उज्ज्वला योजना : अब उड़ीसा में वोटों की फसल कटेगी

Written by शुक्रवार, 31 मार्च 2017 07:56

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 1 मई 2016 को शुरू की गई “उज्ज्वला योजना” ने उत्तरप्रदेश में भाजपा के लिए वोटों की बड़ी फसल तैयार करने में प्रमुख भूमिका निभाई थी.

इस योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली महिलाओं को उन्हीं के नाम पर कुकिंग गैस का कनेक्शन मुफ्त में दिया जाता है. इस योजना के कारण उत्तरप्रदेश में लगभग तीस लाख गरीबों को नए सब्सिडी वाले गैस कनेक्शन मिले. ज़ाहिर है कि यह वोटों में तब्दील भी हुए. ऐसा इसलिए भी हुआ क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इस योजना की प्रगति पर निगाह बनाए रखी.

अब अगले कुछ ही दिनों में उड़ीसा में एक मुहीम शुरू होने वाली है, जिसमें इन्डियन ऑइल सहित सभी तेल कम्पनियों के अधिकारी-कर्मचारी उड़ीसा के दूरदराज इलाकों में जाकर यह पता लगाएंगे कि किस गरीब के पास गैस कनेक्शन नहीं है, और क्या वह इसे लेने का इच्छुक है? अर्थात यूपी के बाद उड़ीसा प्रधानमंत्री का अगला लक्ष्य है. उड़ीसा में जब यह गैस कनेक्शन बाँटे जाएँगे तो उन गरीब परिवारों में से कोई एक परिवार वह भाग्यशाली भी होगा, जिसे इस योजना का दो करोड़वाँ सदस्य बनने का मौका मिलेगा. यह प्रधानमंत्री द्वारा तय किए गए समय से दो माह पहले ही पूरा कर लिया जाएगा.

1 मई 2016 को यह योजना लागू करते समय मोदीजी ने धर्मेन्द्र प्रधान को 2016-17 में डेढ़ करोड़ गैस कनेक्शन बाँटने का टार्गेट दिया था. जो पहले ही प्राप्त किया जा चुका है. यदि अप्रैल माह में यह आँकड़ा 2 करोड़ पार कर जाता है तो यह बोनस ही होगा. 2019 तक इस योजना में पाँच करोड़ BPL परिवारों को गैस कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया है, और जिस गति से मोदीजी काम करते हैं स्वाभाविक रूप से यह लक्ष्य भी पहले ही प्राप्त कर लिया जाएगा.
जिस मोदी सरकार को उनके घोर विरोधी, लगातार “दलित-अल्पसंख्यक” विरोधी सरकार” बताते फिरते हैं, उन्हें यह जानकारी ही नहीं है कि इन डेढ़ करोड़ उज्ज्वला गैस कनेक्शन में से 13% कनेक्शन अल्पसंख्यक वर्ग को, जबकि 57% गैस कनेक्शन अनुसूचित जाति के परिवारों को मिले हैं. इसी प्रकार केंद्र सरकार द्वारा ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में जो बिजली कनेक्शन दिए गए हैं, वे भी अधिकांशतः दलित वर्ग के परिवारों को ही मिले हैं. महिला अधिकारों को लेकर हंगामा करने वाले विदेशी चन्दा पोषित नकली NGO समूहों में से किसी ने भी प्रधानमंत्री की इस बात के लिए तारीफ़ नहीं की है कि उन्होंने कम से कम दो करोड़ महिलाओं को लकड़ी के धुएँ और चूल्हे से मुक्ति दिलवा दी है, ताकि उनका स्वास्थ्य ठीक रहे.

बहरहाल... मोदी विरोधी अपने अंध-विरोध में जिस निचले स्तर तक पहुँच रहे हैं, वह वास्तव में मोदी की ताकत बनता जा रहा है, जबकि दूसरी तरफ योगी को मुख्यमंत्री बनाकर नरेंद्र मोदी ने मीडिया का ध्यान खुद पर से हटा लिया है, जिसके कारण अब वे शान्ति से काम कर सकेंगे. जिस तेज गति से मोदी अपनी योजनाएँ लागू करते हैं, उनकी निगरानी करते हैं, उसे देखते हुए विपक्षियों की सुस्ती और उनका भ्रष्टाचार ही उन्हें ले डूबता है. चाहे बीस सूत्रीय कार्यक्रम हो, चाहे गरीबी हटाओ नारा हो, चाहे मनरेगा हो या खाद्यान्न गारंटी योजना हो... चूंकि हमारे यहाँ प्रत्येक कदम राजनीति से प्रेरित होता है, इसलिए “उज्ज्वला योजना” को लेकर मोदी की आलोचना का कोई तर्क नहीं बनता है. उड़ीसा के बाद नरेंद्र मोदी का अगला लक्ष्य कर्नाटक, कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तर-पूर्व के सातों राज्य हैं. इन राज्यों में जहां बिजली नहीं है, वहां पहले बिजली... जहां सड़क नहीं है वहां पहले सड़क और जहां गैस नहीं है वहाँ पहले गैस कनेक्शन इस कदम-दर-कदम पद्धति से चलते हुए पूरे भारत को मोदीमय किया जाएगा. विरोधी दल अपने मुस्लिम, साम्प्रदायिकता, दलितों को मूर्ख बनाने जैसे घिसे-पिटे मुद्दों पर हायतौबा मचाते रहेंगे और उधर नरेंद्र मोदी गरीब-पिछड़े-अल्संख्यक और दलितों के दिलों में धीरे-धीरे जगह बनाते जा रहे हैं... पंजाब के नए-नवेले कांग्रेसी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के अलावा (क्योंकि वे राहुल गांधी की छाया से मुक्त लगते हैं), कोई भी विपक्षी इस बात को समझने के लिए तैयार नहीं है कि अब देश में “नकारात्मक राजनीति” का दौर ख़त्म हो चुका है. अब तो जनता की भलाई के लिए विकास के काम शुरू करो, और तेजी से ख़त्म भी करो वाला दौर आ चुका है.

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