Beggers and Begging in India as Career

Written by गुरुवार, 15 मार्च 2007 19:39



 

भीख और भिखारी : उम्दा व्यवसाय ? 

उक्त समाचार १५.०३.२००७ के "नईदुनिया" में छपा है....जरा सोचिये जब ३६ हजार की सिर्फ़ प्रीमियम है तो बीमा कितने का होगा और उसकी कमाई कितनी होगी ?
संभाजी काले और उनका चार सदस्यों वाला परिवार रोजाना एक हजार रुपये कमाता है, उनके बैंक खाते में कभी भी चालीस हजार रुपये से कम की रकम नहीं रही है । उन्होंने कई कम्पनियों में निवेश भी किया है, उनका एक फ़्लैट मुम्बई के उपनगर विरार में है और सोलापुर में पुश्तैनी जमीन तथा दो मकान हैं । आप सोच रहे होंगे, क्या यह परिवार शेयर ब्रोकर है ? या मध्यम वर्ग का कोई व्यापारी ? जी नहीं, संभाजी काले साहब अपने पूरे परिवार के साथ मुंबई में भीख माँगते हैं । चौंकिये नहीं, यह सच है और ऐसी ही चौंकाने वाली जानकारियाँ प्राप्त हुई हैं जब "सोशल डेवलपमेंट सेंटर" (एसडीसी) मुम्बई के छात्रों नें डॉ.चन्द्रकान्त पुरी के निर्देशन में एक सामाजिक सर्वे किया । सर्वे के मुताबिक संभाजी काले जैसे कई और भिखारी (?) मुम्बई में मौजूद हैं । चूँकि सर्वे पूरी तरह से निजी था (सरकारी नहीं) इसलिये कुछ भिखारियों ने अपनी सही-सही जानकारी दे दी, लेकिन अधिकतर भिखारियों ने अपनी सम्पत्ति और आय के बारे में ज्यादा कुछ नहीं बताया । फ़िर भी सर्वे करने वालों ने बडी मेहनत से कई चौंकाने वाले आँकडे खोज निकाले हैं । संभाजी काले के अनुसार वे पच्चीस साल पहले मुम्बई आये थे । कई छोटी-मोटी नौकरियाँ की, शादी की, कई सपने देखे, लेकिन पाया कि एक धोखाधडी के चलते वे सड़क पर आ गये हैं । फ़िर उन्होंने तय किया कि वे सपरिवार भीख माँगेंगे । ट्रैफ़िक सिअगनल के नीचे रखे लकडी के बडे खोके की ओर इशारा करते हुए वे कहते हैं "यही मेरा घर है" । काले का बाकी परिवार खार (मुम्बई का एक उपनगर) में रहता है, विरार में नहीं जहाँ उनका फ़्लैट है, क्योंकि खार से अपने "काम" की जगह पर पहुँचना आसान होता है । विरार तक आने जाने में समय भी खराब होता है । काले परिवार का सबसे बडा लडका सोमनाथ सबसे अधिक भीख कमाता है, क्योंकि वह अपनी एक टाँग खो चुका है (एक बार बचपन में भीख माँगते वक्त वह कार के नीचे आ गया था) । काले परिवार में तीन बच्चे और हैं - दो लड़कियाँ और एक लड़का । कुल जमा छः लोग भीख माँगकर आराम से एक हजार रुपये कमा लेते हैं । काले कहते हैं कि बुरे से बुरे दिनों में भी (अर्थात जब मुम्बई महानगरपालिका उन्हें अचानक खदेडने लग जाये, बन्द का ऐलान हो जाये, कर्फ़्यू लग जाये, लगातार दो-तीन दिन छुट्टी आ जाये आदि) वे तीन-चार सौ रुपये तो कमा ही लेते हैं । इस भिखारी परिवार को खार में बहुतेरे लोग जानते हैं और मजेदार बात यह है कि बैंक के कागजात या चिट्ठी-पत्री आदि भी उन तक पहुँच जाती हैं । उनका कहना है कि यह सब उनके अच्छे व्यवहार और पोस्टमैन से "सेटिंग" की वजह से हो पाता है । उक्त सर्वे के अनुसार प्रत्येक भिखारी औसतन प्रतिदिन दो-तीन सौ रुपये तो कमा ही लेता है और उनकी पसन्दीदा जगहें होती हैं ट्रैफ़िक सिग्नल और धार्मिक स्थान । पुरी साहब के अनुसार मात्र पन्द्रह प्रतिशत भिखारी ही असली भिखारी हैं, जिनमें से कुछ वाकई गरीब हैं । जिनमें से कुछ विकलांग हैं, कुछ ऐसे हैं जिन्हें उनके बेटों ने घर से निकाल दिया है, बाकी के पिचासी प्रतिशत भिखारी सिर्फ़ इसी "काम" के लिये अपने गाँव से मुम्बई आये हैं । वे बाकायदा छुट्टी मनाते हैं, अपने गाँव जाते हैं, होटलों में जाते हैं । उस वक्त वे अपनी "जगह" या "सिग्नल" दूसरे भिखारी को लीज पर दे देते हैं और प्रतिशत के हिसाब से उनसे पैसे वसूलते हैं । इच्छित जगह पाने के लिये कभी-कभी इनमें भयंकर खून-खराबा भी होता है और इनके गैंग लीडर (जो कि कोई स्थानीय दादा या किसी विख्यात नेता का गुर्गा होता है) बाकायदा मामले सुलझाते हैं, जाहिर है इसमें अंडरवर्ल्ड की भी भूमिका होती है । अपने-अपने इलाके पर कब्जे को लेकर इनमें गैंगवार भी होते रहते हैं । भिखारियों के अलग-अलग समूह बनाकर उनका वर्गीकरण किया जाता है, बच्चों को पहले चोरी करना, जेब काटना और ट्रेनों में सामान पार करना सिखाया जाता है, फ़िर उनमें से कुछ को भीख माँगने के काम में लिया जाता है । एक बार सरकार ने भिखारियों के पुनर्वास के लिये इन्हें काम दिलवाने की कोशिश की लेकिन कुछ दिनों के बाद वे पुनः भीख माँगने लगे । मुम्बई में लगभग एक लाख भिखारी हैं, इनके काम के घंटे बँधे होते हैं । शाम का समय सबसे अधिक कमाई का होता है । धार्मिक महत्व के दिनों के अनुसार वे अपनी जगहें बदलते रहते हैं । मंगलवार को सिद्धिविनायक मन्दिर के बाहर, बुधवार को संत माईकल चर्च, शुक्रवार को हाजी अली दरगाह और रविवार को महालक्ष्मी मन्दिर में उनका धन्धा चमकदार होता है । यह खबर भी अधिक पुरानी नहीं हुई है कि राजस्थान के पुष्कर में एक भिखारी करोडपति है और बाकायदा मोटरसायकल से भीख माँगने आता है । तिरुपति में एक भिखारी ब्याज पर पैसे देने काम करता है ।

इसलिये भविष्य में किसी भिखारी को झिडकने से पहले सोच लीजिये कि कहीं वह आपसे अधिक पैसे वाला तो नहीं है ? और सबसे बडी बात तो यह कि क्या आप उसे भीख देंगे ?

तो भाईयों सॉफ़्टवेयर इंजीनियर नहीं बन सकें, तो एक चमकदार कैरियर (वो भी टैक्स फ़्री) आपका इंतजार कर रहा है .... smile_teeth
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Super User

 

I am a Blogger, Freelancer and Content writer since 2006. I have been working as journalist from 1992 to 2004 with various Hindi Newspapers. After 2006, I became blogger and freelancer. I have published over 700 articles on this blog and about 300 articles in various magazines, published at Delhi and Mumbai. 


I am a Cyber Cafe owner by occupation and residing at Ujjain (MP) INDIA. I am a English to Hindi and Marathi to Hindi translator also. I have translated Dr. Rajiv Malhotra (US) book named "Being Different" as "विभिन्नता" in Hindi with many websites of Hindi and Marathi and Few articles. 

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