नरेन्द्र मोदी को अन्तर्राष्ट्रीय अवार्ड मिला, पेट दर्द शुरु… (एक माइक्रो पोस्ट) FDI Award to Narendra Modi
Written by Super User सोमवार, 07 सितम्बर 2009 11:50
विदेशी निवेश पर नज़र रखने वाली एक अन्तर्राष्ट्रीय पत्रिका ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को विदेशी निवेश और गुजरात की अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय प्रगति के लिये "एशियन पर्सनालिटी ऑफ़ द ईयर 2009" चुना है। पत्रिका की वेबसाईट पर नरेन्द्र मोदी के बारे में काफ़ी कुछ लिखा गया है, जो लगभग सभी लोग जानते हैं, जैसे नरेन्द्र मोदी गुजरात में सबसे लम्बे समय तक मुख्यमंत्री बने हुए हैं, गुजरात की विकास दर 10% पर बनी हुई है (जबकि देश की 6% के आसपास है), गत वर्ष के मुकाबले विदेशी निवेश में 57% बढ़ोतरी हुई है, अहमदाबाद में 100 एसईज़ेड बनने वाले हैं, गुजरात की जनता की प्रति व्यक्ति आय भारत में सबसे अधिक है आदि-आदि… (यहाँ देखें http://fdimagazine.com/news/fullstory.php/aid/2962)
अब नरेन्द्र मोदी की तारीफ़ हो और मानवाधिकारवादी(?) चुप बैठें, ऐसा कहीं हो सकता है भला? सो पत्रिका के मालिक मारजोरी स्कार्दिनो को एक कथित मानवाधिकार संगठन के कर्ताधर्ता मीरा कामदार (mirakamdar@gmail.com) और विजय प्रसाद (vijay.prashad@trincoll.edu) ने एक हस्ताक्षर अभियान चलाकर वेबसाईट को नरेन्द्र मोदी को यह पुरस्कार न देने की अपील की। इस अपील में वही पुराना राग अलापा गया है कि नरेन्द्र मोदी "भगवा ब्रिगेड"(?) के नेता हैं, इन्होंने मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन किया है, इन्होंने गुजरात से मुसलमानों का सफ़ाया कर दिया है, और इनके राज में कई महिलाओं के साथ बलात्कार हुए हैं… आदि-आदि जमाने भर के रोतले प्रलाप, जो कि खुद तीस्ता के हलफ़नामों में झूठे साबित हो चुके हैं और जिन गुजरात के दंगों को लेकर बार-बार मोदी को कोसा जाता है, उससे कई गुना अधिक हिन्दुओं को कश्मीर में मारा जा चुका है जबकि "जातीय सफ़ाया" किसे कहते हैं, इन मानवाधिकारवादियों को यह कश्मीर जाकर ही पता चल सकता है, लेकिन ये वहाँ जायेंगे नहीं।
पत्र के अन्त में कहा गया है कि नरेन्द्र मोदी गुजरात की प्रगति और विदेशी निवेश के बारे में जो आँकड़े बता रहे हैं वह झूठे हैं और हम अपील करते हैं कि उन्हें यह पुरस्कार नहीं दिया जाये, क्योंकि मोदी मानवाधिकारों के सबसे बड़े हत्यारे हैं। इस अपील को यहाँ पढ़ा जा सकता है, लेकिन दुर्भाग्य से आप इस पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते, क्योंकि इसकी अन्तिम तिथि 1 सितम्बर थी…।
फ़िर भी आपको अन्दाज़ तो लग ही गया होगा कि "गुड गवर्नेंस" सिर्फ़ नेहरु-गाँधी परिवार ही दे सकता है, और मानवाधिकार कश्मीर-असम-केरल (और सभी कांग्रेसी राज्यों) में ही सुरक्षित हैं। साथ ही यह भी कि नरेन्द्र मोदी के नाम को लेकर "पेट-दर्द" की शिकायत सेकुलरों को अक्सर हो जाया करती है, सेकुलरों का यह पेट-दर्द बढ़ते-बढ़ते "बवासीर" तक बन चुका है, लेकिन नरेन्द्र मोदी फ़िर भी तीसरी-चौथी बार मुख्यमंत्री बन ही जाते हैं, क्या करें गुजरात की जनता कुछ समझती ही नहीं…
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अब नरेन्द्र मोदी की तारीफ़ हो और मानवाधिकारवादी(?) चुप बैठें, ऐसा कहीं हो सकता है भला? सो पत्रिका के मालिक मारजोरी स्कार्दिनो को एक कथित मानवाधिकार संगठन के कर्ताधर्ता मीरा कामदार (mirakamdar@gmail.com) और विजय प्रसाद (vijay.prashad@trincoll.edu) ने एक हस्ताक्षर अभियान चलाकर वेबसाईट को नरेन्द्र मोदी को यह पुरस्कार न देने की अपील की। इस अपील में वही पुराना राग अलापा गया है कि नरेन्द्र मोदी "भगवा ब्रिगेड"(?) के नेता हैं, इन्होंने मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन किया है, इन्होंने गुजरात से मुसलमानों का सफ़ाया कर दिया है, और इनके राज में कई महिलाओं के साथ बलात्कार हुए हैं… आदि-आदि जमाने भर के रोतले प्रलाप, जो कि खुद तीस्ता के हलफ़नामों में झूठे साबित हो चुके हैं और जिन गुजरात के दंगों को लेकर बार-बार मोदी को कोसा जाता है, उससे कई गुना अधिक हिन्दुओं को कश्मीर में मारा जा चुका है जबकि "जातीय सफ़ाया" किसे कहते हैं, इन मानवाधिकारवादियों को यह कश्मीर जाकर ही पता चल सकता है, लेकिन ये वहाँ जायेंगे नहीं।
पत्र के अन्त में कहा गया है कि नरेन्द्र मोदी गुजरात की प्रगति और विदेशी निवेश के बारे में जो आँकड़े बता रहे हैं वह झूठे हैं और हम अपील करते हैं कि उन्हें यह पुरस्कार नहीं दिया जाये, क्योंकि मोदी मानवाधिकारों के सबसे बड़े हत्यारे हैं। इस अपील को यहाँ पढ़ा जा सकता है, लेकिन दुर्भाग्य से आप इस पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते, क्योंकि इसकी अन्तिम तिथि 1 सितम्बर थी…।
फ़िर भी आपको अन्दाज़ तो लग ही गया होगा कि "गुड गवर्नेंस" सिर्फ़ नेहरु-गाँधी परिवार ही दे सकता है, और मानवाधिकार कश्मीर-असम-केरल (और सभी कांग्रेसी राज्यों) में ही सुरक्षित हैं। साथ ही यह भी कि नरेन्द्र मोदी के नाम को लेकर "पेट-दर्द" की शिकायत सेकुलरों को अक्सर हो जाया करती है, सेकुलरों का यह पेट-दर्द बढ़ते-बढ़ते "बवासीर" तक बन चुका है, लेकिन नरेन्द्र मोदी फ़िर भी तीसरी-चौथी बार मुख्यमंत्री बन ही जाते हैं, क्या करें गुजरात की जनता कुछ समझती ही नहीं…
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