बाबरी मस्जिद पर अंजू गुप्ता का बयान, आडवाणी की उदासी और उमा-ॠतम्भरा की बेबाकी… Babri Mosque Demolition, Advani, Anju Gupta

Written by सोमवार, 29 मार्च 2010 14:39
एक बार फ़िर से बाबरी विध्वंस का मामला “नकली-सेकुलर मीडिया” की हेडलाइन बना हुआ है। इस बार का हंगामा बरपा है 1992 में आडवाणी की निजी सुरक्षा अधिकारी रहीं अंजू गुप्ता के उस बयान की वजह से जिसमें उन्होंने कहा कि “उस दिन आडवाणी ने भड़काऊ भाषण दिया था और बाबरी ढाँचा गिरने के बाद आडवाणी बहुत खुश हुए थे…”।

अंजू गुप्ता के समक्ष अब इस बयान की गम्भीरता साबित करने का भारी दबाव आने वाला है, उसका कारण यह है कि यही अंजू गुप्ता पहले दो बार आडवाणी को “क्लीन चिट” दे चुकी हैं, पहली बार सीबीआई की पूछताछ और सीबीआई कोर्ट में, तथा दूसरी बार लिब्रहान आयोग के सामने उन्होंने आडवाणी को पूरी तरह बेकसूर और मामले से असम्बद्ध बताया था, लेकिन अंजू गुप्ता के इस नवीनतम “यू-टर्न” का औचित्य समझना थोड़ा मुश्किल जरूर है, परन्तु नामुमकिन नहीं। अपने पहले बयान में (जब मामला ताज़ा-ताज़ा था, अब तो मामला भी पुराना हो गया, कई बातें भूली जा चुकी हैं जबकि कई मुद्दों और बयानों को “सेकुलर सुविधानुसार” तोड़ा-मरोड़ा जा चुका है) अंजू गुप्ता ने कहा था कि “आडवाणी ने कारसेवकों से बार-बार गुम्बद से उतर जाने की अपील की थी…” अब बदले हुए बयान में वे कह रही हैं कि “आडवाणी ने कारसेवकों से गुम्बद से उतरने की अपील कर रहे थे ताकि, कहीं कारसेवक गुम्बद के गिरने से घायल न हो जायें…”।

बहरहाल, “डेली पायोनियर” http://dailypioneer.com/244999/Officer-blames-Advani-BJP-unfazed.html ने अंजू गुप्ता के इस ताज़ा बयान के साथ ही उनका बायो-डाटा खंगालने की भी कोशिश की है। अपनी एक हालिया पोस्ट में मैंने भी कहा था कि “पूरे नाम” लिखने की परम्परा शुरु की जाये, ताकि सम्बन्धित व्यक्ति का पूरा “व्यक्तित्व” उभरकर सामने आ सके। श्रीमती अंजू गुप्ता फ़िलहाल “रिसर्च एण्ड एनालिसिस विंग” (RAW) में पदस्थ हैं जबकि उनके पति “शफ़ी अहमद रिज़वी”, गृहमंत्री पी चिदम्बरम के “विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी” (OSD) हैं…। अब आपके दिमाग की बत्ती भी जल गई होगी… कि अंजू गुप्ता “रिज़वी” को कहाँ से “प्रेरणा” प्राप्त हो रही है।  क्या अब भी कुछ कहने को बाकी रह गया है? इतने समझदार तो आप लोग हैं ही, कि “खिचड़ी” सूंघकर ही पहचान सकें… (अंजू गु्प्ता रिज़वी + शफ़ी रिज़वी + पी चिदम्बरम = सेकुलर खिचड़ी… यह ठीक उसी प्रकार है जैसे कि ईसाई पादरी + वीडियो टेप + NGO + तहलका = सेकुलर खिचड़ी…)

वहीं दूसरी तरफ़, आडवाणी अभी भी Politically Correct बनने (दिखने) के चक्कर में बाबरी ढाँचे के गिरने की खुशी को सार्वजनिक नहीं कर रहे हैं… कहने का मतलब यह है कि तीन तरह के “कैरेक्टर” हमें देखने को मिल रहे हैं –

1) पहले हैं आडवाणी, जो अभी भी खुलेआम बाबरी विध्वंस की जिम्मेदारी नहीं ले रहे, जिन्ना की मज़ार पर जाकर मत्था भी टेक आये, जबकि बाल ठाकरे, आचार्य धर्मेन्द्र और विहिप के कई नेता इस पर सार्वजनिक खुशी जता चुके हैं। इसे कहते हैं “राजनीति”, और आडवाणी का यह मुगालता कि शायद मुसलमान कभी भाजपा को वोट दे भी दें… जबकि यह कई बार साबित हो चुका है कि चाहे किसी गधे को भी वोट देना पड़े, तब भी मुसलमान भाजपा को वोट नहीं देंगे।

2) दूसरी हैं, अंजू गुप्ता “रिज़वी” जो एक हिन्दू नारी होने की वजह से अपने “संस्कारों” के चलते (शायद) अपने “पति” के कहने पर अपने दो-दो बार दिये गये बयान से पलटी खा गईं…

3) तीसरी हैं, उमा भारती और साध्वी ॠतंभरा, जो बाबरी ढाँचा गिरने पर खुशी से चिल्लाईं और गले मिलीं। उमा भारती ने खुलेआम कहा कि जो हुआ अच्छा हुआ, और यूपीए सरकार में दम है तो उन्हें गिरफ़्तार करें। यह उमा भारती ही थीं जिन्होंने हुबली में तिरंगा फ़हराया और मुख्यमंत्री पद से हाथ धोया, और वह भी उमा भारती ही हैं जिन्हें भाजपा से बेइज्जत होकर निकलना पड़ा था…

तीनों “कैरेक्टरों” का विश्लेषण करने से तीन बातें उभरती हैं –

1) भाजपा भी “Politically Correct” होने के चक्कर में अपना “हिन्दू वोट” गँवा रही है, क्योंकि गडकरी का ताज़ा बयान “आतंकवादी का कोई धर्म नहीं होता…” इसी “पोलिटिकल करेक्टनेस” की ओर इशारा कर रहा है…

2) “लव जेहाद” एक वास्तविकता है, अतः जहाँ तक सम्भव हो (और जैसे ही पता चले) व्यक्ति का पूरा नाम लिखें। (जैसे तीस्ता जावेद सीतलवाड…, मुझे भी “अंजू गुप्ता रिज़वी” का पूरा नाम आज ही पता चला, इसलिये डेली पायोनियर को धन्यवाद)।

3) हिन्दू साध्वियाँ (उमा, ॠतम्भरा और प्रज्ञा) जैसी भी हों, कम से कम राजनेताओं की तरह ढोंगी और पाखण्डी तो नहीं हैं। (बगैर आरक्षण के आगे बढ़ी हुई महिला शक्ति को सलाम… )

लगता है समय आ गया है, कि कांग्रेस की “बी” टीम तथा “बेशर्म Political Correctness” की ओर बढ़ रही, “भाजपा” का कोई अन्य सशक्त विकल्प खोजना शुरु करना पड़ेगा…क्योंकि दो-दो लोकसभा चुनावों में हार का मुँह देखने के बावजूद, न तो भाजपा ने बरेली दंगा मुद्दे पर कोई आंदोलन-घेराव-प्रदर्शन किया, न ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुसलमानों को 4% आरक्षण दिये जाने का पुरजोर ढंग से विरोध किया है… जब तक भाजपा इस दुविधा में फ़ँसी रहेगी, ऐसे ही पिटती रहेगी…, और फ़िर अंजू गुप्ता रिज़वी हों या कम्युनिस्ट बैकग्राउण्ड वाले सुधीन्द्र कुलकर्णी हों… हिन्दुत्व को “धक्का-अडंगा मारने वाले” भी तो सैकड़ों भरे पड़े हैं…


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I am a Blogger, Freelancer and Content writer since 2006. I have been working as journalist from 1992 to 2004 with various Hindi Newspapers. After 2006, I became blogger and freelancer. I have published over 700 articles on this blog and about 300 articles in various magazines, published at Delhi and Mumbai. 


I am a Cyber Cafe owner by occupation and residing at Ujjain (MP) INDIA. I am a English to Hindi and Marathi to Hindi translator also. I have translated Dr. Rajiv Malhotra (US) book named "Being Different" as "विभिन्नता" in Hindi with many websites of Hindi and Marathi and Few articles. 

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