मिशनरी गेम :- सेवा के बहाने धर्मान्तरण, लूट और षड्यंत्र
Written by राजेश पाठक मंगलवार, 13 अक्टूबर 2020 19:38१९ वीं सदी में दुनिया में विस्तार पाते यूरोपीय साम्राज्यवाद और पूंजीवाद की पृष्ठभूमि को स्पष्ट करते हुए अपनी पुस्तक ‘ग्लिम्पसेस ऑफ़ वर्ल्ड हिस्ट्री’ में जवाहरलाल नेहरु बताते है कि ये वो समय था जब कहा जाता था कि आगे बढ़ती सेना के झंडे का अनुसरण उसके देश का व्यापार करता था. और कई बार तो ऐसा भी होता था कि बाइबिल आगे-आगे चलती थी, और सेना उसके पीछे- पीछे.
बिहार 2020 :- क्या बागियों के भरोसे पासवान का चिराग जलेगा?
Written by मुरलीमनोहर श्रीवास्तव मंगलवार, 13 अक्टूबर 2020 13:17बिहार विधानसभा चुनाव में जहां कल तक एनडीए और महागठबंधन के बीच वाकयुद्ध और राजनीतिक लड़ाई जारी थी। वहीं आज की तारीख में एनडीए और महागठबंधन अंदरुनी कलह से जुझ रहा है। महागठबंधन में कल तक जहां कांग्रेस, राजद, रालोसपा, वीआईपी एक साथ थे वहीं सीटों के बंटवारे को लेकर विवाद होने के बाद महागठबंधन में राजद, कांग्रेस, माले, सीपीआई जहां एक साथ हो गए।
क्या वास्तव में ईसाईयों की आबादी कम हो रही है? - पड़ताल
Written by आर.एल.फ्रांसिस मंगलवार, 13 अक्टूबर 2020 13:10भारत में कैथोलिक चर्च के अनुयायियों का आधिकारिक आंकड़ा लगभग दाे कराेड़ है। कैथाेलिक चर्च ने अपने प्रशासनिक ढांचे काे 200 के लगभग डायसिस और 29 धार्मिक – प्रांतों में बांट रखा है। अगर सरकारी जनगणना काे ही सही माने, तो दाे करोड़ कैथोलिक हैं, बाकी प्रोटोस्टेंट या दूसरे डिनोमिनेशन, स्वतंत्र कलीसिया केवल 30 लाख ही हैं, जबकि इससे ज्यादा संख्या तो उसमें कार्य करने वाले और धर्म प्रचारकाें की ही हाेगी। प्रोटोस्टेंट या दूसरे डिनोमिनेशन, स्वतंत्र कलीसिया से जुड़े अनुयायियों की संख्या कैथोलिक से दोगुनी-तिगुनी होगी।
TRP का गंदा खेल :- मीडिया की साख दाँव पर...
Written by डॉक्टर पवन सिंह मलिक मंगलवार, 13 अक्टूबर 2020 13:02चौबीस घंटे सबकी खबरें देने वाले टीवी न्यूज़ चैनल अगर खुद ही ख़बरों में आ जाए, तो इससे बड़ी हैरानी व अचंभित करने वाली ख़बर क्या होगी। परंतु पिछले कुछ घंटो में ऐसा ही नज़ारा टीवी पर हम सब देख रहे है। पर ये तो सीधा-सीधा उन करोड़ों दर्शकों की आस्था के साथ धोखा है, जो टीवी मीडिया पर विश्वास करते हैं।
श्रम क़ानून सुधार :- उद्योग एवं अर्थव्यवस्था में लाभकारी
Written by जयंतीलाल भंडारी शुक्रवार, 09 अक्टूबर 2020 20:20हाल ही में संसद ने तीन प्रमुख श्रम सुधार विधेयक- इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड 2020, ऑक्युपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडिशंस कोड 2020 और कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी 2020 पारित किए, जो राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद कानून बन गए। कोविड-19 की चुनौतियों और भारत के लिए वैश्विक उद्योग-कारोबार के बढ़ते मौकों को ध्यान में रखते हुए नए श्रम कानून नियोक्ता, कर्मचारी तथा सरकार, तीनों के लिए फायदेमंद सिद्ध हो सकते हैं।
शहरी जीवनशैली और कोरोना काल :- मानसिक रोगों के घर
Written by प्रभुनाथ शुक्ल शुक्रवार, 09 अक्टूबर 2020 20:13आधुनिक जीवन शैली में अवसाद यानी डिप्रेशन आम बात हो गईं है। वालीवुड में अवसाद की बीमारी अभिनेताओं और अभिनेत्रियों को कहाँ तक ले जा सकती है इसका ताजातरीन उदारहण अभिनेता सुशांत सिंह की मौत है। सुशांत की मौत से सिने दुनिया और राजनीति में बवाल मचा है। अवसाद की बीमारी जीवन को बर्बाद कर देती है।
समान नागरिक संहिता :- देश की एकता हेतु समय की माँग
Written by अशोक प्रवृद्ध शुक्रवार, 09 अक्टूबर 2020 20:04संसार के किसी भी देश में पन्थ, मजहब के आधार पर पृथक- पृथक कानून नहीं होते, बल्कि सभी नागरिकों के लिए एक समान व्यवस्था व कानून होते हैं। सिर्फ भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जिसमें अल्पसंख्यक वर्गों के लिए वैयक्तिक अर्थात पर्सनल कानून बने हुए हैं, जबकि देश का संविधान अनुच्छेद 15 के अनुसार धर्म, लिंग, क्षेत्र व भाषा आदि के आधार पर समाज में भेदभाव नहीं करता और सभी के लिए एक समान व्यवस्था व कानून सुनिश्चित करने की बात करता है।
सुरेश प्रभु :- एक संत प्रवृत्ति, कर्मठ और सज्जन मंत्री...
Written by चंद्रकांत जोशी बुधवार, 07 अक्टूबर 2020 13:31सर्वगुण संपन्न होना भले ही मुहावरा हो, मगर सुरेश प्रभु जैसे व्यक्तित्व पर ये मुहावरा शत-प्रतिशत सच बैठता है। भारतीय राजनीति एक ऐसा दलदल या यूं कहें कि काजल की कोठरी है कि जो भी इसमें आता है उसके साथ आरोप-प्रत्यारोप की कालिख और कीचड़ लग ही जाती है। लेकिन इस मायने में सुरेश प्रभु एक अलग ही व्यक्तित्व सिद्ध हुए हैं।
बिहार विधानसभा :- क्या पासवान की लोजपा, भाजपा का मोहरा है?
Written by मुरली मनोहर श्रीवास्तव बुधवार, 07 अक्टूबर 2020 13:16बिहार की सियासत पल-पल बदल रही है। महागठबंधन में जहां कल तक जीच जारी थी और वीआईपी और रालोसपा ने मर्यादित सीटों के नहीं मिलने से किनारा कर लिया। वहीं एनडीए में भाजपा-जदयू के रिश्तों के बीच लोजपा के लाल चिराग की सियासत ने दोयम दर्जे की स्थिति पैदा कर रखी है।
बिहार चुनावों में सभी पार्टियों का जोर वर्चस्व बढ़ाने में
Written by ललित गर्ग मंगलवार, 06 अक्टूबर 2020 20:13बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियां एवं सरगर्मियां चरम पर हैं, वहां चुनावी चैसर अब लगभग बिछ चुकी है। कुल मिलाकर इस बार मुकाबला जेडीयू-बीजेपी बनाम आरजेडी-कांग्रेस-कम्युनिस्ट का बनता दिख रहा है। एनडीए में दरार पड़ चुकी है और लोजपा ने स्वतंत्र चुनाव लड़ने का फैसला किया है। यह चुनाव अनेक दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण है।