इधर हाल ये है कि वामपंथी हैं सत्ता में (केरल और बंगाल के लिये माल बटोरने में लगे हैं), लेकिन विपक्षी भी दिखना चाहते हैं, सरकार का विरोध भी करना चाहते हैं, समर्थन भी जारी रखना चाहते हैं, गेहूँ और दाल के भाव बढते रहें कोई बात नहीं, लेकिन अमेरिका के नाम पर नौटंकी जरूर करेंगे, साधारण नमक डेढ रुपये किलो था लेकिन अब आयोडीन युक्त नमक आठ रुपये किलो, बेचारा गरीब खा रहा है, लेकिन ये ढोंगी परमाणु, ईराक और गुजरात पर हल्ला जरूर मचायेंगे। तीसरे मोर्चे की तरफ़ हाथ बढाते भी डर लगता है, कहीं "एड्स" ना हो जाये, जबकि ऐसा कुछ है नहीं, क्योंकि तीसरा मोर्चा एड्स से नहीं बल्कि "कुपोषण" से ग्रस्त है, क्योंकि जब-जब तीसरे मोर्चे (Third Front Government) की सरकार बनी, ठीक से कुछ "खाने" से पहले ही सरकार गिर गई, तो भला कुपोषण नहीं होगा क्या? भाजपा का हाल उलटा हुआ था, वे सत्ता में मुख्य पार्टी थे तब चन्द्रबाबू और ममता आँखे दिखाते रहते थे, भाजपा वालों ने भी "पोलियो" (Polio Drops in India) का टीका नहीं लगवाया था, इसीलिये उन्हें ठीक से तनकर खडे़ होने में समस्या होती थी। यदि वक्त रहते आरएसएस का दिया हुआ ORS का घोल भी पी लिया होता तो कम से कम बंगारू और जूदेव टाईप के "दस्त" तो नहीं लगते और हाजमा ठीक रहता। ऐसी कोई पार्टी इस देश में नहीं बची जो बीमारी से ग्रस्त ना हो। अब मुझसे कॉंग्रेस के बारे में न पूछियेगा, वरना मुझे "गुप्त रोग" के बारे में विस्तार से बताना पडे़गा।
Communists and Iodine Salt in India वामपंथियों ने "आयोडीनयुक्त नमक" नहीं खाया है...
Written by Suresh Chiplunkar गुरुवार, 16 अगस्त 2007 12:04हमारे "मर्द" प्रधानमन्त्री ने एक बार फ़िर वामपंथियों को जोर का "चमाट" लगाया है। परमाणु मुद्दे पर जिस तरह इस्तीफ़े की धमकी देकर वामों को पटखनी दी है, वह लाजवाब है। ऐसा लगता है कि वामपंथियों ने "आयोडीन युक्त नमक" (Iodine Salt) का सेवन ठीक से नहीं किया है। क्योंकि जब-तब उन्हें जोर से बोलते वक्त "गले का घेंघा" हो जाता है, उनसे कोई कदम भी उठाते नहीं बनता क्योंकि आयोडीन की कमी से "हाथीपाँव" की शिकायत भी है।
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