दलित युवक सायबन्ना, और बानू बेगम की दुखद प्रेमकथा
Written by सुरेश चिपलूनकर मंगलवार, 06 जून 2017 07:57पिछले कुछ वर्षों से उत्तरी भारत में राजनैतिक महत्त्वाकांक्षा और देश तोड़ने की योजना के तहत दलित-मुस्लिम गठजोड़ और इनके बीच तथाकथित सामाजिक समरसता निर्माण करने के खोखले प्रयास चल रहे हैं.
हिन्दू संगठनों को बदनाम करना बहुत सरल :- IIT चेन्नै मामला
Written by सुरेश चिपलूनकर रविवार, 04 जून 2017 08:05केंद्र सरकार के विरोध में जब IIT चेन्नई में तथाकथित “बीफ़ फेस्टिवल” का आयोजन हुआ और उसके अगले दिन तमाम अखबारों, चैनलों तथा वेबसाईटों पर एक तस्वीर प्रकाशित हुई थी. इस तस्वीर में एक झबरे वालों का कंजर किस्म का अधेड़ व्हील चेयर पर बैठा हुआ दिखाया गया, जिसकी एक आँख सूजी हुई थी.
बुद्धिजीवी कहलाने का नुस्खा :- हिन्दू घृणा और दोगलापन
Written by अजीत भारती रविवार, 04 जून 2017 04:50केरल में सरेआम गाय काटी गई, रिपोर्ट में आया कि भैंस कटी है, फिर आया कि बैल काटा गया है और अंततः कल-परसों तक इस पर चर्चा होगी कि केरल में जो पब्लिक में मुर्ग़ा कटा है उसकी इजाज़त संविधान देता है कि नहीं।
ईसाईयत में जातिवाद, और दलितों से भेदभाव : भाग-२
Written by डॉक्टर सुधीर व्यास गुरुवार, 01 जून 2017 20:56पिछले भाग में हमने देखा कि किस तरह “इस्लाम में जातिवाद नहीं है” का झूठ बोलकर कई मुस्लिम जातियाँ, हिन्दुओं के हिस्से का आरक्षण चट कर रही हैं. सरकारें भी वोट बैंक के चक्कर में हिन्दुओं को एक “अर्धसत्य” बोल-बोलकर बरगलाती रहती हैं कि “मुसलमानों को धार्मिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया जाएगा”.
दलित, OBC और धर्मान्तरित :- दो बड़े झूठों का पर्दाफ़ाश
Written by डॉक्टर सुधीर व्यास बुधवार, 31 मई 2017 08:10भारत में जातीय और धार्मिक विमर्श के तहत दो झूठ आपने अक्सर कई वर्षों से सुने होंगे. पहला झूठ आपने सुना होगा कि “...इस्लाम और ईसाईयत में कोई जातिवाद नहीं है, इस्लाम और ईसाई पंथ के अनुयायियों में कोई भेदभाव नहीं होता..., इसलिए हे दलितों, हमारी तरफ आ जाओ...”
कम्युनिस्टों से लेकर राष्ट्रवादियों तक सभी एक स्वर से भारत की हजार वर्ष की गुलामी की बात सरलता से कह जाते हैं। बारहवीं शताब्दी में मोहम्मद गोरी के दिल्ली पर कब्जा करने से लेकर वर्ष 1947 में अंग्रेजों के जाने तक के काल को सभी सहज भाव से भारत की गुलामी का काल मान लेते हैं।
भारत के इतिहास पर, प्राचीन से लेकर आधुनिक तक, हजारों की संख्या में पुस्तकें मिल जाएंगी, हजारों विद्वान मिल जाएंगे, परंतु एक बड़ा प्रश्न यह है कि क्या ये सारे विद्वान भारत को ठीक से समझते हैं या फिर क्या ये पुस्तकें भारत को ठीक से समझाती हैं?
क्या संवेदनशील GST डाटा निजी कम्पनियों में सुरक्षित रहेगा?
Written by सुरेश चिपलूनकर शुक्रवार, 26 मई 2017 19:03ज़ाहिर है कि शीर्षक देखकर आप थोडा चौंके होंगे. क्योंकि अब देश GST लागू करने के अंतिम चरण में पहुँच चुका है, तथा अंतिम तैयारियाँ चल रही हैं. लेकिन यदि डॉक्टर सुब्रह्मण्यम स्वामी की मानें तो व्यापारियों और उद्योगपतियों का GST संबंधी तमाम डाटा और जानकारियों की न सिर्फ सुरक्षा खतरे में है.
चँवर संत रविदास का इतिहास और इस्लाम की सच्चाई
Written by डॉक्टर विवेक आर्य शुक्रवार, 26 मई 2017 18:34सहारनपुर में दलितों और ठाकुर राजपूतों का विवाद का समाचार मिल रहा है। कभी दलित कहते है कि हम इस्लाम स्वीकार कर लेंगे, कभी ठाकुर कहते है कि हम इस्लाम स्वीकार कर लेंगे। इस्लाम स्वीकार करने से जातिवाद की समस्या समाप्त हो जाती तब तो दुनिया के सभी इस्लामिक देश जन्नत के समान होते।
क्या आपने किसी इलाके में रियल एस्टेट, यानि जमीन, फ्लैट के दाम गिरते हुए देखे हैं? अगर नहीं देखे तो एक बार दिल्ली के विकासपुरी और द्वारका सेक्टर 3 जैसी जगहों पर पिछले साल की कीमत और अभी की कीमत देखिये|