आधार डाटा की सुरक्षा संदिग्ध : धोनी का डाटा ट्विटर पर
भारत के पूर्व क्रिकेट कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का आधार कार्ड डाटा और कुछ व्यक्तिगत जानकारी ट्विटर पर आने के बाद एक बार पुनः आधार कार्ड से सम्बंधित डाटा की सुरक्षा और इसके इस्तेमाल पर प्रश्नचिन्ह खड़े हो गए हैं.
जैसा कि इस वेबसाईट पर पिछले लेख में बताया गया था कि आधार कार्ड की अनिवार्यता के कारण सरकार को भ्रष्टाचार रोकने में काफी महत्त्वपूर्ण सफलता हासिल हुई है, परन्तु साथ ही इस पर भी शंका व्यक्त की जाती रही है कि देश भर में फैले हजारों आधार कार्ड वेरिफिकेशन केन्द्रों से किसी भी व्यक्ति का आधार कार्ड डाटा अथवा फिंगरप्रिंट के लीक होने अथवा हैक होने की पूरी संभावना बनी हुई है.
धोनी की पत्नी साक्षी ने केन्द्रीय सूचना-प्रसारण और टेक्नोलॉजी मंत्री रविशंकर प्रसाद को एक ट्वीट करके बताया कि किस तरह से राँची के एक लोक सूचना केंद्र (CSC) द्वारा कल धोनी की कुछ व्यक्तिगत जानकारियाँ ट्विटर पर पोस्ट कर दी गईं, जो केवल आधार कार्ड में होनी चाहिए. रविशंकर प्रसाद ने भरोसा दिलाया है कि मारिया फारुकी द्वारा संचालित उस आधार केंद्र के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी. बवाल मचने के बाद पोस्ट करने वाले ने वह ट्वीट हटा दिया है, लेकिन यह बात तो साफ़ हो गई है कि आधार कार्ड के डाटा की लचर सुरक्षा व्यवस्था के कारण कई नामी-गिरामी लोगों, उद्योगपतियों एवं नेताओं की कई जानकारियाँ हैक या लीक की जा सकती हैं.
एक सामान्य व्यक्ति के लिए ऐसी किसी जानकारी का लीक होना उतना मायने नहीं रखता, क्योंकि आधार कार्ड में मोबाईल नंबर, फोटो, जन्मतिथि और पते के अलावा होता ही क्या है. ये सारी चीज़ें तो व्यक्ति गाहे-बगाहे बैंक-LIC-पोस्ट ऑफिस, सिमकार्ड खरीदी सहित कई अन्य स्थानों पर स्वयं ही बाँटता फिरता है. मूल समस्या है आँखों के रेटिना तथा फिंगरप्रिंट की सुरक्षा को लेकर क्योंकि भविष्य में जैसे-जैसे डिजिटलीकरण बढ़ेगा इन दोनों के माध्यम से ही कई कार्य किए जा सकेंगे, हस्ताक्षरों की जरूरत नहीं रहेगी. यदि आधार कार्ड के QR कोड सहित, व्यक्ति के रेटिना और फिंगरप्रिंट हैक हुए तो उसका खासा दुरुपयोग किया जा सकता है.
नीचे दिए गए चित्र में देखा जा सकता है कि किस तरह से एक जैसी जानकारी पर दो भिन्न-भिन्न तस्वीरों वाले आधार कार्ड भी जारी किए जा चुके हैं...
साक्षी धोनी ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि आधार कार्ड बहुत अच्छी योजना है, और मोदी सरकार इसके जरिये भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में काफी हद तक कामयाब रही है, परन्तु सरकार को सैकड़ों शहरों में फैले इन आधार कार्ड केन्द्रों पर नज़र रखनी चाहिए, तथा जो विशाल केन्द्रीय डाटा एकत्रित हो रहा है, उसकी सुरक्षा की जानी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट भी इस बाबत अपनी चिंताएँ जता चुका है.