मुम्बई हमलावर का नाम अज़मल कसाब नहीं, अमर सिंह है – दिग्विजय सिंह… Hemant Karkare, Ajmal Kasab, Digvijay Singh and Mumbai Attack
Written by Super User बुधवार, 15 दिसम्बर 2010 12:28
कुछ दिनों पहले, मध्यप्रदेश को “अंधेरे में धकेलने वाले इंजीनियर पूर्व मुख्यमंत्री” श्री दिग्विजय सिंह के “श्रीमुख” से कुछ शब्द उचरे, जिसमें उन्होंने कहा कि शहीद हेमन्त करकरे को हिन्दू संगठनों की तरफ़ से जान का खतरा था, और यह बात खुद हेमन्त करकरे ने उन्हें मृत्यु से दो घण्टे पहले फ़ोन करके बताई थी…। अब आप सोच लीजिये कि दिग्विजय सिंह का दर्जा कितना महान है… यानी अपनी जान पर खतरे और धमकियों के बारे में, पुलिस का एक उच्च अधिकारी इस बात को, न तो अपने विभाग के अधिकारियों, न ही महाराष्ट्र के गृहमंत्री, न ही देश के गृहमंत्री और न ही प्रधानमंत्री को बताता है… वरन तड़ से सीधे दिग्विजय सिंह को फ़ोन लगाता है। इस हिसाब से तो दिग्विजय सिंह साहब, श्रीमती कविता करकरे से भी ज्यादा महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि सामान्यतः इस प्रकार की बातें व्यक्ति सबसे पहले अपनी पत्नी से शेयर करता है…
अब एक वीडियो देखिये जिसमें एक जोकरनुमा मसखरा जिसका नाम ज़ैद हामिद है, वह कल्पना की कैसी ऊँची उड़ाने भर रहा है… इस वीडियो मे ज़ैद हामिद नामक यह विदूषक (जिसे पाकिस्तान के चैनल “विचारक” बताते हैं…) फ़रमाता है कि – अज़मल कसाब एक काल्पनिक नाम है, और जिस व्यक्ति को मुम्बई पुलिस ने 26/11 को गिरफ़्तार किया है उसका नाम “अमर सिंह” है और जो आतंकवादी मारा गया है उसका नाम हीरालाल है… यानी कि 26/11 का हमला हिन्दू संगठनों की मिलीभगत से हुआ है… इस वीडियो में यह जोकर यह भी कहता है कि इसे यह सूचना “भारत के खुफ़िया विभाग और पाकिस्तान से सहानुभूति रखने वाले लोगों से हासिल हुई है…” (यह काफ़ी पहले स्पष्ट हो चुका है कि पाकिस्तान के थिंक टैंक के “करीबी लोग” भारत में कौन-कौन हैं…)।
डायरेक्ट लिंक :- http://www.youtube.com/watch?v=0xbrCaTebL0&feature=player_embedded
26/11 हमले के तुरन्त बाद पाकिस्तान से भारत तक फ़ैली हुई यह “सेकुलर”(?) गैंग इस हमले को “इस्लामी हमला” मानने से इंकार करने में जुट गई थी। अज़ीज़ बर्नी नामक एक उर्दू लेखक हैं, इन्होंने 26/11 “संघ का षडयन्त्र” नामक की इस कथित “थ्योरी” को एक पुस्तक लिखकर हवा दी, ज़ाहिर है कि एक अल्पसंख्यक द्वारा लिखी गई ऐसी किसी भी पुस्तक के विमोचन में कोई न कोई “सेकुलर” अवश्य उपस्थित होगा ही, सो दिग्विजय सिंह आगे रहे (चित्र देखिये…) उस पुस्तक विमोचन के “हैंग-ओवर” का ही असर था कि ठाकुर साहब ने अपने “पाकिस्तानी मित्र” को सपोर्ट करने के लिये यह बयान दे मारा…।
हालांकि फ़ोन रिकॉर्ड्स से यह बात साफ़ हो चुकी है कि दिग्विजय सिंह की करकरे से कोई बात उस दिन हुई ही नहीं थी… लेकिन "सेकुलर्स" लोगों की फ़ितरत होती है पहले झूठ बोलने की, फ़िर पकड़ा जाने के बावजूद न मानने की…। जिस प्रकार पहले पाकिस्तान ने अज़मल कसाब को पाकिस्तानी मानने से ही इंकार कर दिया, फ़िर सबूत दिए तो मान लिया, करगिल में अपने सैनिकों को पाकिस्तानी सैनिक मानने से ही इंकार कर दिया, फ़िर कुछ सालों बाद बेशर्मी से न सिर्फ़ मान लिया बल्कि उनके नाम सेना की वेबसाइट पर भी चढ़ा दिये…अभी बाबरी ढाँचे को "एक लुटेरे द्वारा किया गया अतिक्रमण" नहीं मान रहे, फ़िर बाद में मान जायेंगे…
आतंकवादियों तथा इस्लामी उग्रवादियों को बचाने और उनके पक्ष में आवाज़ उठाने के लिये विश्वव्यापी स्तर पर एक गठजोड़ बना हुआ है। किसी भी आतंकवादी घटना या पुलिस मुठभेड़ के बाद सेकुलरों और देशद्रोहियों की यह गैंग एक सुर में उसे फ़र्जी करार देने में जुट जाती है… आईये सिलसिलेवार तरीके से कुछ घटनाओं और संदिग्ध बयानों तथा कार्रवाईयों को देखें…
1) अमेरिका पर हुए 9/11 के हमले के बाद इस गैंग ने यह प्रचार करना शुरु कर दिया था कि यह हमला अमेरिका ने खुद करवाया है, इस विषय पर किताबें लिखी गईं, सेमिनार आयोजित किये गये, विभिन्न उर्दू अखबारों और ब्लॉग्स पर इस सम्बन्ध में बेतुकी और मूर्खतापूर्ण बातें कही गईं… जिनमें से अधिकतर का सार यह था कि अमेरिका ने ही अपने देश के 3000 से अधिक नागरिकों को मार दिया, सिर्फ़ इसलिये कि उसे अफ़गानिस्तान और ईराक पर हमला करना था। यानी जो देश अपने एक नागरिक या एक सैनिक की मौत का बदला लेने के लिये पूरी दुनिया हिला डालता है, वह खुद अपने 3000 नागरिकों की हत्या कर देगा…
2) दिल्ली में शहीद मोहनचन्द्र शर्मा द्वारा बाटला हाउस में कुछ आतंकवादियों का एनकाउंटर किया गया, तो भारत में उपस्थित इस गैंग के लोग चारों तरफ़ से पुलिस-सरकार और मीडिया पर टूट पड़े, जिनका साथ कांग्रेस और सपा ने दिया… बाद में यह सिद्ध हो गया कि वे लड़के आतंकवादी ही थे और उनका आज़मगढ़ से सम्बन्ध था तो तड़ से दिग्विजय सिंह आज़मगढ़ के दौरे पर चले गये और मरहम(?) लगाने का प्रयास करने लगे… ये बात और है कि मुस्लिमों ने ही दिग्गी राजा को वहाँ से भागने पर मजबूर कर दिया था…
3) 26/11 के हमले के तुरन्त बाद अब्दुल रहमान अन्तुले ने भी दिग्विजय सिंह से मिलता-जुलता बयान दिया था कि इस हमले में हिन्दूवादी संगठनों का हाथ हो सकता है, जबकि इस बात को पूरी तरह से गोल कर दिया गया था कि ताज होटल में मौजूद एक सऊदी अरब के नागरिक को बचाने के लिये खुद महाराष्ट्र के मंत्री वहाँ क्यों घुसे? जबकि पुलिस उन्हें रोकने की कोशिश कर रही थी… असल में उस “सेकुलर मंत्री” को डर था कि कहीं पुलिस और आतंकवादियों की “क्रॉस-फ़ायरिंग” मे उसके “अज़ीज़ मेहमान” की जान न चली जाये…
4) आदतन अपराधी सोहराबुद्दीन के एनकाउण्टर के मामले पर तो इतना बवाल मचाया गया कि नरेन्द्र मोदी को बदनाम करने के लिये मामला जानबूझकर मानवाधिकार संगठनों और न्यायालय तक ले जाया गया…
5) इस गैंग की एक माननीय सदस्या तीस्ता सीतलवाड, फ़र्जी दस्तावेजों और अपने ही सहयोगियों से धोखाधड़ी के आरोप में सर्वोच्च न्यायालय की लताड़ खाती रहती हैं, लेकिन उन्हें शर्म आना तो दूर, NDTV उनके बयान अभी भी दिखाता रहता है…
6) महाराष्ट्र में अबू आज़मी नामक सेकुलर ने कुछ दिन पहले ही विधानसभा में कहा कि “संघ के लोग अल-कायदा से भी अधिक खतरनाक हैं…” इसी अबू आज़मी ने काफ़ी समय पहले “भारत माता एक डायन का नाम है…” भी कहा था…। इसी अबू आज़मी को राज ठाकरे की मनसे ने विधानसभा के भीतर थप्पड़ से नवाज़ा था…
7) फ़िर अज़ीज़ बर्नी साहब एक “काल्पनिक पुस्तक” लेकर आते हैं, दिग्विजय सिंह उसके विमोचन समारोह में मौजूद रहते हैं, बाहर आकर करकरे सम्बन्धी बयान देते हैं और खामखा का बखेड़ा खड़ा करते हैं जिससे पाकिस्तान को फ़ायदा पहुँचे…।
एक बात तो कोई नासमझ भी बता सकता है कि जो कांग्रेसी छींकने और जम्हाई लेने के लिये मुँह खोलने से पहले हाईकमान की अनुमति का इंतज़ार करते हों, वह ऐसा “दुष्प्रभावकारी बयान” सोनिया अम्मा से पूछे बिना कैसे दे सकते हैं? ज़ाहिर है कि असम और पश्चिम बंगाल के आगामी चुनावों को देखते हुए “ऊपर” से ऐसा बयान जारी करने के निर्देश हुए, फ़िर बदली हवा को देखते हुए तुरन्त दिग्गी राजा से पल्ला झाड़ने का बयान भी जारी हो गया… लेकिन देश की आज़ादी (यानी टुकड़े करके बँटवारा करने) में प्रमुख भूमिका निभाने वाली सौ साल पुरानी “सेकुलरिज़्मग्रस्त” पार्टी को “जो संदेश” - “जिन लोगों तक” पहुँचाना था, वह पहुँचाने में सफ़ल रही… यह बात विकीलीक्स भी मान चुका है कि कांग्रेस पार्टी वोटों (खासकर अल्पसंख्यक वोटों) के लिये किसी भी निचले स्तर तक जा सकती है… फ़िर दिग्विजय सिंह की पीड़ा और बेताबी भी समझी जा सकती है कि मध्यप्रदेश में उनकी छवि वैसे भी “अंधेरा करने वाले और ऊबड़-खाबड़ सड़कों वाले” नेता की है, केन्द्र में उनके पास दिखावे को महासचिव का पद जरुर है लेकिन काम कुछ खास है नहीं…फ़िर राष्ट्रीय परिदृश्य से एक अन्य ठाकुर अमर सिंह के गायब हो जाने के बाद वह जगह खाली है, जिसे दिग्गी राजा भरना चाहते हैं… सो उनके ऐसे बयान आते ही रहेंगे…
अतः अज़मल कसाब को अमर सिंह बताने वाला भले ही ज़ैद हामिद हो… परन्तु यह तीव्र भावना दिग्गी राजा की भी है… वैसे भी ज़ैद हामिद बोलें या दिग्विजय सिंह बोलें, एक ही बात है… क्या फ़र्क पड़ता है।
पेश हैं, दिग्विजय सिंह द्वारा भविष्य में समय-समय पर दिये जाने वाले बयान, जिन्हें पढ़कर-सुनकर आप चौंकियेगा बिलकुल नहीं…
1) संसद पर हमले का मुख्य आरोपी अफ़ज़ल गुरु है ही नहीं…
2) संसद पर हमले की साजिश नागपुर में रची गई…
3) अपनी मौत से पहले राजीव गाँधी ने उन्हें फ़ोन करके बताया था कि नलिनी के सम्बन्ध साध्वी प्रज्ञा से हैं…
4) वॉरेन एण्डरसन ने दिग्गी के साथ लंच करते हुए उनसे कहा था कि भोपाल गैस काण्ड के जिम्मेदार प्रवीण तोगड़िया हैं…
5) यहाँ तक कि ज्ञानी जैल सिंह साहब ने मरने से पहले फ़ोन पर कहा था कि सिखों के नरसंहार के लिये शिवसेना जिम्मेदार है…
6) ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला…
7) बड़ बड़ बड़ बड़ बड़ बड़ बड़ बड़…
इन "अखण्ड सेकुलरों" की बातें एक कान से सुनिये और दूसरे से निकाल दीजिये… दिमाग में रखने लायक होती ही नहीं ये बातें…। हाँ लेकिन, अपने मित्रों और जनता के एक बड़े हिस्से तक इन्हें पहुँचा जरुर दीजिये ताकि वे भी इनके मानसिक स्तर का अनुमान लगा सकें…
Digvijay Singh, Hemant Karkare, 26/11 Attack on Mumbai, Aziz Burney Book, Hindu Organizations behind Hemant Karkare, Zaid Hamid and 9/11, Ajmal Kasab and Afzal Guru, Sohrabuddin Encounter Case, Batla House Encounter and Mohanchand Sharma, Warren Anderson and Arjun Singh, Bhopal Gas Tragedy, Abu Azmi and Raj Thakrey, हेमन्त करकरे, दिग्विजय सिंह, मुम्बई हमला, 26/11 मुम्बई हमला, ताज होटल आतंकवादी कार्रवाई, ज़ैद हमीद और 9/11, 26/11 और पाकिस्तान की भूमिका, अजमल कसाब और अफ़ज़ल गुरु, सोहरबुद्दीन एनकाउंटर मामला, बाटला हाउस मोहन शर्मा, वारेन एंडरसन और अर्जुन सिंह, भोपाल गैस त्रासदी, Blogging, Hindi Blogging, Hindi Blog and Hindi Typing, Hindi Blog History, Help for Hindi Blogging, Hindi Typing on Computers, Hindi Blog and Unicode
अब एक वीडियो देखिये जिसमें एक जोकरनुमा मसखरा जिसका नाम ज़ैद हामिद है, वह कल्पना की कैसी ऊँची उड़ाने भर रहा है… इस वीडियो मे ज़ैद हामिद नामक यह विदूषक (जिसे पाकिस्तान के चैनल “विचारक” बताते हैं…) फ़रमाता है कि – अज़मल कसाब एक काल्पनिक नाम है, और जिस व्यक्ति को मुम्बई पुलिस ने 26/11 को गिरफ़्तार किया है उसका नाम “अमर सिंह” है और जो आतंकवादी मारा गया है उसका नाम हीरालाल है… यानी कि 26/11 का हमला हिन्दू संगठनों की मिलीभगत से हुआ है… इस वीडियो में यह जोकर यह भी कहता है कि इसे यह सूचना “भारत के खुफ़िया विभाग और पाकिस्तान से सहानुभूति रखने वाले लोगों से हासिल हुई है…” (यह काफ़ी पहले स्पष्ट हो चुका है कि पाकिस्तान के थिंक टैंक के “करीबी लोग” भारत में कौन-कौन हैं…)।
डायरेक्ट लिंक :- http://www.youtube.com/watch?v=0xbrCaTebL0&feature=player_embedded
26/11 हमले के तुरन्त बाद पाकिस्तान से भारत तक फ़ैली हुई यह “सेकुलर”(?) गैंग इस हमले को “इस्लामी हमला” मानने से इंकार करने में जुट गई थी। अज़ीज़ बर्नी नामक एक उर्दू लेखक हैं, इन्होंने 26/11 “संघ का षडयन्त्र” नामक की इस कथित “थ्योरी” को एक पुस्तक लिखकर हवा दी, ज़ाहिर है कि एक अल्पसंख्यक द्वारा लिखी गई ऐसी किसी भी पुस्तक के विमोचन में कोई न कोई “सेकुलर” अवश्य उपस्थित होगा ही, सो दिग्विजय सिंह आगे रहे (चित्र देखिये…) उस पुस्तक विमोचन के “हैंग-ओवर” का ही असर था कि ठाकुर साहब ने अपने “पाकिस्तानी मित्र” को सपोर्ट करने के लिये यह बयान दे मारा…।
हालांकि फ़ोन रिकॉर्ड्स से यह बात साफ़ हो चुकी है कि दिग्विजय सिंह की करकरे से कोई बात उस दिन हुई ही नहीं थी… लेकिन "सेकुलर्स" लोगों की फ़ितरत होती है पहले झूठ बोलने की, फ़िर पकड़ा जाने के बावजूद न मानने की…। जिस प्रकार पहले पाकिस्तान ने अज़मल कसाब को पाकिस्तानी मानने से ही इंकार कर दिया, फ़िर सबूत दिए तो मान लिया, करगिल में अपने सैनिकों को पाकिस्तानी सैनिक मानने से ही इंकार कर दिया, फ़िर कुछ सालों बाद बेशर्मी से न सिर्फ़ मान लिया बल्कि उनके नाम सेना की वेबसाइट पर भी चढ़ा दिये…अभी बाबरी ढाँचे को "एक लुटेरे द्वारा किया गया अतिक्रमण" नहीं मान रहे, फ़िर बाद में मान जायेंगे…
आतंकवादियों तथा इस्लामी उग्रवादियों को बचाने और उनके पक्ष में आवाज़ उठाने के लिये विश्वव्यापी स्तर पर एक गठजोड़ बना हुआ है। किसी भी आतंकवादी घटना या पुलिस मुठभेड़ के बाद सेकुलरों और देशद्रोहियों की यह गैंग एक सुर में उसे फ़र्जी करार देने में जुट जाती है… आईये सिलसिलेवार तरीके से कुछ घटनाओं और संदिग्ध बयानों तथा कार्रवाईयों को देखें…
1) अमेरिका पर हुए 9/11 के हमले के बाद इस गैंग ने यह प्रचार करना शुरु कर दिया था कि यह हमला अमेरिका ने खुद करवाया है, इस विषय पर किताबें लिखी गईं, सेमिनार आयोजित किये गये, विभिन्न उर्दू अखबारों और ब्लॉग्स पर इस सम्बन्ध में बेतुकी और मूर्खतापूर्ण बातें कही गईं… जिनमें से अधिकतर का सार यह था कि अमेरिका ने ही अपने देश के 3000 से अधिक नागरिकों को मार दिया, सिर्फ़ इसलिये कि उसे अफ़गानिस्तान और ईराक पर हमला करना था। यानी जो देश अपने एक नागरिक या एक सैनिक की मौत का बदला लेने के लिये पूरी दुनिया हिला डालता है, वह खुद अपने 3000 नागरिकों की हत्या कर देगा…
2) दिल्ली में शहीद मोहनचन्द्र शर्मा द्वारा बाटला हाउस में कुछ आतंकवादियों का एनकाउंटर किया गया, तो भारत में उपस्थित इस गैंग के लोग चारों तरफ़ से पुलिस-सरकार और मीडिया पर टूट पड़े, जिनका साथ कांग्रेस और सपा ने दिया… बाद में यह सिद्ध हो गया कि वे लड़के आतंकवादी ही थे और उनका आज़मगढ़ से सम्बन्ध था तो तड़ से दिग्विजय सिंह आज़मगढ़ के दौरे पर चले गये और मरहम(?) लगाने का प्रयास करने लगे… ये बात और है कि मुस्लिमों ने ही दिग्गी राजा को वहाँ से भागने पर मजबूर कर दिया था…
3) 26/11 के हमले के तुरन्त बाद अब्दुल रहमान अन्तुले ने भी दिग्विजय सिंह से मिलता-जुलता बयान दिया था कि इस हमले में हिन्दूवादी संगठनों का हाथ हो सकता है, जबकि इस बात को पूरी तरह से गोल कर दिया गया था कि ताज होटल में मौजूद एक सऊदी अरब के नागरिक को बचाने के लिये खुद महाराष्ट्र के मंत्री वहाँ क्यों घुसे? जबकि पुलिस उन्हें रोकने की कोशिश कर रही थी… असल में उस “सेकुलर मंत्री” को डर था कि कहीं पुलिस और आतंकवादियों की “क्रॉस-फ़ायरिंग” मे उसके “अज़ीज़ मेहमान” की जान न चली जाये…
4) आदतन अपराधी सोहराबुद्दीन के एनकाउण्टर के मामले पर तो इतना बवाल मचाया गया कि नरेन्द्र मोदी को बदनाम करने के लिये मामला जानबूझकर मानवाधिकार संगठनों और न्यायालय तक ले जाया गया…
5) इस गैंग की एक माननीय सदस्या तीस्ता सीतलवाड, फ़र्जी दस्तावेजों और अपने ही सहयोगियों से धोखाधड़ी के आरोप में सर्वोच्च न्यायालय की लताड़ खाती रहती हैं, लेकिन उन्हें शर्म आना तो दूर, NDTV उनके बयान अभी भी दिखाता रहता है…
6) महाराष्ट्र में अबू आज़मी नामक सेकुलर ने कुछ दिन पहले ही विधानसभा में कहा कि “संघ के लोग अल-कायदा से भी अधिक खतरनाक हैं…” इसी अबू आज़मी ने काफ़ी समय पहले “भारत माता एक डायन का नाम है…” भी कहा था…। इसी अबू आज़मी को राज ठाकरे की मनसे ने विधानसभा के भीतर थप्पड़ से नवाज़ा था…
7) फ़िर अज़ीज़ बर्नी साहब एक “काल्पनिक पुस्तक” लेकर आते हैं, दिग्विजय सिंह उसके विमोचन समारोह में मौजूद रहते हैं, बाहर आकर करकरे सम्बन्धी बयान देते हैं और खामखा का बखेड़ा खड़ा करते हैं जिससे पाकिस्तान को फ़ायदा पहुँचे…।
एक बात तो कोई नासमझ भी बता सकता है कि जो कांग्रेसी छींकने और जम्हाई लेने के लिये मुँह खोलने से पहले हाईकमान की अनुमति का इंतज़ार करते हों, वह ऐसा “दुष्प्रभावकारी बयान” सोनिया अम्मा से पूछे बिना कैसे दे सकते हैं? ज़ाहिर है कि असम और पश्चिम बंगाल के आगामी चुनावों को देखते हुए “ऊपर” से ऐसा बयान जारी करने के निर्देश हुए, फ़िर बदली हवा को देखते हुए तुरन्त दिग्गी राजा से पल्ला झाड़ने का बयान भी जारी हो गया… लेकिन देश की आज़ादी (यानी टुकड़े करके बँटवारा करने) में प्रमुख भूमिका निभाने वाली सौ साल पुरानी “सेकुलरिज़्मग्रस्त” पार्टी को “जो संदेश” - “जिन लोगों तक” पहुँचाना था, वह पहुँचाने में सफ़ल रही… यह बात विकीलीक्स भी मान चुका है कि कांग्रेस पार्टी वोटों (खासकर अल्पसंख्यक वोटों) के लिये किसी भी निचले स्तर तक जा सकती है… फ़िर दिग्विजय सिंह की पीड़ा और बेताबी भी समझी जा सकती है कि मध्यप्रदेश में उनकी छवि वैसे भी “अंधेरा करने वाले और ऊबड़-खाबड़ सड़कों वाले” नेता की है, केन्द्र में उनके पास दिखावे को महासचिव का पद जरुर है लेकिन काम कुछ खास है नहीं…फ़िर राष्ट्रीय परिदृश्य से एक अन्य ठाकुर अमर सिंह के गायब हो जाने के बाद वह जगह खाली है, जिसे दिग्गी राजा भरना चाहते हैं… सो उनके ऐसे बयान आते ही रहेंगे…
अतः अज़मल कसाब को अमर सिंह बताने वाला भले ही ज़ैद हामिद हो… परन्तु यह तीव्र भावना दिग्गी राजा की भी है… वैसे भी ज़ैद हामिद बोलें या दिग्विजय सिंह बोलें, एक ही बात है… क्या फ़र्क पड़ता है।
पेश हैं, दिग्विजय सिंह द्वारा भविष्य में समय-समय पर दिये जाने वाले बयान, जिन्हें पढ़कर-सुनकर आप चौंकियेगा बिलकुल नहीं…
1) संसद पर हमले का मुख्य आरोपी अफ़ज़ल गुरु है ही नहीं…
2) संसद पर हमले की साजिश नागपुर में रची गई…
3) अपनी मौत से पहले राजीव गाँधी ने उन्हें फ़ोन करके बताया था कि नलिनी के सम्बन्ध साध्वी प्रज्ञा से हैं…
4) वॉरेन एण्डरसन ने दिग्गी के साथ लंच करते हुए उनसे कहा था कि भोपाल गैस काण्ड के जिम्मेदार प्रवीण तोगड़िया हैं…
5) यहाँ तक कि ज्ञानी जैल सिंह साहब ने मरने से पहले फ़ोन पर कहा था कि सिखों के नरसंहार के लिये शिवसेना जिम्मेदार है…
6) ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला ब्ला…
7) बड़ बड़ बड़ बड़ बड़ बड़ बड़ बड़…
इन "अखण्ड सेकुलरों" की बातें एक कान से सुनिये और दूसरे से निकाल दीजिये… दिमाग में रखने लायक होती ही नहीं ये बातें…। हाँ लेकिन, अपने मित्रों और जनता के एक बड़े हिस्से तक इन्हें पहुँचा जरुर दीजिये ताकि वे भी इनके मानसिक स्तर का अनुमान लगा सकें…
Digvijay Singh, Hemant Karkare, 26/11 Attack on Mumbai, Aziz Burney Book, Hindu Organizations behind Hemant Karkare, Zaid Hamid and 9/11, Ajmal Kasab and Afzal Guru, Sohrabuddin Encounter Case, Batla House Encounter and Mohanchand Sharma, Warren Anderson and Arjun Singh, Bhopal Gas Tragedy, Abu Azmi and Raj Thakrey, हेमन्त करकरे, दिग्विजय सिंह, मुम्बई हमला, 26/11 मुम्बई हमला, ताज होटल आतंकवादी कार्रवाई, ज़ैद हमीद और 9/11, 26/11 और पाकिस्तान की भूमिका, अजमल कसाब और अफ़ज़ल गुरु, सोहरबुद्दीन एनकाउंटर मामला, बाटला हाउस मोहन शर्मा, वारेन एंडरसन और अर्जुन सिंह, भोपाल गैस त्रासदी, Blogging, Hindi Blogging, Hindi Blog and Hindi Typing, Hindi Blog History, Help for Hindi Blogging, Hindi Typing on Computers, Hindi Blog and Unicode
Published in
ब्लॉग
Super User