तमिल टाइगर्स तथा फ़ादर गेस्पर की संदिग्ध भूमिका एवं 2G स्पेक्ट्रम घोटाला…… Father Gasper, 2G Spectrum CBI Raids and Tamil Tigers Connection
Written by Super User शुक्रवार, 24 दिसम्बर 2010 11:07
चर्च द्वारा तमिल टाइगर्स को करोड़ों की फ़ण्डिंग करने के मामले में पहले भी कई बार विभिन्न अखबारों में लेख प्रकाशित हो चुके हैं, यह बात भी काफ़ी लोग जान चुके हैं कि प्रभाकरण असल में तमिल नहीं बल्कि धर्मान्तरित ईसाई था। श्रीलंका सरकार द्वारा तमिल चीतों की धुलाई और खात्मे के बावजूद तमिलनाडु में कई ऐसे लोग एवं संस्थाएं आज भी मौजूद हैं जो तमिल टाइगर्स से सहानुभूति रखती हैं, पृथक तमिल राज्य (तमिल ईलम) के लिये भीतर ही भीतर संघर्षरत हैं। द्रविड मुनेत्र कषघम (DMK) पार्टी अपनी राजनैतिक मजबूरियों की वजह से खुले तौर पर भले ही टाइगर्स के समर्थन में नहीं बोलती हो, लेकिन यह बात सभी जानते हैं कि प्रभाकरण के करुणानिधि से कितने “मधुर” सम्बन्ध थे।
हाल ही में 2G स्पेक्ट्रम घोटाले के सिलसिले में CBI द्वारा चेन्नै में मारे गये कई छापों में से एक नाम चौंकाने वाला रहा… ये साहब हैं फ़ादर जेगथ गेस्पर जो कि “तमिल मय्यम” नामक NGO(?) चलाते हैं। केन्द्र सरकार की हाल की रिपोर्ट के अनुसार विदेशी चर्चों द्वारा सबसे अधिक पैसा दिल्ली व तमिलनाडु में भेजा गया है तथा अरबों रुपये दान में पाने वाली टॉप 15 संस्थाओं में से 13 संस्थाएं ईसाई समूह, संस्थाएं अथवा NGO हैं। तमिल मय्यम नाम के इस NGO में फ़ादर गेस्पर सर्वेसर्वा की तरह काम करता है जबकि करुणानिधि की बेटी एवं केन्द्रीय मंत्री कनिमोझि इस NGO के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर में प्रमुख पद पर है। कनिमोझि के सरकारी और गैर-सरकारी कार्यक्रमों में अक्सर इस फ़ादर गेस्पर को कनिमोझि के पीछे-पीछे कान में फ़ुसफ़ुसाते देखा जाता था।
फ़िलीपीन्स स्थित कैथोलिक रेडियो वेरिटास तथा श्रीलंका के कैथोलिक चर्च की तमिल टाइगर्स के लिये पैसा उगाहने में प्रमुख भूमिका थी, यह फ़ादर गेस्पर भारत में तमिल टाइगर्स को पैसा मुहैया करवाने वाली एक महत्वपूर्ण कड़ी है। रेडियो वेरिटास, मंदारिन, सिंहली, तमिल, फ़िलीपोनो एवं उर्दू जैसी कई भाषाओं में रेडियो कार्यक्रम पेश करता है, इसी के जरिये संगीत, राजनीति और नेताओं से सम्बन्धों के चलते फ़ादर गेस्पर ने करोड़ों रुपये तमिल टाइगर्स की झोली में पहुँचाये।
जयललिता द्वारा संचालित “जया टीवी” ने एक संगीत कार्यक्रम के फ़ुटेज जारी किये जिसमें फ़ादर गेस्पर के साथ मंच पर तमिल टाइगर्स का प्रमुख धन उगाहीकर्ता नचिमुथु सोक्रेटीस नज़र आ रहा है। इस नचिमुथु को अमेरिका के जासूसों ने रंगे हाथों पकड़ा था, जब ये तमिल टाइगर्स को बेचने के लिये मिसाइल का सौदा करने हेतु अमेरिकी अधिकारियों को रिश्वत देने का प्रयास कर रहा था। फ़ादर गेस्पर ने कनिमोझि से चेन्नै में मरीना बीच पर आयोजित होने वाले विभिन्न “सांस्कृतिक कार्यक्रमों”(?) के लिये करोड़ों रुपये का सरकारी अनुदान भी लिया है, ज़ाहिर है कि इसमें से बड़ा हिस्सा तमिल टाइगर्स की जेब में गया। इस करोड़पति फ़ादर गेस्पर ने 1995 में 10,000 रुपये मासिक की तनख्वाह से रेडियो वेरिटास में नौकरी शुरु की थी, निम्न-मध्यम वर्गीय फ़ादर गेस्पर पहले-पहल कन्याकुमारी के सुदूर गाँवों के चर्च में पदस्थ रहा, लेकिन यह व्यक्ति आज न सिर्फ़ करोड़ों में खेल रहा है, बल्कि तमिलनाडु के सबसे भ्रष्ट करुणानिधि परिवार के नज़दीकी व्यक्तियों में से एक है… यह सब “चर्च” की महिमा है।
रेडियो वेरिटास के ईसाई धर्म प्रचार एवं इसके लिट्टे से सहानुभूति को देखते हुए श्रीलंका सरकार ने कई बार इस रेडियो स्टेशन पर आपत्ति जताई, लेकिन फ़िलीपींस से बज रहे रेडियो को वह रोकने में नाकाम रही व जफ़ना में तमिल उग्रवादी एवं भोले-भाले तमिल ग्रामीण इस रेडियो से किये गये दुष्प्रचार में आते रहे, यह फ़ादर जगथ गेस्पर इस रेडियो की नौकरी की वजह से तमिल गुरिल्लाओं में काफ़ी लोकप्रिय हुआ, व बाद में इसे तमिलनाडु में एक NGO खोलकर दे दिया गया ताकि वह वहाँ से पैसा एकत्रित कर सके। फ़र्जी NGO चलाने में “चर्च” को महारत हासिल है… इन्हीं NGO- चर्च और लिट्टे का नेटवर्क इतना जबरदस्त रहा कि फ़ादर गेस्पर ने तमिलनाडु से लिट्टे को करोड़ों रुपये का चन्दा दिलवाया। मनीला की पेरिस बैंक की शाखा से 6 लाख डॉलर का चन्दा इन्होंने श्रीलंकाई सेना के अत्याचारों की कहानियाँ सुना-सुनाकर एकत्रित किया। तमिल अनाथ बच्चों के नाम पर फ़ादर गेस्पर ने कितना पैसा एकत्रित किया है यह आज तक किसी को पता नहीं है, क्योंकि श्रीलंकाई सेना द्वारा सफ़ाया किये जाने के दौरान तमिल चीतों के कई प्रमुख नेता मारे गये थे और फ़ादर का यह राज़ उन्हीं के साथ दफ़न हो गया।
“तमिल मय्यम” नाम के इस NGO की स्थापना 2002 में हुई थी, NGO का लक्ष्य बताया गया “तमिलों की कला-संस्कृति एवं साहित्य को बढ़ावा देना”, इसे तत्काल धारा 80-G के अन्तर्गत टैक्स में छूट की सुविधा भी मिल गई। इसके ट्रस्टियों में खुद फ़ादर गेस्पर के साथ कनिमोझि, फ़ादर लोरदू, फ़ादर जेरार्ड, मिस्टर जोसफ़ ईनोक तथा फ़ादर विन्सेंट आदि शामिल हैं।
अब कुछ "संयोगवश"(?) घटित घटनाओं पर नज़र डालिये –
1) राजीव गाँधी की हत्या श्री पेरुम्बुदूर में हुई…
2) उस दिन राजीव गाँधी की सभा पेरुम्बुदूर में नहीं थी फ़िर भी अन्तिम समय में उन्हें जबरन वहाँ ले जाया गया…
3) तमिल टाइगर्स (जो कि राजीव गाँधी के हत्यारे हैं) से करुणानिधि और द्रमुक के रिश्ते सहानुभूतिपूर्ण हैं इसके बावजूद सोनिया गाँधी ने सत्ता की खातिर उनसे केन्द्र में गठबंधन बनाये रखा…
4) कनिमोझि चर्च पोषित संगठनों की करीबी हैं और ए राजा “दलित” कार्ड खेलते हुए चर्च के नज़दीकी बने हुए हैं… दोनों को ही गम्भीर आरोपों के बावजूद सोनिया गाँधी ने मंत्रिमण्डल में तब तक बनाये रखा… जब तक कि राडिया के टेप्स लीक नहीं हो गये…
5) सोनिया गाँधी की “चर्च” से नज़दीकी जगज़ाहिर है…
इन घटनाओं के “विशिष्ट संयोग”(?) को देखते हुए, मेरे दिमाग के एक कोने में “घण्टी” बज रही है… कहीं मेरे दिमाग में कोई खलल तो नहीं है? अब आगे मैं क्या कहूं…
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फ़िलीपीन्स स्थित कैथोलिक रेडियो वेरिटास तथा श्रीलंका के कैथोलिक चर्च की तमिल टाइगर्स के लिये पैसा उगाहने में प्रमुख भूमिका थी, यह फ़ादर गेस्पर भारत में तमिल टाइगर्स को पैसा मुहैया करवाने वाली एक महत्वपूर्ण कड़ी है। रेडियो वेरिटास, मंदारिन, सिंहली, तमिल, फ़िलीपोनो एवं उर्दू जैसी कई भाषाओं में रेडियो कार्यक्रम पेश करता है, इसी के जरिये संगीत, राजनीति और नेताओं से सम्बन्धों के चलते फ़ादर गेस्पर ने करोड़ों रुपये तमिल टाइगर्स की झोली में पहुँचाये।
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रेडियो वेरिटास के ईसाई धर्म प्रचार एवं इसके लिट्टे से सहानुभूति को देखते हुए श्रीलंका सरकार ने कई बार इस रेडियो स्टेशन पर आपत्ति जताई, लेकिन फ़िलीपींस से बज रहे रेडियो को वह रोकने में नाकाम रही व जफ़ना में तमिल उग्रवादी एवं भोले-भाले तमिल ग्रामीण इस रेडियो से किये गये दुष्प्रचार में आते रहे, यह फ़ादर जगथ गेस्पर इस रेडियो की नौकरी की वजह से तमिल गुरिल्लाओं में काफ़ी लोकप्रिय हुआ, व बाद में इसे तमिलनाडु में एक NGO खोलकर दे दिया गया ताकि वह वहाँ से पैसा एकत्रित कर सके। फ़र्जी NGO चलाने में “चर्च” को महारत हासिल है… इन्हीं NGO- चर्च और लिट्टे का नेटवर्क इतना जबरदस्त रहा कि फ़ादर गेस्पर ने तमिलनाडु से लिट्टे को करोड़ों रुपये का चन्दा दिलवाया। मनीला की पेरिस बैंक की शाखा से 6 लाख डॉलर का चन्दा इन्होंने श्रीलंकाई सेना के अत्याचारों की कहानियाँ सुना-सुनाकर एकत्रित किया। तमिल अनाथ बच्चों के नाम पर फ़ादर गेस्पर ने कितना पैसा एकत्रित किया है यह आज तक किसी को पता नहीं है, क्योंकि श्रीलंकाई सेना द्वारा सफ़ाया किये जाने के दौरान तमिल चीतों के कई प्रमुख नेता मारे गये थे और फ़ादर का यह राज़ उन्हीं के साथ दफ़न हो गया।
“तमिल मय्यम” नाम के इस NGO की स्थापना 2002 में हुई थी, NGO का लक्ष्य बताया गया “तमिलों की कला-संस्कृति एवं साहित्य को बढ़ावा देना”, इसे तत्काल धारा 80-G के अन्तर्गत टैक्स में छूट की सुविधा भी मिल गई। इसके ट्रस्टियों में खुद फ़ादर गेस्पर के साथ कनिमोझि, फ़ादर लोरदू, फ़ादर जेरार्ड, मिस्टर जोसफ़ ईनोक तथा फ़ादर विन्सेंट आदि शामिल हैं।
अब कुछ "संयोगवश"(?) घटित घटनाओं पर नज़र डालिये –
1) राजीव गाँधी की हत्या श्री पेरुम्बुदूर में हुई…
2) उस दिन राजीव गाँधी की सभा पेरुम्बुदूर में नहीं थी फ़िर भी अन्तिम समय में उन्हें जबरन वहाँ ले जाया गया…
3) तमिल टाइगर्स (जो कि राजीव गाँधी के हत्यारे हैं) से करुणानिधि और द्रमुक के रिश्ते सहानुभूतिपूर्ण हैं इसके बावजूद सोनिया गाँधी ने सत्ता की खातिर उनसे केन्द्र में गठबंधन बनाये रखा…
4) कनिमोझि चर्च पोषित संगठनों की करीबी हैं और ए राजा “दलित” कार्ड खेलते हुए चर्च के नज़दीकी बने हुए हैं… दोनों को ही गम्भीर आरोपों के बावजूद सोनिया गाँधी ने मंत्रिमण्डल में तब तक बनाये रखा… जब तक कि राडिया के टेप्स लीक नहीं हो गये…
5) सोनिया गाँधी की “चर्च” से नज़दीकी जगज़ाहिर है…
इन घटनाओं के “विशिष्ट संयोग”(?) को देखते हुए, मेरे दिमाग के एक कोने में “घण्टी” बज रही है… कहीं मेरे दिमाग में कोई खलल तो नहीं है? अब आगे मैं क्या कहूं…
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