दरअसल महाकुंभ और मदरसों की तुलना नहीं की जा सकती। महाकुंभ हमारी प्राचीन, सनातन संस्कृति, आस्था और श्रद्धा के प्रतीक हैं। ये आयोजन सिर्फ हिंदुओं तक ही सीमित नहीं हैं। महाकुंभ में तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा भी पधार चुके हैं और वहां ‘बुद्ध विहार’ की स्थापना में उनका विशेष योगदान रहा है। महाकुंभ में दलित व्यक्ति को भी ‘महामंडलेश्वर’ के पद पर विभूषित किया जा चुका है और पुजारी भी नियुक्त किए गए हैं।
बिहार चुनावों में ऊँट किस करवट बैठेगा??
Written by डॉक्टर नीलम महेंद्रा सोमवार, 19 अक्टूबर 2020 18:35बिहार देश का पहला ऐसा राज्य बनने जा रहा है जहाँ कोरोना महामारी के बीच चुनाव होने जा रहे हैं और भारत शायद विश्व का ऐसा पहला देश। आम आदमी कोरोना से लड़ेगा और राजनैतिक दल चुनाव। खास बात यह है कि चुनाव के दौरान सभी राजनैतिक दल एक दूसरे के खिलाफ लड़ेंगे लेकिन चुनाव के बाद अपनी अपनी सुविधानुसार एक भी हो सकते हैं।
अब्दुल्ला और मुफ्ती के देशद्रोही बोल कब तक सुनेगी सरकार?
Written by प्रभुनाथ शुक्ल सोमवार, 19 अक्टूबर 2020 18:28भारत में अभिव्यक्ति यानी बोलने की स्वतंत्रा का दुरुपयोग हो रहा है। जिम्मेदार पद पर बैठे लोग गलत बयानी करते रहते हैं। उनकी असंसदीय टिप्पणी और बयानों का समाज और राष्ट्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा इस बेफ्रिक रहते हैं। जिसकी वजह से समाज में हिंसा, घृणा, जातिवाद, अलगाववाद की जड़ें मज़बूत हो रहीं हैं।
शिक्षा व्यवसाय से हिन्दू कैसे बाहर हो रहे हैं - जानिये
Written by शंकर शरण शनिवार, 17 अक्टूबर 2020 13:17राष्ट्रवादी कहलाने वालों की सत्ता में उन के वैचारिक समर्थकों, एक्टिविस्टों की विचित्र दुर्गति है। वे उसी तरह असहाय चीख-पुकार कर रहे हैं, जैसे कांग्रेसी या जातिवादियों के राज में करते थे। चाहे, वह मंदिरों पर राजकीय कब्जा हो, संविधान की विकृति हो, या शिक्षा-संस्कृति में हिन्दू विरोधी नीतियाँ हों। वे आज भी शिक्षा में हिन्दू विरोधी पक्षपात को दूर करने के लिए रो रहे हैं।
चाणक्य की छः सूत्रीय विदेश नीति और मोदी सरकार
Written by राकेश कुमार आर्य शुक्रवार, 16 अक्टूबर 2020 20:11”अपनी नीति तो अपनाओ, लेकिन शत्रु की युद्ध नीति को समझना भी उतना ही आवश्यक है। युद्ध में अपने शत्रु की भान्ति सोचना भी आवश्यक है। जो भी नीति हो, उसे गुप्त रखो। उसे केवल अपने कुछ विश्वासपात्र सहयोगियों को बताओ। अच्छे के लिए सोचो, पर बुरे से बुरे के लिए भी उद्यत रहो।” – यह कथन है महामती चाणक्य का ।
हिमाचल की अटल सुरंग :- इन्जीनियरिंग का नायाब नमूना
Written by नरेश कुमार गुरुवार, 15 अक्टूबर 2020 19:54आपने यह कहावत सुनी ही होगी कि 'सुरंग के अंत में प्रकाश है'। लेकिन अब यह कहावत बदल जाएगी, क्योंकि अब 'सुरंग के अंत में लाहौल-स्पीति और लद्दाख है'। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते तीन अक्तूबर को मनाली के पास रोहतांग में प्रतीक्षित अटल सुरंग का उद्घाटन किया है। 9.2 किलोमीटर लंबी यह सुरंग हिमाचल प्रदेश के लाहौल, स्पीति और दूर-दराज के लोगों के जीवन में तरक्की की नई सुबह लाएगी।
देश की अर्थव्यवस्था में जीडीपी का सर्वाधिक प्रतिशत कमाने वाली कृषि को लेकर जहां एक तरफ देशभर में राजनीति चरम पर है, वहीं दूसरी तरफ छोटी-छोटी जोतों के मालिक यानि छोटे स्तर के करोड़ो किसान परेशान हैं। सरकारी नीतियों के कारण उन्हें हाशिये पर धकेल दिया गया है। अब उनके सामने खुद को जीवित रखने की चुनौती आ गई है।
हिंदुओं की 'मॉब लिंचिंग' :- मीडिया द्वारा उपेक्षित
Written by विनोद बंसल गुरुवार, 15 अक्टूबर 2020 19:28दिल्ली में पिछड़े वर्ग के एक गरीब ड्राइवर के लड़के राहुल कंडेला की कुछ कट्टरपंथी मुसलमानों के द्वारा की गई बर्बर हत्या पर विश्व हिंदू परिषद ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए पूछा है कि क्या इस 19 वर्षीय गरीब युवक की एक मुस्लिम युवती से दोस्ती होना ही उसका अपराध बन गया था जिसकी सजा जिहादी तत्वों ने उसकी मॉब लिंचिंग करके दी।
नैशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (एनएसओ) ने पहली बार एक ऐसा सर्वे करवाया है जिससे पता चलता है कि देशवासी रोज के 24 घंटों में से कितना समय किन कार्यों में बिताते हैं। यह टाइम यूज सर्वे पिछले साल जनवरी से लेकर दिसंबर के बीच हुआ और इससे कई ऐसी महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आईं जो आगे नीति निर्माण के साथ-साथ जीवनशैली को नियोजित करने में खासी उपयोगी सिद्ध हो सकती हैं।
संकीर्ण विचारधारा से टूटता हुआ भारत का सामाजिक ढाँचा
Written by तनवीर जाफरी गुरुवार, 15 अक्टूबर 2020 19:14भारत वर्ष की समाजिक व्यवस्था सदियों से धार्मिक व सामाजिक सद्भाव व सौहार्द पर आधारित रही है। देश के ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं जो हमें यह बताते आ रहे हैं कि किस तरह हमारे पूर्वजों ने सौहार्द की वह बुनियाद रखी जिस का अनुसरण आज तक हमारा देश और यहाँ के बहुसंख्य लोग करते आ रहे हैं।