खातिर “मोस्ट फ़ेवर्ड नेशन” का दर्जा दे रखा है, बांग्लादेश हमारे वीर जवानों की लाशों को भी बेइज्जती से भेजता है और हम उसे 400 करोड़ का अनुदान देते हैं “धंधे” के नाम पर… क्योंकि मैकाले आधारित शिक्षा पद्धति ने हमें “आत्मसम्मान” क्या होता है, यह कभी सिखाया ही नहीं…
उधर तत्काल ऑस्ट्रेलिया से ताबड़तोड़ गालीगलौज में माहिर शाहिद अफ़रीदी का “थूक कर चाटने वाला बयान” भी आ गया कि “जो भी हुआ उसे वे भुला चुके हैं और IPL की बोली के अगले दौर के लिये वे उपलब्ध रहेंगे”, http://cricket.rediff.com/report/2010/jan/26/shahid-afridi-decides-to-forgive-and-forget-open-to-ipl-in-future.htm यानी कहाँ तो लड़ने की बातें कर रहे थे, और अपना आत्मसम्मान भुलाकर फ़िर से IPL के पैसों पर लार टपकाने लगे। अब बेचारे जहीर अब्बास के बयान का क्या होगा, पाकिस्तानी कबड्डी टीम के बयानों का क्या होगा, पाकिस्तानी हॉकी संघ के टीम न भेजने के फ़ैसले का क्या होगा… और एक “सज्जन” ने पाकिस्तानी कोर्ट में जो याचिका (http://cricket.rediff.com/report/2010/jan/25/pak-court-issues-notice-to-indian-govt-over-ipl-snub.htm) लगाई है उस पर अब कोर्ट को शाहिद अफ़रीदी और शाहरुख खान को नोटिस जारी करके पूछना चाहिये कि “भाई लोगों, जब अपनी बात से पलटना ही था, पैसों के लिये स्वाभिमान गिरवी रखना ही था, दोनों देशों की नकली दोस्ती के राग-तराने गाना ही था… तब पहले क्यों दहाड़ रहे थे?”… लेकिन पाकिस्तानी हैं ही ऐसे… आज़ादी के समय से ही भारत के पैसों पर पलने वाले…
इधर हमारे चिदम्बरम साहब भी बड़े उदास मूड में कह रहे हैं कि “पाकिस्तान को इस मुद्दे को इतना तूल नहीं देना चाहिये, उन्हें बुरा लगना स्वाभाविक है लेकिन इस मामले में सरकार की अपनी सीमाएं हैं” (यानी कि मेरे बस में होता तो ललित मोदी के कान पकड़कर उसे पाकिस्तानी खिलाड़ियों को शामिल करने को कहता)…
बहरहाल, मुझे तो ऐसा लगता है कि शाहरुख की आने वाली फ़िल्म जिसका नाम ज़ाहिर है कि “माइ नेम इज़ खान” है (क्योंकि “माइ नेम इज़ कश्मीरी पंडित” बनाने की परम्परा इस देश में नहीं है) के पाकिस्तान में होने वाले “बिजनेस” पर फ़र्क पड़ने की आशंका को लेकर शाहरुख बेचैन हैं, उधर भारत के कुछ “सेकुलर चैनल” वाले भी IPL-3 के पाकिस्तान में प्रसारण न होने को लेकर चिन्तित होंगे… क्योंकि उनकी विज्ञापन की कमाई मारी जायेगी… सो बात का लब्बेलुआब यह है कि पिछले दरवाजे से किसी बहाने पाकिस्तानी खिलाड़ियों के लिये दरवाजे खोलने की तैयारी चल रही है…
जैसा कि मैं पहले भी कई बार कह चुका हूं कि भारतीयों के लिये (और पाकिस्तानियों के लिये भी) “धंधा” अधिक महत्वपूर्ण होता है राष्ट्र के स्वाभिमान की अपेक्षा…। चीन हमारी जमीन हथियाता जा रहा है, नकली और घटिया माल से हमारे बाज़ार बिगाड़ रहा है और हम उससे “धंधे” की बात कर रहे हैं… पाकिस्तान तो 60 साल में भारी नुकसान पहुँचा चुका, उसे भी हमने “धंधे” की खातिर “मोस्ट फ़ेवर्ड नेशन” का दर्जा दे रखा है, बांग्लादेश हमारे वीर जवानों की लाशों को भी बेइज्जती से भेजता है और हम उसे 400 करोड़ का अनुदान देते हैं “धंधे” के नाम पर… क्योंकि मैकाले आधारित शिक्षा पद्धति ने हमें “आत्मसम्मान” क्या होता है, यह कभी सिखाया ही नहीं…
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