क्या वोटिंग मशीन धोखाधड़ी के उजागर होने से कांग्रेस सरकार भयभीत है?… EVM Hacking, Hari Prasad Arrested, Vulnerable Voting Machines

Written by गुरुवार, 26 अगस्त 2010 12:38
हैदराबाद के निवासी श्री हरिप्रसाद, जिन्होंने भारतीय इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों में हैकिंग कैसे की जा सकती है और वोटिंग मशीनें सुरक्षित नहीं हैं इस बारे में विस्तृत अध्ययन किया है और उसका प्रदर्शन भी किया है… को मुम्बई पुलिस ने उनके हैदराबाद स्थित निवास से गिरफ़्तार कर लिया है। पुलिस ने उन पर आरोप लगाया है कि उन्होंने EVM की चोरी की है और चोरी की EVM से ही वे एक तेलुगू चैनल पर अपना प्रदर्शन कर रहे थे।

उल्लेखनीय है कि श्री हरिप्रसाद VETA (Citizens for Verifiability, Transparency and Accountability in Elections), के तकनीकी सलाहकार और शोधकर्ता हैं। हरिप्रसाद ने कई सार्वजनिक कार्यक्रमों और यू-ट्यूब पर बाकायदा इस बात का खुलासा किया है कि इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों को किसी एक खास पार्टी के पक्ष में "हैक" और "क्रैक" किया जा सकता है। हरिप्रसाद के साथ तकनीकी टीम में अमेरिकी विश्वविद्यालय के दो प्रोफ़ेसर और "एथिकल हैकर" शामिल हैं तथा इस बारे में चुनाव विशेषज्ञ (Safologist) श्री राव ने एक पूरी पुस्तक लिखी है (यहाँ देखें…)। इन खुलासों के बाद लगता है कि कांग्रेस सरकार जो कि युवराज की ताजपोशी की तैयारियों में लगी है, घबरा गई है… और उसने समस्या का सही और उचित निराकरण करने की बजाय एक निरीह तकनीकी व्यक्ति को डराने के लिये उसे चोरी के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया है।

मामले की शुरुआत तब हुई, जब तेलुगू चैनल पर एक कार्यक्रम के दौरान जब एक दर्शक ने उनके द्वारा प्रयोग करके दिखाई जा रही मशीन की वैधता पर सवाल किया तब उन्होंने उस मशीन का सीरियल नम्बर बता दिया। अब तक पिछले कुछ चुनावों में देश भर में लगभग 100 वोटिंग मशीनें चोरी हो चुकी हैं, लेकिन चुनाव आयोग ने कभी इतनी फ़ुर्ती से काम नहीं किया जितना हरिप्रसाद के मामले में किया। चुनाव आयोग ने तत्काल मुम्बई सम्पर्क करके उस सीरियल नम्बर की मशीन के बारे में पूछताछ की और पाया कि यह मशीन चोरी गई मशीनों में से एक है, तत्काल आंध्रप्रदेश पुलिस के सहयोग से मुम्बई पुलिस ने हरिप्रसाद को EVM चोरी के आरोप में उनके घर से उठा लिया। चुनाव आयोग सन् 2008 से ही हरिप्रसाद से खुन्नस खाये बैठा है, जब उन्होंने EVM के फ़ुलप्रूफ़ न होने तथा उसमे छेड़छाड़ और धोखाधड़ी की बातें सार्वजनिक रुप से प्रयोग करके दिखाना शुरु किया।

1) चुनाव आयोग ने पहले तो लगातार इस बात से इंकार किया कि ऐसा कुछ हो भी सकता है

2) फ़िर जब हरिप्रसाद की मुहिम आगे बढ़ी तो आयोग ने कहा कि हरिप्रसाद जो हैकिंग के करतब दिखा रहे हैं वह मशीनें विदेशी हैं

3) हरिप्रसाद ने चुनाव आयोग को चैलेंज किया कि उन्हें भारत की वोटिंग मशीनें उपलब्ध करवाई जायें तो वे उसमें भी गड़बड़ी करके दिखा सकते हैं

4) चुनाव आयोग ने भारतीय ब्यूरोक्रेसी का अनुपम उदाहरण देते हुए उनसे कहा कि वोटिंग मशीनें उन्हें नहीं दी जा सकती, क्योंकि वह गोपनीयता का उल्लंघन है, और (बिना किसी विशेषज्ञ समिति के) घोषणा की, कि चुनाव आयोग को भरोसा है कि भारतीय वोटिंग मशीनें पूरी तरह सुरक्षित हैं

5) और आज जब हरिप्रसाद ने किसी बेनामी सूत्रों के हवाले से एक भारतीय वोटिंग मशीन प्राप्त करके उसका भी सफ़लतापूर्वक हैकिंग कर दिखाया है तो चुनाव आयोग ने उन्हें मशीन चोरी के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया है (ये तो वही बात हुई कि भ्रष्टाचार उजागर करने वाले किसी स्टिंग ऑपरेशन के लिये, उस पत्रकार को ही जेल में ठूंस दिया जाये, जिसने उसे उजागर किया)।


हरिप्रसाद की गिरफ़्तारी चुनाव आयोग के उपायुक्त अशोक शुक्ला और EVM की गड़बड़ी जाँचने के लिये बनी समिति के चेयरमैन पीवी इन्द्रसेन के आश्वासन के बावजूद हुई। यह दोनों सज्जन वॉशिंगटन में आयोजित EVM टेक्नोलॉजी और इसकी विश्वसनीयता पर आधारित सेमिनार में 9 अगस्त को उपस्थित थे, जहाँ श्री हरिप्रसाद के साथ प्रोफ़ेसर एलेक्स हाल्डरमैन भी थे और उस सेमिनार में वोटिंग मशीनों की हैकिंग के प्रदर्शन के बाद इन्होंने कहा था कि वे इस बात की जाँच करवायेंगे कि इन मशीनों में क्या गड़बड़ी है, लेकिन इस आश्वासन के बावजूद हरिप्रसाद को गिरफ़्तार कर लिया गया। इस सेमिनार में हारवर्ड, प्रिंसटन, स्टेनफ़ोर्ड विश्वविद्यालयों के तकनीकी विशेषज्ञों के साथ ही माइक्रोसॉफ़्ट के अधिकारी भी मौजूद थे, और लगभग सभी इस बात पर सहमत थे कि इन मशीनों में गड़बड़ी और धोखाधड़ी की जा सकती है। (यहाँ देखें…) और (यहाँ भी देखें…)
(चित्र में हरिप्रसाद, एलेक्स हाल्डरमैन और रॉप गोन्ग्रिप…) (चित्र सौजन्य - गूगल)

हैदराबाद से मुम्बई ले जाये जाते समय श्री हरिप्रसाद ने अपने मोबाइल से जो संदेश दिया वह यह है -




श्री हरिप्रसाद की गिरफ़्तारी के समय का वीडियो…



एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा है कि - "मैं यह अपने मोबाइल से लिख रहा हूं, पुलिस ने मुझे गिरफ़्तार किया है और पुलिस पर भारी ऊपरी दबाव है। हालांकि नये मुख्य चुनाव आयुक्त ने इस पूरे मामले को देखने का आश्वासन दिया है, लेकिन फ़िर भी मैं उस व्यक्ति का नाम ज़ाहिर नहीं कर सकता जिसने पूरे विश्वास से मुझे EVM मशीन सौंपी थी। मुझे अपने काम से पूरी सन्तुष्टि है और विश्वास है कि यह देशहित में है, मैं अपने देश से प्यार करता हूं और लोकतन्त्र को मजबूत करने के लिये जो भी किया जा सकता है, वह किया जाना चाहिये…"

डॉ सुब्रह्मण्यम स्वामी ने खुलेआम सोनिया गाँधी पर आरोप लगाया है कि उन्होंने 2009 के आम चुनाव में विदेशी हैकर्स को भारी पैसा देकर अनुबन्धित किया, जो दिल्ली के पाँच सितारा होटलों में बड़े-बड़े तकनीकी उपकरणों के साथ ठहरे थे, और इसकी गहन जाँच होनी चाहिये…। उल्लेखनीय है कि जब पुलिस ने हरिप्रसाद को गिरफ़्तार किया उस समय न तो उन्हें आरोप बताये गये और न ही कोई केस दर्ज किया गया। श्री हरिप्रसाद की गिरफ़्तारी 21 अगस्त को हुई थी और मैंने किसी बड़े मीडिया समूह या चैनलों पर इस खबर को प्रमुखता से नहीं देखा, आपने देखा हो तो बतायें। आखिर मीडिया सरकार से इतना क्यों डरता है? यह डर है या कुछ और? तथा ऐसे में एक आम आदमी जो कुशासन, भ्रष्टाचार और अव्यवस्था से लड़ने की कोशिश कर रहा हो, क्या उसकी हिम्मत नहीं टूटेगी? यह बात जरूर है कि हरिप्रसाद ने जिस अज्ञात व्यक्ति से सरकारी वोटिंग मशीन प्राप्त की है, वह एक अपराध की श्रेणी में आता है, क्योंकि वह निश्चित रुप से गोपनीयता कानून का उल्लंघन है, लेकिन चूंकि हरिप्रसाद की मंशा सच्ची है और वह लोकतन्त्र की मजबूती के पक्ष में है तो इसे माफ़ किया जा सकता है। एक बड़ा घोटाला उजागर करने के लिये यदि हरिप्रसाद ने छोटा-मोटा गुनाह किया भी है तो उसे नज़रअंदाज़ करके असली समस्या की तरफ़ देखना चाहिये, लेकिन सरकार "बाल की खाल" और खुन्नस निकालने की तर्ज़ पर काम कर रही है, और इससे शक और मजबूत हो जाता है। नीचे जो चित्र है, उसमें देखिये EVM एक सरकारी जीप में कैसे बिना किसी सुरक्षाकर्मी के रखी हुई हैं और इसे आसानी से कोई भी चुरा सकता है… लेकिन सरकार हरिप्रसाद जी के पीछे पड़ गई है…



जब चुनाव आयोग कह रहा है कि वह कुछ भी छिपाना नहीं चाहता, तब सरकार को हरिप्रसाद, हैकर्स और अन्य सॉफ़्टवेयर तकनीकी लोगों को एक साथ बैठाकर संशय के बादल दूर करना चाहिये, या किसी बेगुनाह शोधकर्ता को इस प्रकार परेशान करना चाहिये? आखिर चुनाव आयोग ऐसा बर्ताव क्यों कर रहा है? इन मशीनों को हरिप्रसाद ने सफ़लतापूर्वक चन्द्रबाबू नायडू, लालकृष्ण आडवाणी, ममता बनर्जी आदि नेताओं के सामने भी हैक करके दिखाया है, फ़िर भी विपक्ष की चुप्पी संदेह पैदा करने वाली है, कहीं विपक्षी नेता "कभी तो अपनी भी जुगाड़ लगेगी…" के चक्कर में चुप्पी साधे हुए हैं, यह भी हो सकता है कि उनकी भी ऐसी "जुगाड़" कुछ राज्यों के चुनाव में पहले से लग चुकी है? लेकिन लोकतन्त्र पर मंडराते खतरे का क्या? आम जनता जो वोटिंग के माध्यम से अपनी भावना व्यक्त करती है उसका क्या? पिछले 1 साल से जो तटस्थ गैर-राजनैतिक लोग वोटिंग मशीनों में हेराफ़ेरी और धोखाधड़ी की बात को सिरे से खारिज करते आ रहे थे, अब वे भी सोच में पड़ गये हैं।


सन्दर्भ -
http://www.thestatesman.net/index.php?id=338823&option=com_content&catid=35

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