आप सामाजिक रूप से कितने जागरूक हैं? इन प्रश्नों द्वारा जरा जाँच करें… … Are You Socially Alert and Active?
Written by Super User बुधवार, 21 अप्रैल 2010 13:23
कहा जाता है कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, अर्थात यदि “समाज” न होता तो मनुष्य भी सचमुच में एक “प्राणी” ही होता। चूंकि मनुष्य समाज में रहता है तो उसने महानगर, शहर, गाँव, कालोनियाँ, गलियाँ, मोहल्ले आदि बनाये हैं। आज जबकि टीवी, कामों की व्यस्तता आदि की वजह से व्यक्ति धीरे-धीरे आत्मकेन्द्रित और परिवार केन्द्रित होता जा रहा है ऐसे में उसे याद दिलाने की आवश्यकता है कि वह एक “सामाजिक प्राणी” है। समाज में रहने पर जहाँ एक तरफ़ व्यक्तियों को एक-दूसरे के सहारे और मनोवैज्ञानिक आधार की आवश्यकता होती है, वहीं दूसरी तरफ़, किसी भी सामाजिक, प्राकृतिक, राजनैतिक आपदा के समय आपस में मिलकर ही उसका समाधान देखना होता है। मैं नीचे एक लिस्ट दे रहा हूं उसे चेक करके बतायें कि इसके अनुसार आप कितने “सामाजिक” हैं?
1) आप अपने बिल्डिंग/गली/मोहल्ले/सोसायटी में रहने वाले कितने व्यक्तियों को चेहरे से, कितनों को नाम से जानते हैं? उनमें से कितनों के बारे में यह जानते हैं कि वह क्या काम करता है?
2) जिन्हें आप व्यक्तिगत रूप से जानते हैं, उनके घर वर्ष में कितनी बार गये हैं?
3) आपकी कालोनी में हुई कितनी शादियों / अर्थियों में आप कितनी बार गये हैं? कितनी बार आप होली-दीवाली के अलावा भी पड़ोसियों से बात करते, मिलते हैं?
4) आप अपनी कालोनी/सोसायटी की किसी मीटिंग अथवा समिति में कितनी बार गये है? क्या आप किसी सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था से जुड़े हुए हैं? और उसकी गतिविधियों में माह में कितनी बार जाते हैं?
5) क्या आप अपने इलाके के पार्षद (Corporator), विधायक, सांसद को व्यक्तिगत रूप से जानते हैं? उनके फ़ोन नम्बर या पता आपको मालूम है? अपने इलाके के राजनैतिक कार्यकर्ताओं-मवालियों-गुण्डों को आप पहचानते हैं या नहीं?
6) क्या आप जानते हैं कि आपके मोहल्ले-गली-वार्ड का बिजली कनेक्शन किस ट्रांसफ़ार्मर से है? आप अपने इलाके के बिजली विभाग के बारे में उनके फ़ोन नम्बर के अलावा और क्या जानते हैं?
7) क्या आप जानते हैं कि आपके इलाके-मोहल्ले-गली-सड़क को पानी की सप्लाई कहाँ से होती है? क्या कभी आपने मोहल्ले की पानी की पाइप लाइन की संरचना पर ध्यान दिया है?
8) क्या आप कॉलोनी की सीवर लाइन के बारे में जानकारी रखते हैं, कि वह कहाँ से गई है, कहाँ-किस नाले में जाकर मिलती है, कहाँ उसके चोक होने की सम्भावना है… आदि-आदि?
9) आपके मोहल्ले में अमूमन लगातार वर्षों तक घूमने वाले अखबार हॉकर, ब्रेड वाले, दूध वाले, टेलीफ़ोन कर्मी, बिजलीकर्मी, नलकर्मी, ऑटो रिक्शा वाले आदि में से आप कितनों को चेहरा देखकर पहचान सकते हैं?
10) जिस सड़क-गली-मोहल्ले से आप रोज़ाना दफ़्तर-बाज़ार आदि के लिये गुजरते हैं क्या आप उस पर चल रही किसी “असामान्य गतिविधि” का नोटिस लेते हैं? क्या आपने कभी अवैध मन्दिर-दरगाह या अतिक्रमण करके बनाई गई गुमटियों-ठेलों-दुकानों-मकानों पर ध्यान दिया है?
हो सकता है कि आपको ये सवाल अजीब लगें, और ये भी हो सकता है कि इनमें से अधिकतर के जवाब नकारात्मक ही निकलें। सामान्य तौर पर इसका कारण (बहाना) यह बताया जाता है कि “मैं तो बहुत व्यस्त रहता हूं… ऐसी छोटी-मोटी बातों पर मैं ध्यान नहीं देता…”, “फ़ुर्सत किसके पास है यार?”, “पड़ोसी/मोहल्ले वाले भी बहुत बिजी हैं”… इत्यादि। लेकिन यह तमाम जानकारियाँ “सामाजिक जागरुकता” के तहत आती हैं, जिनकी जानकारी सामान्य तौर पर "थोड़ी या ज्यादा", प्रत्येक व्यक्ति को होनी ही चाहिये… क्योंकि “बुरा समय” कहकर नहीं आता, कहीं ऐसा न हो कि खतरा आपके चारों ओर मंडरा रहा हो और आप अपने घर में टीवी ही देखते रह जायें…।
कुछ लोग इसे “अनावश्यक ताका-झाँकी” कहते हैं, लेकिन मैं इसे जागरुकता कहता हूं जो कि “आड़े वक्त” पर कभी भी काम आती है, (जैसे कि गत वर्ष उज्जैन में भीषणतम जल संकट के समय मेरे भी काम आई थी, इन्हीं जानकारियों की वजह से मुझे पता था कि पानी की पाइप लाइन किस जगह पर है, कौन-कौन व्यक्ति कहाँ से पानी की चोरी कर रहा है, किसके यहाँ बोरिंग है, किसके यहाँ कुँआ है, पानी के टैंकर से जल वितरण की व्यवस्था क्या होगी, आदि-आदि। इसी प्रकार 1992 के दंगों के दौरान कर्फ़्यू में जब हमारे मित्र अनीस अहमद के फ़ोन पर हम उसे दंगाईयों से बचाने जा रहे थे, तब मुझे यह पक्का पता था कि किस गली से निकल जाने पर हमें पुलिस के डण्डे या छतों से पत्थर नहीं पड़ेंगे…)
तात्पर्य यह कि कोई भी आपदा कभी भी आ सकती है, आपके पास ज़मीनी जानकारी होना बहुत जरूरी है…
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चलते-चलते एक अन्तिम, लेकिन “अ-सामाजिक” सवाल – क्या आपके घर में कोई हथियार है? हथियार न सही, लठ्ठ, लोहे का सरिया अथवा बेसबॉल का बैट जैसा कम घातक ही सही? यदि नहीं, तो मोहल्ले/सोसायटी के ऐसे कितने घरों/लोगों को आप जानते हैं, जिनके पास किसी भी प्रकार का हथियार हैं? (आज के माहौल में यह भी एक “आवश्यक वस्तु अधिनियम” के तहत आने वाली चीज़ बन गई है…)
अब स्कोर की बारी - यदि ऊपर दी गई 10 प्रश्नावली में से 7-8 पर आपका उत्तर "हाँ" है तो आप निश्चित रूप से "जागरुक" की श्रेणी में आते हैं, यदि आपके उत्तर 4-5 के लिये ही "हाँ" हैं, तब आपको और अधिक जानकारी एकत्रित करने की आवश्यकता है, और यदि आपका जवाब सिर्फ़ 1 या 2 के लिये ही "हाँ" है, तब इसका मतलब है कि आप निहायत "गैर-सामाजिक" और "खुदगर्ज़" किस्म के इंसान हैं…
बहरहाल, अब भी समय है… इन प्रश्नों की कसौटी पर यदि आप खुद को “सामाजिक रूप से” जागरुक नहीं पाते हैं, तो घर से बाहर निकलिये, आँखें-कान खुले रखिये, दिमाग चौकस रखिये… किसी भी प्राकृतिक-राजनैतिक-सामाजिक दुर्घटना के समय आपका भाई आपको बचाने बाद में आयेगा, पड़ोसी ही पहले काम आयेगा… सामाजिक रूप से घुलनशील और जागरुक नहीं होंगे तो किसी मुसीबत के समय आप खुद को औरों से अधिक मुश्किल में पायेंगे…
1) आप अपने बिल्डिंग/गली/मोहल्ले/सोसायटी में रहने वाले कितने व्यक्तियों को चेहरे से, कितनों को नाम से जानते हैं? उनमें से कितनों के बारे में यह जानते हैं कि वह क्या काम करता है?
2) जिन्हें आप व्यक्तिगत रूप से जानते हैं, उनके घर वर्ष में कितनी बार गये हैं?
3) आपकी कालोनी में हुई कितनी शादियों / अर्थियों में आप कितनी बार गये हैं? कितनी बार आप होली-दीवाली के अलावा भी पड़ोसियों से बात करते, मिलते हैं?
4) आप अपनी कालोनी/सोसायटी की किसी मीटिंग अथवा समिति में कितनी बार गये है? क्या आप किसी सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था से जुड़े हुए हैं? और उसकी गतिविधियों में माह में कितनी बार जाते हैं?
5) क्या आप अपने इलाके के पार्षद (Corporator), विधायक, सांसद को व्यक्तिगत रूप से जानते हैं? उनके फ़ोन नम्बर या पता आपको मालूम है? अपने इलाके के राजनैतिक कार्यकर्ताओं-मवालियों-गुण्डों को आप पहचानते हैं या नहीं?
6) क्या आप जानते हैं कि आपके मोहल्ले-गली-वार्ड का बिजली कनेक्शन किस ट्रांसफ़ार्मर से है? आप अपने इलाके के बिजली विभाग के बारे में उनके फ़ोन नम्बर के अलावा और क्या जानते हैं?
7) क्या आप जानते हैं कि आपके इलाके-मोहल्ले-गली-सड़क को पानी की सप्लाई कहाँ से होती है? क्या कभी आपने मोहल्ले की पानी की पाइप लाइन की संरचना पर ध्यान दिया है?
8) क्या आप कॉलोनी की सीवर लाइन के बारे में जानकारी रखते हैं, कि वह कहाँ से गई है, कहाँ-किस नाले में जाकर मिलती है, कहाँ उसके चोक होने की सम्भावना है… आदि-आदि?
9) आपके मोहल्ले में अमूमन लगातार वर्षों तक घूमने वाले अखबार हॉकर, ब्रेड वाले, दूध वाले, टेलीफ़ोन कर्मी, बिजलीकर्मी, नलकर्मी, ऑटो रिक्शा वाले आदि में से आप कितनों को चेहरा देखकर पहचान सकते हैं?
10) जिस सड़क-गली-मोहल्ले से आप रोज़ाना दफ़्तर-बाज़ार आदि के लिये गुजरते हैं क्या आप उस पर चल रही किसी “असामान्य गतिविधि” का नोटिस लेते हैं? क्या आपने कभी अवैध मन्दिर-दरगाह या अतिक्रमण करके बनाई गई गुमटियों-ठेलों-दुकानों-मकानों पर ध्यान दिया है?
हो सकता है कि आपको ये सवाल अजीब लगें, और ये भी हो सकता है कि इनमें से अधिकतर के जवाब नकारात्मक ही निकलें। सामान्य तौर पर इसका कारण (बहाना) यह बताया जाता है कि “मैं तो बहुत व्यस्त रहता हूं… ऐसी छोटी-मोटी बातों पर मैं ध्यान नहीं देता…”, “फ़ुर्सत किसके पास है यार?”, “पड़ोसी/मोहल्ले वाले भी बहुत बिजी हैं”… इत्यादि। लेकिन यह तमाम जानकारियाँ “सामाजिक जागरुकता” के तहत आती हैं, जिनकी जानकारी सामान्य तौर पर "थोड़ी या ज्यादा", प्रत्येक व्यक्ति को होनी ही चाहिये… क्योंकि “बुरा समय” कहकर नहीं आता, कहीं ऐसा न हो कि खतरा आपके चारों ओर मंडरा रहा हो और आप अपने घर में टीवी ही देखते रह जायें…।
कुछ लोग इसे “अनावश्यक ताका-झाँकी” कहते हैं, लेकिन मैं इसे जागरुकता कहता हूं जो कि “आड़े वक्त” पर कभी भी काम आती है, (जैसे कि गत वर्ष उज्जैन में भीषणतम जल संकट के समय मेरे भी काम आई थी, इन्हीं जानकारियों की वजह से मुझे पता था कि पानी की पाइप लाइन किस जगह पर है, कौन-कौन व्यक्ति कहाँ से पानी की चोरी कर रहा है, किसके यहाँ बोरिंग है, किसके यहाँ कुँआ है, पानी के टैंकर से जल वितरण की व्यवस्था क्या होगी, आदि-आदि। इसी प्रकार 1992 के दंगों के दौरान कर्फ़्यू में जब हमारे मित्र अनीस अहमद के फ़ोन पर हम उसे दंगाईयों से बचाने जा रहे थे, तब मुझे यह पक्का पता था कि किस गली से निकल जाने पर हमें पुलिस के डण्डे या छतों से पत्थर नहीं पड़ेंगे…)
तात्पर्य यह कि कोई भी आपदा कभी भी आ सकती है, आपके पास ज़मीनी जानकारी होना बहुत जरूरी है…
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चलते-चलते एक अन्तिम, लेकिन “अ-सामाजिक” सवाल – क्या आपके घर में कोई हथियार है? हथियार न सही, लठ्ठ, लोहे का सरिया अथवा बेसबॉल का बैट जैसा कम घातक ही सही? यदि नहीं, तो मोहल्ले/सोसायटी के ऐसे कितने घरों/लोगों को आप जानते हैं, जिनके पास किसी भी प्रकार का हथियार हैं? (आज के माहौल में यह भी एक “आवश्यक वस्तु अधिनियम” के तहत आने वाली चीज़ बन गई है…)
अब स्कोर की बारी - यदि ऊपर दी गई 10 प्रश्नावली में से 7-8 पर आपका उत्तर "हाँ" है तो आप निश्चित रूप से "जागरुक" की श्रेणी में आते हैं, यदि आपके उत्तर 4-5 के लिये ही "हाँ" हैं, तब आपको और अधिक जानकारी एकत्रित करने की आवश्यकता है, और यदि आपका जवाब सिर्फ़ 1 या 2 के लिये ही "हाँ" है, तब इसका मतलब है कि आप निहायत "गैर-सामाजिक" और "खुदगर्ज़" किस्म के इंसान हैं…
बहरहाल, अब भी समय है… इन प्रश्नों की कसौटी पर यदि आप खुद को “सामाजिक रूप से” जागरुक नहीं पाते हैं, तो घर से बाहर निकलिये, आँखें-कान खुले रखिये, दिमाग चौकस रखिये… किसी भी प्राकृतिक-राजनैतिक-सामाजिक दुर्घटना के समय आपका भाई आपको बचाने बाद में आयेगा, पड़ोसी ही पहले काम आयेगा… सामाजिक रूप से घुलनशील और जागरुक नहीं होंगे तो किसी मुसीबत के समय आप खुद को औरों से अधिक मुश्किल में पायेंगे…
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